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विज्ञानमिस्र

मिस्र में मिले अब तक की सबसे छोटी व्हेल के अवशेष

१५ अगस्त २०२३

मिस्र में एक व्हेल मछली के अवशेष मिले हैं. यह व्हेल मछलियों की नई प्रजाति है, जिसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं थी. यह अब तक ज्ञात सबसे छोटी व्हेल मछली है.

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Ägypten | Tutcetus Rayanensis - neue Art eines ausgestorbenen Wals entdeckt
अब तक जितनी व्हेलों के जीवाश्म मिले हैं, उनमें यह सबसे छोटी व्हेल बताई जा रही है.तस्वीर: American University in Cairo/AFP

मिस्र और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने ऐसी व्हेल मछली के अवशेष खोजे हैं, जिसे अब तक की सबसे छोटी व्हेल मछली बताया जा रहा है. बासिलोसॉरिड व्हेल मछली के ये अवशेष चार करोड़ साल से भी ज्यादा पुराने हैं और यह प्रजाति अब तक ज्ञात सबसे छोटी व्हेल प्रजाति है. इस मछली के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं थी.

वैज्ञानिकों को बासिलोसॉरिड व्हेल की खोपड़ी, जबड़ा और दांत मिले हैं. इसके जीवाश्म एक चूना पत्थर में जड़े हुए हैं और पूरी तरह सुरक्षित हैं. मिस्र के जिस इलाके फायूम डिप्रेशन में ये अवशेष मिले हैं, वह राजधानी काहिरा से करीब 100 किलोमीटर दक्षिण में है और अपने जीवाश्म अवशेषों के लिए प्रसिद्ध है.

Ägypten | Fossil vierbeiniger Wal "Phiomicetus Anubis"
फायूम डिप्रेशन इलाके में अब तक तमाम शोधकर्ताओं को लाखों साल पहले के जानवरों के जीवाश्म मिल चुके हैं.तस्वीर: Mohamed Abd El Ghany/REUTERS

तूतनखानम के नाम पर

शोधकर्ताओं के मुताबिक ये अवशेष जिस मछली के हैं, वह करीब 4.1 करोड़ साल पहले धरती पर मौजूद रही होगी और अपने वयस्क जीवन के पास पहुंच रही होगी. इस प्रजाति का वैज्ञानिक नाम टुटसेटस रेयानेन्सिस है, जो प्राचीन मिस्र के राजा तूतनखानम के नाम पर दिया गया है. तूतनखानम को बॉय किंग भी कहा जाता है. इसमें तूतनखानम से तूत लिया गया है और 'सेटस' ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है व्हेल.

इस खोज के बारे में हाल ही में ‘कम्युनिकेशंस बायोलॉजी' पत्रिका में एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ था. इस शोध पत्र के मुताबिक यह व्हेल मछली मात्र ढाई मीटर लंबी होती थी और इसका वजन 187 किलोग्राम था. अब तक बासिलसॉरिड श्रेणी में वे जीव रखे जाते हैं, जो चार से 18 मीटर के बीच होते हैं. लेकिन टुटसेटस रेयानेन्सिस का आकार उससे बहुत कम है, जो वैज्ञानिकों के लिए हैरत की बात है.

Symbolbild I Delfin
शोध पत्र के मुताबिक यह व्हेल मछली मात्र ढाई मीटर लंबी होती थी और इसका वजन 187 किलोग्राम था.तस्वीर: B. Eichenseher/blickwinkel/picture alliance

गर्मी ने छोटा किया कद

मिस्र की मनसूरा यूनिवर्सिटी के मोहम्मद आंतेर के नेतृत्व में यह शोध हुआ है. वह मानते हैं कि अन्य बॉसिलोसॉरिड जीवों की तुलना में टुटसेटस रेयानेन्सिस का आकार छोटा होने की वजह धरती पर गर्मी बढ़ना रहा होगा. करीब 4.2 करोड़ साल पहले धरती पर तापमान एकाएक बढ़ गया था. उस परिघटना को 'लुटेशियन थर्मल मैक्सिमम' कहा जाता है.

Boulders shaped by the wind erosion at Wadi al-Hitan, the Whale Valley Boulders at Wadi al-Hitan, the Valley of the Whal
मिस्र में 'वैली ऑफ दि व्हेल' कहलाने वालसी इस जगह को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है.तस्वीर: Radek Kucharski/Zoonar/IMAGO

वैज्ञानिकों ने टुटसेटस को बासिलोसॉरिड प्रजाति में इसलिए रखा है, क्योंकि उसके गाल के पास के दांतों में वैसी ही नोक हैं, जैसे इस प्रजाति के अन्य जीवों में पाई गई हैं. यह प्रजाति करोड़ों साल पहले ही विलुप्त हो चुकी है, लेकिन टुटसेटस इस प्रजाति के अन्य जीवों से कई मायनों में अलग भी है. मसलन, इसकी नाक का आकार और प्रकार अलग है और दांतों का आकार भी छोटा है.

वीके/वीएस (डीपीए)