2022 में भारत में रोज आई एक आपदा
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में अभी तक भारत में लगभग रोज किसी न किसी तरह की एक प्राकृतिक आपदा देखने को मिली. इनमें कम से कम 2,755 लोग मारे गए.
रोज एक आपदा
गैर लाभकारी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट और डाउन टू अर्थ पत्रिका की यह रिपोर्ट कहती है कि सितंबर, 2022 तक भारत में रोज एक प्राकृतिक आपदा देखने को मिली. इसमें गर्मी की लहर, शीत लहर, चक्रवात, बिजली, भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं शामिल हैं.
2,755 लोग मरे
चरम मौसम की इन घटनाओं में जानमाल का भारी नुकसान हुआ. कम से कम 2,755 लोग और करीब 70,000 मवेशी मारे गए, 18 लाख हेक्टेयर में फैली फसलें बर्बाद हो गईं और 4,16,667 मकान टूट गए. संस्था का कहना है कि इस अनुमान के वास्तविक आंकड़ों से कम ही होने का अंदेशा है.
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा
मध्य प्रदेश को सबसे ज्यादा चरम मौसम की घटनाओं का सामना करना पड़ा. राज्य में औसत हर दूसरे दिन कोई न कोई आपदा आई और इन आपदाओं में 301 लोगों की मौत हो गई. असम में भी 301 लोग मारे गए, लेकिन वहां इतनी आपदाएं नहीं आईं.
हिमाचल प्रदेश का खूनी रिकॉर्ड
हिमाचल प्रदेश में भी मध्य प्रदेश जितनी आपदाएं नहीं आईं लेकिन वहां आपदाओं से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा रही. प्रदेश में कुल 359 लोग मारे गए.
कर्नाटक में फसलें बर्बाद
पूरे देश में फसलों की जितनी बर्बादी हुई, उसमें से 50 प्रतिशत हिस्सा अकेले कर्नाटक का रहा. प्रदेश में चरम मौसम के कुल 82 दिन देखे गए.
केंद्रीय भारत में सबसे ज्यादा असर
केंद्रीय और उत्तर-पश्चिमी इलाकों में चरम मौसम की घटनाओं के दिन सबसे ज्यादा रहे (198 और 195). केंद्रीय भारत में सबसे ज्यादा (887) लोग मारे गए. उसके बाद स्थान रहा पूर्वी और उत्तरपूर्वी भारत का, जहां 783 लोग मारे गए.
सबसे गर्म, सबसे गीला और सबसे सूखा
जनवरी 2022, 1901 के बाद सबसे ज्यादा बारिश वाला जनवरी का महीना रहा. मार्च 2022 इतिहास में सबसे ज्यादा गर्म और 121 सालों में सबसे सूखा मार्च रहा. यही नहीं 1901 के बाद इस साल तीसरा सबसे गर्म अप्रैल, 11वां सबसे गर्म अगस्त और आठवां सबसे गर्म सितंबर दर्ज किया गया. पूर्वी और पूर्वोत्तरी भारत में 121 सालों में सबसे गर्म और सबसे सूखा जुलाई दर्ज किया गया.
एक अच्छी खबर
इन आंकड़ों में एक ऐसी खबर भी है जो तुलनात्मक रूप से अच्छी है. 2022 में भी तूफानों ने लोगों की जान ली लेकिन इस बार सिर्फ दो लोग मारे गए. रिपोर्ट के मुताबिक यह तूफानों के पूर्वानुमान को लेकर मौसम विभाग के अच्छे काम और ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसी राज्य सरकारों के आपदा प्रबंधन की वजह से हो पाया.