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गहरे समंदर में सेक्स अपराध, कार्गो शिपिंग की काली दुनिया

बेन नाइट
११ अप्रैल २०२३

यौन शोषण, भेदभाव और तानेबाजी... मर्चेंट नेवी में काम करने वाली महिलाएं आए दिन इन अपराधों का सामना करती हैं. वे शिकायत करें भी तो महासागर में उन्हें कौन बचाएगा.

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Istanbul Getreidefrachter aus Ukraine warten auf Durchfahrt durch Bosporus
तस्वीर: UMIT BEKTAS/REUTERS

ऐन बचपन से ही नाविक बनना चाहती थीं. उनका सपना पूरा हुआ भी, लेकिन एक हफ्ते के भीतर ही चकनाचूर भी हो गया. डीडब्ल्यू से बात करते हुए ऐन ने बड़े नपे-तुले शब्दों का इस्तेमाल किया. ऐन ने कहा, "हां, आप एक महिला हैं, तो आपके कुछ बुरे अनुभव जरूर होंगे." थोड़ी देर बाद ऐन ने बताया कि मरीन कॉलेज में दाखिले के दूसरे ही हफ्ते उनका बलात्कार किया गया. ब्रिटेन के मरीन कॉलेज में पढ़ रही ऐन तब 16 साल थी.

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मरीन कॉलेज और जहाजों में यौन शोषण का शिकार हुईं ऐन
मरीन कॉलेज और जहाजों में यौन शोषण का शिकार हुईं ऐनतस्वीर: Privat

उस वक्त ऐन को इतनी शर्म आई कि उन्होंने किसी को इसके बारे में नहीं बताया. कॉर्गो शिप इंडस्ट्री में दुनियाभर में करीब 15 लाख लोग काम करते हैं. इनमें महिलाओं की संख्या महज दो फीसदी है. इनमें से ज्यादातर महिलाएं अक्सर जहाजों पर अकेले ड्यूटी करती हैं.

अकेली महिला और अथाह समंदर

नए जहाज पर भी ऐन को दुर्व्यवहार झेलना पड़ा. ट्रेनर अफसर ही उनका शोषण करने लगा. अफसर सुनिश्चित करता था कि ऐन हमेशा उसके साथ अकेली काम करें और कोई उन्हें देख न सके.

एक शाम ऐन नहाकर निकलीं, तो वही अफसर उनके कमरे में घुसा हुआ था. वह ऐन को घूरकर मुस्कुराता रहा. ऐन कहती हैं कि उन्हें ऐसा लगा कि वह पर्सनल केबिन में भी सुरक्षित नहीं हैं. शिकायत करने पर एचआर के एक कर्मचारी ने कहा कि ऐन को अंदाजा होना चाहिए था कि ऐसा तो होगा ही. उस कर्मचारी ने यह भी कहा कि उन्हें समंदर में भेजते वक्त उनके पिता क्या सोच रहे थे. मैं तो अपनी बेटी को कभी जहाज पर काम करने के लिए नहीं भेजता. यह सुनते ही ऐन को अहसास हो गया कि वह जहाज पर बिल्कुल अकेली हैं और यहां से वह कहीं भी नहीं जा सकतीं.

ऐसे दर्जनाक अनुभव झेलने वाली ऐन अकेली नहीं हैं। जहाज पर काम करने वाले लोगों की काउंसिलिंग करने वाली मनोविज्ञानी रेचल ग्लिन विलियम्स के मुताबिक वह आज तक मर्चेंट नेवी में काम करने वाली जितनी महिलाओं से मिली हैं, उनमें से सिर्फ एक ने कहा कि उसने ऐसे हालात नहीं झेले.

महिलाओं के यौन शोषण के सामने दम तोड़ती न्याय व्यवस्था 

ऐन ने 12 साल तक नौकरी की. इस दौरान वह दुनियाभर के देशों में पहुंचीं. हर बार जब नई ड्यूटी की कॉल आती थी, तो वह सोचने लगती थीं कि क्या इस बार क्रू में परेशान करने वाला कोई पुरुष होगा. धीरे-धीरे ऐन ने कुछ सहकर्मियों से दूर रहना सीख लिया और "सही कपड़े" पहनने भी सीख लिए.

आखिरकार ऐन भी कैप्टन बनने के करीब पहुंच गईं. वक्त बीतने के साथ-साथ शारीरिक हिंसा कम हो चुकी थी, लेकिन अपमान करना, हवस भरी नजरों से घूरना और सोशल मीडिया पर तंग करना जारी रहा. ऐन के मुताबिक अक्सर यही संदेश मिलता था: एक जहाज पर महिला का कोई काम नहीं है. आखिरकार इन सबसे तंग आकर ऐन ने समंदर और जहाज की जिंदगी को अलविदा कह दिया. उन्होंने नौकरी छोड़ दी. डीडब्ल्यू से ऐन ने कहा कि, "ऐसा लगा कि शोषण करने वाले जीत गए."

महिलाओं की इंटरनेशनल शिंपिंग एंड ट्रेंडिंग एसोसिएशन ने पिछले साल 78 देशों की 1,128 महिला नाविकों का सर्वे किया. इस दौरान करीब 60 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्होंने जहाज में महिला-विरोधी भेदभाव का सामना किया. 25 फीसदी ने बताया कि जहाज पर शारीरिक और यौन शोषण आम है और जहाज में उनकी निजता में घुसपैठ भी हुई.

 

शिपिंग कंपनियों का उदासीन रुख

ऐसे ज्यादातर मामलों की शिकायत पुलिस तक नहीं पहुंचती. कई शिकायतें इसलिए भी सामने नहीं आतीं, क्योंकि पीड़ित महिलाओं को कई महीनों तक दुर्व्यवहार करने वाले के साथ ही काम करना पड़ता है. बेकी न्यूडिक, "सेफर वेव्स" नाम का एनजीओ चलाती हैं. एनजीओ पीड़ितों की पहचान गुप्त रखते हुए उनकी मदद करता है. इसके बावजूद शोषण का शिकार हो चुकी कई महिलाओं को लगता है कि शिकायत करने पर उनका करियर खतरे में पड़ सकता है.

शिकायत करने पर चुनौतियां और बढ़ जाती हैं. करीबी डॉक्टर और पुलिस प्रशासन से भी हजारों मील की दूरी होती है. समंदर में जहाज पर हुए अपराध की जांच, वह भी बहुत दूर जमीन पर, सुबूतों के साथ और कई महीने बाद, यह असंभव सा लगता है. जहाज पर क्रू अक्सर बदलता रहता है. समंदर में हुए अपराध के लिए बाद में जमीन पर संभावित गवाहों को खोजना भी मुश्किल है. बेकी न्यूडिक पूछती हैं कि अंतरराष्ट्रीय जलसीमा में हुए अपराध किसके न्यायक्षेत्र या कानून के दायरे में आते हैं.

ग्लिन विलियम्स के मुताबिक शिपिंग इंडस्ट्री का कल्चर भी इस समस्या का मुख्य कारण है. ग्लिन के मरीजों को अक्सर यह सुनना पड़ा कि, "मुस्कुराते हुए भूल जाओ," "यह मर्दों की दुनिया है. इसकी आदत डाल लो," "तुम्हें तो पता है कि वह कैसा है, उसके रास्ते से दूर रहो." मनोविज्ञानी ग्लिन विलियम्स कहती हैं, "ऐसा लगता है जैसे खुद को बचाना पीड़िता का ही काम है, बजाय इसके कि खतरे का सोर्स खोजा जाए और उसे दूर किया जाए."

एक जहाज में ऐन का पर्सनल केबिन, जो उन्हें कभी सुरक्षित नहीं लगा
एक जहाज में ऐन का पर्सनल केबिन, जो उन्हें कभी सुरक्षित नहीं लगातस्वीर: Privat

समंदर में #मीटू

धीरे-धीरे हालात बदल भी रहे हैं. 2021 में होप हिक्स नाम की एक अमेरिकी महिला ने बताया कि कैसे जहाज पर उसका बलात्कार किया गया. हिक्स शिप पर कैडेट थीं. उन्होंने "मिडशिपमैन एक्स" नाम से अपने अनुभव लिखने शुरू किए. शिप, डैनिश कंपनी मैर्स्क की यूएस सब्सिडरी था. मैर्स्क दुनिया की सबसे बड़ी कंटेनर शिपिंग कंपनी है.

हिक्स ने लिखा कि यूएस नेवल एकेडमी में उनकी क्लास की हर महिला जहाज पर यौन हिंसा या शोषण का सामना कर चुकी है. हिक्स की लेखनी ने शिपिंग इंडस्ट्री के भीतर पसरी गंद को साफ करने की मांग तेज की. राजनेता भी इस मुद्दे में दिलचस्पी लेने लगे. यह शिपिंग इंडस्ट्री के लिए एक छोटा #मीटू पल था.

मैर्स्क में कल्चरल ट्रांसफॉर्मेशन की जिम्मेदार अमेली ग्रेवसन कहती हैं कि उनकी कंपनी हर मामले को गंभीरता से लेती है. डीडब्ल्यू से बात करते हुए ग्रेवसन ने बताया कि हिक्स मामले के बाद कंपनी ने शिकायतों की जांच करने वाले विभाग को ज्यादा संसाधन दिए हैं. इसके अलावा कर्मचारियों के लिए एक्सटेंसिव ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शुरू किया है. ग्रेवसन के मुताबिक कंपनी ने आपात स्थिति में कदम उठाने के लिए बदलाव भी किए हैं.

ऐन अब मेंटर के तौर पर अपने अनुभव ब्रिटिश मरीन कॉलेज के नए कर्मचारियों से साझा करती हैं. इस दौरान उन्हें युवा महिलाओं की जुबान से शोषण की एक जैसी कहानियां सुनने को मिलती हैं. लेकिन ऐन कहती हैं कि अब कम से कम महिलाएं इस बारे में बोलने तो लगी हैं.

एक तस्वीर में ऐन जहाज में अपने केबिन में हैं. इस पुरानी तस्वीर में स्टील का दरवाजा, वुडन फ्लोर और एक हेलमेट भी दिखता है. इसी फोटो को देखते हुए ऐन ने डीडब्ल्यू से कहा कि उस दरवाजे को घूरते हुए उन्होंने न जाने कितने घंटे बिताए. इस डर के साथ कि कहीं कोई अंदर न घुस जाए. ऐसे मौके बहुत कम आए, जब ऐन खाना खाने के लिए अपने केबिन से बाहर निकलीं.

ऐन बीते दो साल से थेरेपी ले रही हैं. वह अब भी कई बार बेचैनी और आत्मग्लानि से जूझती हैं. ऐन बस इतना ही कहती हैं कि अपना अनुभव साझा करने से उन्हें कुछ ताकत जरूर मिली है. अब वह कहती हैं, "शर्म मुझे नहीं, उन्हें आनी चाहिए."