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एससीओ की बैठक में आतंकवाद का मुद्दा उठा सकता है भारत

आमिर अंसारी
४ जुलाई २०२३

भारत मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की सालाना बैठक की मेजबानी करने जा रहा है. बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे.

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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीतस्वीर: MIKE SEGAR/REUTERS

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की मंगलवार को हो रही वर्चुअल बैठक काफी अहम मानी जा रही है. एससीओ समिट दक्षिण अफ्रीका में अगस्त में होने वाले 15वें ब्रिक्स सम्मेलन और दिल्ली में सितंबर में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले हो रही है. भारत की अध्यक्षता में एससीओ प्रमुखों की 23वीं बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी अध्यक्षता करेंगे.

इस साल सम्मेलन की थीम एक सिक्योर (सुरक्षित) एससीओ की ओर है.  2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा SECURE परिवर्णी शब्द गढ़ा गया था जो सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और व्यापार, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण के लिए शाब्दिक था. भारत का कहना है कि एससीओ की उसकी अध्यक्षता के दौरान इन विषयों पर प्रकाश डाला गया है.

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शहबाज, पुतिन और जिनपिंग होंगे शामिल

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस वर्चुअल बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. सम्मेलन में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान को भी आमंत्रित किया गया है. इसके अलावा, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया को ऑब्जर्वर देशों के रूप में आमंत्रित किया गया है. एससीओ की परंपरा के मुताबिक तुर्कमेनिस्तान को भी अध्यक्ष के अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है.  इसके अलावा, छह अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के प्रमुखों, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र, आसियान, सीआईएस, सीएसटीओ, ईएईयू और सीआईसीए को भी आमंत्रित किया गया है.

एससीओ की वर्चुअल बैठक में पाकिस्तान के पीएम, चीनी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति शिरकत करेंगे
एससीओ की वर्चुअल बैठक में पाकिस्तान के पीएम, चीनी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति शिरकत करेंगेतस्वीर: Vadim Savitsky/TASS/picture alliance/dpa

आतंकवाद का मुद्दा उठा सकता है भारत

मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत एससीओ की बैठक में आतंकवाद, कट्टरपंथ, कनेक्टिविटी, ऊर्जा और अफगानिस्तान जैसे मुद्दे पर साझा बयान पर सहमति बनाने पर जोर देगा. साथ ही इस बैठक में महत्वपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर और एससीओ के सदस्य देशों के बीच सहयोग की भावी दिशा तय करने पर चर्चा की जाएगी. इसके अलावा तापी परियोजना पर भी चर्चा मुमकिन है.

तापी वह गैस पाइप लाइन परियोजना है जो तुर्कमेनिस्तान से निकलकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत पहुंचनी है. साल 2010 में इस पाइपलाइन को बनाने पर समझौता हुआ था और 2015 में काम शुरू हुआ था. लेकिन अफगानिस्तान में अस्थिरता के कारण काम ठप है. बैठक में उत्तर-दक्षिण ट्रांजिट कॉरिडोर, नार्कोटिक्स के खिलाफ सख्त कदम उठाना, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा और अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद वहां के हालात पर चर्चा शामिल है.

यूएन: आतंकवाद मानवता के लिए अपमान

इससे पहले अप्रैल में एससीओ के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई थी. भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक की अध्यक्षता की थी और इस बैठक में चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू भी शामिल हुए थे. गलवान झड़प के बाद पहली बार चीन के रक्षा मंत्री बैठक में शामिल होने के लिए भारत आए थे. बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया था और कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ हर तरह के कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि हर तरह का आतंकवाद या इसको मदद करना मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है और इसके साथ शांति और समृद्धि स्थापित नहीं हो सकती है.

इसी साल गोवा में मई में आयोजित एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी आतंकवाद का मुद्दा उठाया था और कहा था कि सभी को आतंकवाद से मिलकर लड़ना होगा.