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चीन और भारत में बनी सीमा पर तनाव घटाने की सहमति

२३ जून २०२०

करीब 50 सालों में पहली बार भारत और चीन के बीच हिमालयी सीमा पर हुई हिंसक मुठभेड़ के एक हफ्ते बाद दोनों पक्षों ने हालात शांत करने पर सहमति बना ली है.

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Indischer Grenzsoldat an der Grenze zu China
चीन से लगी लद्दाख की सीमा पर ड्यूटी करते भारत के सीमा सुरक्षा बल के जवान. तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustfa

एलएसी या लाइन ऑफ एक्चूअल कंट्रोल पर 15 जून को हुई हिंसा में भारतीय सेना के 20 लोगों ने जान गंवाई थी. 1975 के बाद से यहां इतने बड़े स्तर की कोई वारदात नहीं हुई थी. इस मुठभेड़ के बाद से दोनों एशियाई महाशक्तियों के बीच तनाव गहराने लगा था और संबंध खराब होते दिख रहे थे. 

दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति की जानकारी देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि दोनों पक्षों के शीर्ष स्थानीय सैन्य कमांडरों के बीच हुई है और दोनों "हालात को ठंडा करने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए तैयार हैं." समाचार एजेंसी पीटीआई ने लिखा है कि भारत की तरफ से 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की ओर से तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक के मेजर जनरल ने बातचीत में हिस्सा लिया. भारत की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लद्दाख क्षेत्र में आगे की रणनीति पर भी खुलासे का इंतजार है.

रूस में भारतीय रक्षा मंत्री

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समय रूस के दौरे पर हैं. 23 जून की देर शाम भारत, चीन और रूस के विदेश मंत्रियों का वर्चुअल सम्मेलन होने से पहले ही भारत-चीन का यह विवाद सुलझा लिया गया. इस बैठक में खास तौर पर कोरोना वायरस महामारी पर चर्चा और दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने की 75वीं वर्षगांठ मनाई जानी है.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव पहले ही कह चुके थे कि उन्हें नहीं लगता कि भारत और चीन के बीच रूस को मध्यस्थता करने की कोई जरूरत है. इन दोनों ही देशों को रूस बहुत ज्यादा हथियारों का निर्यात करता है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट छापी है कि राजनाथ सिंह अपने इस दौरे में रूस पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे कि वह भारत को एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और फाइटर विमानों, टैंकों, पनडुब्बियों के पार्ट्स की फास्ट-ट्रैक डिलिवरी करने का प्रयास करे. 

20 जून, 2020: रूसी राजधानी मॉस्को में विजय दिवस की परे़ड का अभ्यास करते सैन्य विमान.
20 जून, 2020: रूसी राजधानी मॉस्को में विजय दिवस की परे़ड का अभ्यास करते सैन्य विमान.तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Novoderezhkin

कोरोना काल में भी भारत की समारोही उपस्थिति

यूरोप में विश्व युद्ध खत्म होने की 75वीं वर्षगांठ पर रूस में आयोजित हो रहे कार्यक्रमों में भारतीय रक्षा मंत्री खुद हिस्सा लेने पहुंचे हैं. राजधानी मॉस्को के लाल चौक पर बड़ी सैन्य परेड का आयोजन होना है. विजय दिवस की परेड पहले 9 मई को होनी थी जिसे कोरोना के चलते टाल दिया गया था. अब भी विश्व स्वास्थ्य संगठन रूस में परेड आयोजित करने को लेकर चेतावनी दे चुका है लेकिन रूस ने अपनी योजना नहीं बदली.

सोवियत संघ की ओर से लड़ने वाले करीब 2.7 करोड़ लोग इस विश्व युद्ध में मारे गए थे. हाल ही में रूसी राष्ट्रपति ने एक अमेरिकी जर्नल में इस पर लेख लिखा है कि कैसे नाजी जर्मनी को पहले सोवियत सेनाओं ने हराया और उसी से युद्ध की समाप्ति संभव हुई. ऐतिहासिक रूप से पोलैंड और रूस के इस पर मतभेद रहे हैं कि युद्ध शुरू किसने किया. इसकी शुरुआत 1 सितंबर 1939 को पोलैंड पर पश्चिम से जर्मनी के हमले से मानी जाती है. इसके बाद फ्रांस और ब्रिटेन ने जर्मनी पर धावा बोल दिया और उसके बाद सोवियत सेना ने पूर्वी पोलैंड पर कब्जा कर लिया था.

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एडिटर, डीडब्ल्यू हिन्दी
ऋतिका पाण्डेय एडिटर, डॉयचे वेले हिन्दी. साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' की होस्ट.@RitikaPandey_