महासागर से अपनी जमीन कैसे वापस ले रहा है सेनेगल
२५ जुलाई २०२२पश्चिमी अफ्रीका का देश सेनेगल लगातार बढ़ते समंदर से परेशान हो रहा था. अटलांटिक महासागर की ताकतवर लहरें उसके तटों को निगलती जा रही थीं. तटीय इलाके के क्षरण का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा था. पूरे पश्चिमी अफ्रीका की 56 फीसदी आर्थिक गतिविधियां तटीय इलाकों में ही होती हैं. विश्व बैंक के मुताबिक एक तिहाई आबादी भी इन्हीं तटीय इलाकों में रहती हैं.
जलवायु परिवर्तन और समुद्र के बढ़ते जल स्तर जैसी विकराल समस्याओं का असर सेनेगल के दिओगू द्वीप पर भी पड़ा. स्थानीय महिला संगठन की हेड अंगेल दिआत कहती हैं, "पहले समंदर बहुत दूर था, हम बस उसकी आवाज सुना करते थे, वह दिखता नहीं था." लेकिन वक्त गुजरने के साथ ही समंदर की आवाज तेज होने लगी और फिर वह बहुत करीब आ गया.
अस्तित्व का संकट झेल रहे दिओगू द्वीप के लोगों ने बढ़ते समंदर को रोकने के लिए एक प्रयोग किया. द्वीपवासियों ने पहले तट पर बल्लियां लगाईं और फिर उन्हें नारियल की हरीभरी टहनियों से लपेट दिया. इसके साथ ही स्थानीय लोगों ने बोरों में रेत भरकर एक दीवार सी भी बना दी. 2019 में यह प्रयोग शुरू किया गया. प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के मुताबिक जिन इलाकों में ये किया गया, वहां आज तट 30 मीटर बढ़ चुका है.
स्थानीय प्राइमरी स्कूल में टीचर गिलबेर्ट बासेन कहते हैं, "जब कभी भी हमें जमीन हासिल होती है तो हम इस ढांचे को आगे बढ़ा सकते हैं. कुछ और बल्लियां लगा सकते हैं. जैसी एक कहावत भी है कि चिड़िया तिनका तिनका जोड़कर अपना घोसला बनाती है."
जुलाई 2022 में बासेन और प्रोजेक्ट के प्रमुख पैट्रिक शेवालिए ने नई जमीन में लाल रंग का निशान लगाया. फिर उन्होंने नई लकड़ियां लगाई. ऐसे ही एक प्रयोग के दौरान उन्होंने देखा कि नारियल की सूखी टहनियां ज्यादा रेत रोकती हैं.
असल में सेनेगल के लोगों तक यह जानकारी कनाडा से पहुंची. कनाडा में क्यूबेक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने साबित किया कि इस तरह के ढांचों से तटों की रक्षा की जा सकती है. बासेन कहते हैं, "हमारे पास जो कुछ भी छोटा मोटा है, हम उसी से असाधारण काम कर सकते हैं." दिओगू द्वीप के बच्चे भी अब इस काम में बड़ों का हाथ बंटाते हैं.
बर्बाद होते समुद्री तट
दुनिया के तमाम तटीय इलाकों की तरह सेनेगल में भी कई तटों का कटाव जारी है. संयुक्त राष्ट्र के ग्लोबल पैनल में शामिल जलवायु वैज्ञानिकों के मुताबिक पश्चिमी अफ्रीका के कई निचले इलाके खारे पानी में समाते जा रहे हैं. विश्व बैंक के मुताबिक 2017 में तटों के क्षरण के कारण बेनिन, आइवरी कोस्ट, सेनेगल और टोगो जैसे देशों को 3.8 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. उत्तरी सेनेगल में सेनेगल नदी और समंदर के बीच बसे प्रायद्वीप के 10 हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाना पड़ा.
अपने द्वीप को बचाने की जी जान से कोशिश कर रहे दिओगू के कुछ लोगों को लगता है कि उन्हें भी एक दिन यहां से निकलना ही होगा. गांव के मुखिया चेरिफ दिआते कहते हैं, "ये स्वीकार करना आसान बिल्कुल नहीं है लेकिन एक दिन इस गांव को भी यहां से बाहर निकलना ही होगा."
जलमग्न होती दुनिया
ऐसी चिंताएं सिर्फ पश्चिमी अफ्रीका के जेहन में नहीं हैं. दुनिया की आर्थिक और सामरिक महाशक्ति कहा जाने वाला देश अमेरिका भी इससे अछूता नहीं है. इसी साल की शुरुआत में आई एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि 2050 तक अमेरिका में तटों पर समंदर 25-30 सेंटीमीटर ऊंचा उठ जाएगा.
भारत और इंडोनेशिया जैसे बड़े आबादी वाले देशों में चढ़ता समंदर एक करोड़ से ज्यादा लोगों को पलायन करने पर मजबूर करेगा. इंडोनेशिया तो अपने क्षेत्रफल का करीब साढ़े छह फीसदी हिस्सा खो देगा.
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)