प्रदूषण: दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
२ दिसम्बर २०२१राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण की हालत में कोई सुधार ना देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की नाकामी पर हताशा व्यक्त की है. अदालत ने प्रदूषण को कम करने में सरकार की नाकामी पर नाराजगी तो जताई ही, स्कूलों के खुले होने पर विशेष रूप से ऐतराज जताया.
अदालत ने पूछा कि पिछली सुनवाई के बाद ही जब दिल्ली सरकार ने स्कूल बंद करवा दिए थे तो वायु गुणवत्ता में सुधार ना आने के बावजूद स्कूलों को फिर से क्यों खोला गया. अदालत ने कहा, "तीन-चार सालों के बच्चे स्कूल जा रहे हैं लेकिन बड़े घर से काम कर रहे हैं."
अदालत सरकार से नाराज
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने यहां तक कह दिया कि सरकार का कामकाज देखने के लिए अदालत को ही किसी को नियुक्त करना पड़ेगा. अदालत की फटकार का त्वरित असर यह हुआ कि सरकार ने एक बार फिर स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है. स्कूल अगले आदेश तक बंद रहेंगे.
स्कूलों और कॉलेजों में ऑफलाइन पढ़ाई को 13 नवंबर को बंद कर दिया गया था लेकिन 29 नवंबर को मौसम का पूर्वानुमान देखते हुए फिर खोल दिया गया था. अदालत पिछले चार हफ्तों से लगातार दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई कर रही है.
शुरुआती सुनवाइयों में पड़ोसी राज्यों में जलाई जाने वाली पराली के धुएं के दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर असर पर ध्यान केंद्रित रहा, लेकिन ताजा सुनवाई में केंद्र सरकार ने अदालत का ध्यान दिल्ली में औद्योगिक प्रदूषण और गाड़ियों के धुएं से होने वाले प्रदूषण पर खींचने की कोशिश की.
अब उद्योगों और गाड़ियों पर ध्यान
केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि ये उद्योग और गाड़ियां दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का मुख्य कारण हैं. जब अदालत ने पूछा कि इसके मद्देनजर सरकार क्या कदम उठा रही है तो केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कुछ दिनों का समय मांगा. अदालत ने सिर्फ 24 घंटे का समय दिया और कहा कि अगर शुक्रवार तीन दिसंबर तक सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए तो अदालत खुद कुछ निर्देश देगी.
दिल्ली एनसीआर में यूं तो प्रदूषण के कई कारण हैं, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक औद्योगिक प्रदूषण का प्रदूषण में 18.6 प्रतिशत का योगदान है. इस इलाके में 3,100 से ज्यादा छोटे बड़े उद्योग हैं और इस प्रदूषण को इन्हीं का योगदान माना जाता है.
आब्जर्वर रिसर्च फाउंडशन की रिपोर्ट के मुताबिक गाड़ियों के धुएं का तो प्रदूषण में 41 प्रतिशत का योगदान है. दिल्ली में एक करोड़ से भी ज्यादा पंजीकृत वाहन हैं, जिनमें ट्रक, ट्रैक्टर, कारें, तीन पहियों वाले और दुपहिया वाहन शामिल हैं. इनके अलावा दिल्ली से हो कर गुजरने वाले ट्रक भी दिल्ली के प्रदूषण को बढ़ाते हैं.