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मानवाधिकारसिंगापुर

सिंगापुर: गांजे की तस्करी में भारतीय मूल के व्यक्ति को फांसी

२६ अप्रैल २०२३

सिंगापुर ने बुधवार को नशीले पदार्थों की तस्करी के दोषी को फांसी दे दी. दोषी के परिवार वाले और अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से माफी दिए जाने की मांग ठुकरा दी गई थी.

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तंगराजू सुपैया के परिवार ने देश की राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई थी
तंगराजू सुपैया के परिवार ने देश की राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई थीतस्वीर: Roslan Rahman/AFP/Getty Images

46 साल के तंगराजू सुपैया को 2013 में एक किलो से अधिक गांजे की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. देश में नशीले पदार्थों को लेकर सख्त कानून है और सिंगापुर के कानूनों के तहत 500 ग्राम से अधिक गांजे की तस्करी करने पर मृत्युदंड दिया जा सकता है.

राष्ट्रपति ने माफी की याचिका खारिज की

सिंगापुर स्थित अधिकार कार्यकर्ता कोकिला अन्नामलाई जो कि परिवार का प्रतिनिधित्व कर रही थीं उन्होंने सजा के अमल किए जाने की पुष्टि की है. फांसी दिए से एक दिन पहले राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान की याचिकाओं को खारिज करने के बाद सुपैया को फांसी पर लटका दिया गया.

सिंगापुर सरकार ने टिप्पणी के लिए किए गए अनुरोधों पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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फांसी का विरोध

मृत्युदंड के खिलाफ आवाज उठाने वाले ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैन्सन ने कहा था कि सुपैया के खिलाफ फैसला आपराधिक सजा के मानकों को पूरा नहीं करता था क्योंकि जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था तो वह ड्रग्स के पास नहीं थे.

ब्रैन्सन के आरोपों के जवाब में सरकार ने कहा कि वे "झूठ" फैला रहे थे और देश की न्याय प्रणाली का अनादर कर रहे थे. सरकार ने कहा था देश की अदालतों ने मामले की जांच में तीन साल से अधिक समय बिताया और ब्रैन्सन का दावा "स्पष्ट रूप से असत्य" था.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने भी फांसी को नहीं दिए जाने की अपील की थी. साथ ही उसने कहा था कि "नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों के लिए मृत्युदंड पर एक औपचारिक स्थगन अपनाया जाए."

"कमजोर सबूतों पर दोषी ठहराया"

सुपैया के परिवार और अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें कमजोर सबूतों के आधार पर दोषी ठहराया गया था. हालांकि सुपैया को गांजे के साथ नहीं पकड़ा गया था, अभियोजन पक्ष का कहना है कि फोन नंबरों से पता चला कि वह ड्रग्स की डिलीवरी के समन्वय के लिए जिम्मेदार व्यक्ति थे. अभियोजन पक्ष ने कहा था जो दो मोबाइल नंबर ट्रेस किए गए थे वे भी सुपैया के ही थे.

सिंगापुर में बेहद सख्त है कानून

फांसी नहीं दिए जाने को लेकर सुपैया के रिश्तेदारों और कार्यकर्ताओं ने सिंगापुर की राष्ट्रपति हलीमा याकूब को सोमवार को पत्र भेजा था. सुपैया की भतीजी और भतीजे ने सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश में लोगों से सरकार तक उनकी बात पहुंचाने की अपील भी की थी. लेकिन मंगलवार को उस याचिका को बिना सुनवाई खारिज कर दिया गया.

आलोचकों का कहना है कि सिंगापुर में ड्रग्स से जुड़े अपराध में फांसी की सजा में ज्यादातर निचले स्तर के लोग फंस जाते हैं और मादक पदार्थों के तस्करों और संगठित सिंडिकेट को रोकने के लिए उसने बहुत कम काम किया है.

सिंगापुर ने पिछले साल 11 लोगों को फांसी दी थी और उसका कहना है कि इस तरह की सजा लोगों को ड्रग्स से जुड़े अपराध करने से रोकती है और देश की जनता इस नीति का समर्थन करती है.

एए/वीके (रॉयटर्स, एएफपी)