वैज्ञानिक जो राष्ट्राध्यक्ष बने
वैज्ञानिकों का राजनीति से ज्यादा नाता रहा नहीं है लेकिन कई बार ऐसा हुआ है कि वैज्ञानिक राष्ट्राध्यक्ष बने और खूब चर्चित हुए. जानिए...
क्लाउडिया शाइनबाउम, मेक्सिको
पिछले हफ्ते ही क्लाउडिया शाइनबाउम मेक्सिको की राष्ट्रपति बनी हैं. उन्होंने नेशनल ऑटोनोमस यूनिवर्सिटी ऑफ मेक्सिको (UNAM) से फिजिक्स में ग्रैजुएशन और ऊर्जा इंजीनियरिंग में पीएचडी की थी. उन्होंने पर्यावरण और ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापक शोध किया है. वह इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की सदस्य रही हैं, जिसने 2007 में नोबेल शांति पुरस्कार जीता था.
मार्गरेट थैचर, ब्रिटेन
मार्गरेट थैचर (1925-2013) ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, जिन्होंने 1979 से 1990 तक देश की बागडोर संभाली. राजनीति में प्रवेश करने से पहले, उन्होंने ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और बतौर केमिस्ट काम किया. वहां उन्होंने प्लास्टिक और पॉलिमर के क्षेत्र में योगदान दिया.
अंगेला मैर्केल, जर्मनी
अंगेला मैर्केल (जन्म 1954) जर्मनी की चांसलर थीं, जिन्होंने 2005 से 2021 तक देश का नेतृत्व किया. राजनीति में आने से पहले, मर्केल ने क्वॉन्टम रसायन विज्ञान में पीएचडी की और एक प्रमुख वैज्ञानिक शोधकर्ता के रूप में काम किया था.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, भारत
भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (1931-2015) एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति थे. वह "मिसाइल मैन " के नाम से प्रसिद्ध हैं, क्योंकि उन्होंने भारतीय मिसाइल तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन व रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन में प्रमुख भूमिकाएं निभाईं.
युकियो हातोयामा, जापान
युकियो हातोयामा (जन्म 1947) 2009 से 2010 तक थोड़े समय के लिए जापान के प्रधानमंत्री थे. राजनीति में आने से पहले, उन्होंने स्टैनफर्ड विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में पीएचडी प्राप्त की और ऑपरेशंस रिसर्च और सिस्टम्स इंजीनियरिंग में अध्ययन किया. हातोयामा ने "फजी लॉजिक" के सिद्धांतों पर शोध किया, जो निर्णय लेने और समस्या समाधान के जटिल मुद्दों को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण है.
हर्बर्ट हूवर, अमेरिका
हर्बर्ट हूवर (1874-1964) अमेरिका के 31वें राष्ट्रपति थे, जो 1929 से 1933 तक इस पद पर रहे. वह एक कुशल इंजीनियर और भूविज्ञानी थे, जिन्होंने स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी से भूविज्ञान में डिग्री ली थी. उसके बाद हूवर ने विभिन्न देशों में माइनिंग इंजीनियर के रूप में काम किया, जिससे उन्हें "द ग्रेट इंजीनियर" के रूप में ख्याति मिली.