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तकनीकबेल्जियम

हड्डियों की गंध को बोतल में बंद करने की कोशिश

२० जनवरी २०२५

मरने के बाद समय के साथ-साथ हड्डियों की गंध बदलती जाती है. इसलिए बहुत लंबे समय पहले खोए लोगों को खोजना मुश्किल हो जाता है. अब एक वैज्ञानिक इस गंध को बोतल में बंद करने की कोशिश कर रहा है.

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ब्राजील में एक खोजी कुत्ता
हड्डियों की गंध की मदद से खोजी कुत्ते पुरानी हड्डियां खोज सकते हैंतस्वीर: DOUGLAS MAGNO AFP via Getty Images

बेल्जियम का एक वैज्ञानिक देश की संघीय पुलिस के साथ मिलकर एक ऐसी सुगंध तैयार करने पर काम कर रहा है जो सूखी इंसानी हड्डियों की गंध जैसी हो. इसका मकसद यह है कि खोजी कुत्ते पुरानी और लंबे समय से गायब इंसानी अवशेषों को ढूंढने में सक्षम हो सकें.

वैज्ञानिक का नाम क्लेमां मार्टिन है और वह पहले ही इंसानी मांस के सड़ने-गलने पर निकलने वाली गंध को अलग कर चुके हैं. इस गंध का अब बेल्जियम के खोजी कुत्तों (कैडावर डॉग्स) को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है.

जब इंसानी शरीर का मुलायम ऊतक (सॉफ्ट टिश्यू) खत्म हो जाता है, तो हड्डियों में मौजूद गंध के अणुओं (सेंट मॉलिक्यूल्स) की संख्या काफी कम हो जाती है. मार्टिन ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि यही वजह है कि यह एक चुनौती बन जाती है.

क्यों है चुनौती

उन्होंने कहा, "हड्डियों की गंध समय के साथ बदलती रहती है. तीन साल पुरानी हड्डी की गंध दस साल पुरानी हड्डी से अलग होगी और बीस साल पुरानी हड्डी की गंध उससे भी अलग होगी."

इसके अलावा, हड्डियों में झरझरा (पोरस) गुण होता है, जिसके कारण वे अपने आसपास के वातावरण की गंध को भी सोख लेती हैं, जैसे मिट्टी की या पेड़ों की.

फेडरल पुलिस डॉग ट्रेनिंग के प्रमुख क्रिस कार्दोएन ने कहा, "पुराने मामलों (कोल्ड केस) की स्थिति में, हमारे कुत्तों के लिए सूखी हड्डियों को ढूंढ पाना मुश्किल था. यही हमारी सबसे बड़ी कमी थी."

मई 2023 में जर्नल ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, सूखी हड्डियों से निकलने वाले वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों की पहचान करना बेहद चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इनमें प्राकृतिक अपघटन की प्रक्रिया और पर्यावरणीय कारक प्रमुख भूमिका निभाते हैं. इस शोध में बताया गया कि हड्डियों की "गंध" पर मौसम, मिट्टी का प्रकार, वनस्पति और नमी का गहरा प्रभाव होता है.

कुत्तों की ट्रेनिंग

ब्रसेल्स के बाहर स्थित एक पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में इंस्पेक्टर क्रिस्टोफ वान लांगनहोवे और उनके कुत्ते ने मार्टिन की गंध तकनीक का प्रदर्शन किया. लांगनहोवे का कुत्ता स्प्रिंगर स्पैनियल नस्ल का है और उसका नाम ‘बोन्स' है,

कार्दोएन ने कुछ टिश्यू (ऊतक) को कंक्रीट के ब्लॉकों के बीच छिपाया और उनमें से केवल कुछ को गंध से संक्रमित किया. फिर, कुत्ते ने सही गंध मिलने पर भौंक कर संकेत दिया. कार्दोएन ने बताया, "हमारे ह्यूमन रिमेन्स डॉग (मानव अवशेष खोजी कुत्ते) की बुनियादी ट्रेनिंग में ‘डेथ सेंट' (मृत्यु की गंध) तीन मुख्य उपकरणों में से एक है."

खोजी कुत्ते का टेस्ट

कैडावर डॉग्स को प्रशिक्षित करने में लगभग 1,000 घंटे लगते हैं और देश में किसी भी समय केवल चार ही ऐसे कुत्ते होते हैं. कोविड महामारी के समय कुत्तों को कोरोनावायरस सूंघने की ट्रेनिंग दी गई थी.

मार्टिन सूखी हड्डियों के अलग-अलग नमूनों का उपयोग करके गंध विकसित कर रहे हैं. इनमें एक अनजान व्यक्ति की हड्डियां भी शामिल हैं, जिन्हें एक सूटकेस में पाया गया था. इन हड्डियों को एक कांच के सिलेंडर में रखा गया है ताकि अणु बंद जगह में फैल सकें और फिर उन्हें निकाला जा सके.

मार्टिन ने कहा, "यह कुछ वैसा ही है जैसे एक इत्र बनाने वाला (पर्फ्यूमर) अपनी खुशबू बनाता है. वह अलग-अलग सुगंधों को मिलाता है."

वीके/एनआर (रॉयटर्स)