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एक टीवी सीरीज के इतने दीवाने क्यों हो गए हैं रूस के लोग

स्वाति मिश्रा
२२ दिसम्बर २०२३

रूस में इन दिनों एक सीरीज की धूम है. इसमें सोवियत संघ के दौर के स्ट्रीट गैंग की कहानी है. बेहद हिंसा से भरे इसके कथानक में ढलते हुए सोवियत समाज में फैली निराशा और बेबसी गहराई से दिखती है.

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मॉस्को के रेड स्क्वैयर में सेंट बेसिल कैथेड्रल के सामने खड़ा एक शख्स, जिसकी जैकेट पर सोवियत संघ के झंडे को दिखाता प्रिंट है.
"द बॉइज वर्ड: ब्लड ऑन दी अस्फाल्ट" की कहानी सोवियत संघ के दौर में कजान शहर के सक्रिय खूंखार गिरोहों को दिखाती है. (सांकेतिक तस्वीर)तस्वीर: Alexander Nemenov/AFP/Getty Images

इन दिनों रूस में एक सीरीज बड़ी लोकप्रिय है. इसकी कहानी किशोरों के एक गैंग पर आधारित है, जो अपने अस्तित्व, पैसा और प्यार के लिए जूझ रहे हैं. कथानक दिखाता है कि इस दौरान उनके साथ कैसी त्रासदियां हुईं.

"द बॉइज वर्ड: ब्लड ऑन दी अस्फाल्ट" की कहानी रूस के कजान शहर में सक्रिय खूंखार गिरोहों को दिखाती है. 1980 के जिस दौर को कथानक का केंद्र बनाया गया है, तब तत्कालीन राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव के सुधारों के बाद सोवियत संघ विघटन की ओर बढ़ रहा है. इस दशक में रूस के स्ट्रीट गैंग्स काफी कुख्यात थे और कजान की हालत भी ऐसी ही थी.

कजान फेनॉमनन

वोल्गा नदी के किनारे बसा कजान, दक्षिण-पश्चिमी रूस के "रिपब्लिक ऑफ ततरस्तान" की राजधानी है. यह एक प्राचीन शहर है. 1980 के दशक में सोवियत संघ के कई शहरों में नाबालिग आपराधिक गिरोहों का बोलबाला था. इनमें से ही एक था कजान.

इस समस्या की पृष्ठभूमि 1965 के आर्थिक सुधारों से जुड़ी थी, जब कारोबारी उपक्रमों को थोड़ी आजादी दी गई. इसके बाद कई लोग अवैध तौर पर सामान बनाने और बेचने लगे. इसमें मुनाफा काफी ज्यादा था. इन सामानों को बेचने के लिए गैरकानूनी दुकानें खुलने लगीं, जहां काम करने वालों का अलग समूह बनने लगा. ऐसे काम को चलाने के लिए भ्रष्टाचार, जुगाड़ और अपराध सबका सहारा लिया जाता था. ऐसी गतिविधियों के लिए शारीरिक तौर पर मजबूत युवाओं की जरूरत थी, जिसने गिरोहों को जन्म दिया. नाबालिगों के गिरोह बनने लगे.

कजान में ये स्थिति इतनी गंभीर थी कि इसके लिए "काजन फेनॉमनन" का एक खास टर्म इस्तेमाल होने लगा. ये गिरोह हथियारबंद लूट, रंगदारी, वसूली, मारपीट और यहां तक कि हत्या जैसे अपराधों को अंजाम देते थे.

कजान क्रेमलिन
तस्वीर में दिख रहे कजान क्रेमलिन के परिसर में 16वीं से 19वीं सदी के बीच की कई ऐतिहासिक इमारतें हैं. यह एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. तस्वीर: Yegor Aleyev/dpa/TASS/picture alliance

संगठित अपराध की ओर मुड़े किशोर

"द यूरोगैंग्स पैराडॉक्स" नाम की किताब में "तयाप-लयाप" नाम के एक गिरोह का जिक्र है. ये पहला गैंग था, जिसकी आपराधिक गतिविधियां कजान पुलिस में दर्ज हुईं. ये गिरोह जिस इलाके में विकसित हुआ, वहां ज्यादातर वर्किंग क्लास की बसाहट थी. इसका सरगना सर्गेई एंतीपोव शुरुआत में बॉक्सिंग क्लब चलाता था.

इलाके के युवा और किशोर उम्र के लड़के इससे जुड़ने लगे. धीरे-धीरे वो आपराधिक गतिवधियों में शामिल होते गए और गिरोह बना लिया. ताकत और दबदबा बढ़ने पर ये गिरोह नए इलाकों में फैलने लगा, उन्हें अपना इलाका बताने लगा. फिर इसकी देखादेखी और जवाब में कई और संगठित गिरोह बनने लगे. शहर इन गिरोहों के बीच बंट गया.

"ब्लड ऑन दी अस्फाल्ट" में ऐसे ही किशोरों और उनके गिरोह की कहानी है. उस वक्त जब विघटन की ओर बढ़ रहे सोवियत में समाज और व्यवस्था के स्तर पर बड़े बदलाव हो रहे थे, तब इसके साथ ही किशोरों की जानी-समझी दुनिया जैसे सिर के बल पलट रही थी. ऐसे में वो गिरोहों की ओर मुड़े, जिसके माहौल में उन्हें ना केवल एक किस्म के परिवार की भावना मिली, बल्कि उन्हें सुरक्षा, पैसा, रोमांच भी मिल रहा था. हालांकि यह दुनिया बहुत हिंसक और खतरनाक भी थी.

सीरीज में तीन मुख्य किरदार हैं- आंद्रेई, मरात और वोवा. वो बेहद हिंसक स्थितियों में घिरे हैं. हत्या, बलात्कार, खुदकुशी, सनक और सबसे बढ़कर खुद अपनी वजह से उनके सपने चिथड़े-चिथड़े हो गए. सीरीज में हिंसा सभी मुख्य किरदारों की तबाही का कारण बनती है. 

इसका स्क्रीनप्ले लिखने वाले आंद्रेई जोलोतारेव ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "मेरे लिए यह बदले और मुक्ति की एक कहानी है, जो दिखाती है कि बुरा करने पर कैसे हमेशा बुराई ही मिलती है."

जोलोतारेव का जन्म 1982 में हुआ था. उन्हें याद है कि 1990 के दशक की शुरुआत के समय जब अपराध की लहर थी, उस दौर में उनके घर के पास का कब्रिस्तान क्राइम का गढ़ बन गया था. शीत युद्ध की समाप्ति एक ओर जहां लोकतंत्र और आर्थिक तरक्की की उम्मीद लाई, वहीं रूस की एक बड़ी आबादी गरीबी, भ्रष्टाचार और हिंसा से जूझ रही थी.

एक पैडेस्टल पर लगा .यूक्रेन का झंडा. यहां रूस की रानी कैथरीन द्वितीय की एक मूर्ति हुआ करती थी, जिसे 2022 में हटा दिया गया.
रूस के साथ-साथ यह सीरीज यूक्रेन में भी काफी लोकप्रिय है. खबरों के मुताबिक, यूक्रेन में भी अधिकारी इस सीरीज को बैन करना चाहते हैं. तस्वीर में: एक पैडेस्टल पर लगा .यूक्रेन का झंडा. यहां रूस की रानी कैथरीन द्वितीय की एक मूर्ति हुआ करती थी, जिसे 2022 में हटा दिया गया. तस्वीर: Kyodo/picture alliance

रूस और यूक्रेन दोनों में लोकप्रिय

यह रूस की सबसे लोकप्रिय सीरीज बन गई है. हालांकि कई अधिकारी इसे प्रतिबंधित किए जाने की मांग कर रहे हैं. उनके मुताबिक, सीरीज में आपराधिक गिरोहों का महिमामंडन किया गया है और रूस के युवा इससे प्रभावित हो सकते हैं.

ततरस्तान के प्रमुख रुस्तम मिन्नीखानोव ने भी इस सीरीज पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि सीरीज में गिरोहों को रोमांटिसाइज किया गया है और यह गिरोहों के खतरनाक अतीत को फिर से उकसावा दे सकता है. मिन्नीखानेव ने कहा कि वह क्रेमलिन से इसे ब्लॉक करने को कहेंगे.

दिलचस्प पहलू यह है कि एक ओर जहां रूसी प्रशासन के कई लोग सीरीज पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग कर रहे हैं, वहीं कथित तौर पर खुद रूस के पब्लिक ऑर्गनाइजर इंटरनेट डिवेलपमेंट इंस्टिट्यूट ने इसकी फंडिंग की है. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि इस सीरीज को यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले कमीशन किया गया था.

दिलचस्प यह भी है कि रूस के साथ-साथ यह सीरीज यूक्रेन में भी काफी लोकप्रिय है. खबरों के मुताबिक, यूक्रेन में भी अधिकारी इस सीरीज को बैन करना चाहते हैं. उन्हें चिंता है कि यह सीरीज रूसी दुष्प्रचार तंत्र का काम कर रही है.

हाल ही में यूक्रेन के संस्कृति मंत्री ने बिना नाम लिए लोगों से "हिंसा को बढ़ावा दे रही रूसियों द्वारा बनाई गई सीरीज," ना देखने की अपील की. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्यादातर स्ट्रीमिंग पाइरेट प्लेटफॉर्म्स से होने के कारण इसके देखने-दिखाने पर नियंत्रण करना मुश्किल हो रहा है.

अब इस इलाके पर रूस की नजर