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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

अंतरिक्ष में टुकड़े-टुकड़े हुआ रूसी उपग्रह

२८ जून २०२४

रूस का एक उपग्रह अंतरिक्ष में टूटकर 100 टुकड़ों में बंट गया. इसके मलबे से बचने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को शरण लेनी पड़ी.

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2019 में आईएसएस से ली गई पृथ्वी की तस्वीर
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पृथ्वीतस्वीर: NASA Earth/ZUMA Wire/ZUMAPRESS.com/picture alliance

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि रूस का एक उपग्रह टुकड़े-टुकड़े हो गया और इसका मलबा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की ओर बढ़ने लगा, जिसके बाद अंतरिक्ष यात्रियों को बचने के लिए शरण लेनी पड़ी.

पी-1 नाम का यह उपग्रह 2022 में ही काम करना बंद कर चुका था. इसके टूटने की वजह अभी सामने नहीं आई है. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि इसके मलबे से अन्य उपग्रहों को फिलहाल कोई खतरा नहीं है.

यह घटना 26 जून को हुई और मलबा जब फैलने लगा तो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को करीब एक घंटे तक अपने यान में छिपा रहना पड़ा. रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकोसमोस ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है.

100 से ज्यादा टुकड़े हुए

अमेरिकी स्पेस कमांड के पास रडार का एक वैश्विक नेटवर्क है जो अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों पर नजर रखता है. उसने कहा कि पी-1 टूटकर 100 से ज्यादा टुकड़ों में बंट गया था. उपग्रहों की निगरानी करने वाली कंपनी लियोलैब्स ने कहा कि गुरुवार दोपहर तक उसने कम से कम 180 टुकड़े गिन लिए थे.

अंतरिक्ष में मानवनिर्मित उपग्रहों और उपकरणों के मलबे में पिछले कुछ सालों में लगातार वृद्धि हुई है. हालांकि इस मलबे के कारण किसी बड़े हादसे की संभावना कम होती है लेकिन लगातार बढ़ता मलबा वैज्ञानिकों के लिए चिंता का सबब रहा है.

पी-1 उपग्रह जब टूटा तब वह पृथ्वी की निचली कक्षा में करीब 355 किलोमीटर की ऊंचाई पर था. यह छोटे उपग्रहों के लिए एक लोकप्रिय क्षेत्र है, जहां हजारों छोटे उपग्रह स्थापित हैं. इनमें स्पेस एक्स के स्टारलिंक उपग्रहों का बड़ा नेटवर्क और चीन का स्पेस स्टेशन भी शामिल है, जिस पर तीन अंतरिक्ष यात्री मौजूद हैं.

लियोलैब्स ने कहा, "चूंकि यह मलबा निचली कक्षा में फैला है तो हमारा अनुमान है कि इस खतरनाक मलबे को हटने में हफ्तों से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है.”

छह अंतरिक्ष यात्री मौजूद

बुधवार को जब पी-1 टूटा तब इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौजूद पांच अमेरिकी और एक रूसी अंतरिक्ष यात्री को नासा ने चेतावनी भेजी और उन्हें सुरक्षा के लिए जरूरी तय कार्रवाई का निर्देश दिया. तब वे सभी उन अंतरिक्ष यानों में जा बैठे, जिनमें उड़कर वे पृथ्वी से अंतरिक्ष में गए हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि खतरा बढ़ने पर वे वहां से निकल सकें.

इन अंतरिक्ष यात्रियों में बुच विलमोर और सुनीता विलियम्स भी हैं जो 6 जून को बोइंग के स्टारलाइनर यान से स्पेस स्टेशन गए थे. उन्हें आठ दिन बाद ही वापस आना था लेकिन स्टारलाइनर में खराबी के कारण वे वहीं फंसे हुए हैं और उन्हें वापस लाने की कोशिशें की जा रही हैं.

इन दोनों के अलावा एक रूसी अंतरिक्ष यात्री ने स्पेसएक्स के यान क्रू ड्रैगन में शरण ली, जो मार्च में अंतरिक्ष में गया था. बचे हुए तीन अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस के सोयूज यान में शरण ली जो पिछले साल सितंबर में उन्हें लेकर गया था. करीब एक घंटे बाद ये अंतरिक्ष यात्री वापस स्पेस स्टेशन में लौटे.

अंतरिक्ष में पृथ्वी के ऊपर 25 हजार ऐसे टुकड़े मौजूद हैं जिनका आकार चार इंच से ज्यादा है. ये टुकड़े उपग्रहों में हुए विस्फोट या उनकी टक्कर के कारण बने हैं. इनके कारण वैज्ञानिकों को केसलर इफेक्ट की चिंता है. केसलर इफेक्ट उस प्रक्रिया को कहते हैं जिनमें उपग्रह मलबे से टकराकर टूटते हैं और मलबे की मात्रा बढ़ती जाती है. इस तरह और ज्यादा उपग्रहों के टूटने का खतरा भी बढ़ता जाता है.

मिसाइल तो नहीं थी?

2021 में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने रूस की तब कड़ी आलोचना की थी जब उसने अपने एक काम करना बंद कर चुके उपग्रह को विस्फोट से ध्वस्त कर दिया था. यह विस्फोट प्लेस्तेस्क से भेजी गई एक एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (एसैट) के जरिए किया गया.

यह विस्फोट असल में 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से पहले एक परीक्षण था जिसके कारण मलबे के हजारों टुकड़े पृथ्वी की कक्षा में फैल गए. अंतरिक्ष पर नजर रखने वाले हार्वर्ड के खगोलविद जोनाथन मैक्डोवेल ने बताया कि रीसर्स-पी1 नाम के इस उपग्रह के टूटने से ये टुकड़े पृथ्वी के वातावरण तक भी पहुंचे लेकिन रूस की तरफ से मिसाइल के लॉन्च का कोई अलर्ट नहीं था.

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वह कहते हैं, "मुझे यकीन नहीं होता कि वे एसैट के निशाने के तौर पर इतने बड़े उपग्रह का इस्तेमाल करेंगे. लेकिन आजकल रूसियों के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है.”

जो उपग्रह अपनी उम्र पूरी कर लेते हैं और काम करना बंद कर देते हैं वे कई सालों तक कक्षा में घूमते रहते हैं और फिर पृथ्वी पर गिर जाते हैं. कुछ दुर्लभ मामलों में ऐसा होता है कि वे उड़कर पृथ्वी की कक्षा में 36 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर उस जगह पहुंच जाते हैं जहां सक्रिय उपग्रह मौजूद हैं.

रोसकोसमोस ने पी-1 को 2021 में तब डिकमीशन कर दिया था, जब उपकरणों की खराबी के कारण उसने काम करना बंद कर दिया था. यह फैसला एक साल बाद सार्वजनिक किया गया था. तब से यह उपग्रह लगातार नीचे की ओर आ रहा है और अंततः पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर जाएगा.

वीके/एए (रॉयटर्स)

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