जापान को कैसे मिल गए 7,000 से ज्यादा नए द्वीप
१६ फ़रवरी २०२३35 साल में पहली बार जापान ने अपने द्वीपों की गिनती करवाई. डिजिटल मैपिंग टेक्नोलॉजी की मदद से हुई इस गिनती में जापानी द्वीपों की संख्या पहले के मुकाबले करीब दोगुनी होने की उम्मीद है. पहले जहां जापानी द्वीपों की संख्या 6,852 थी, वहीं अब इसके 14,125 होने का अनुमान है. हालांकि इस बड़ी वृद्धि का मतलब यह नहीं कि जापान का क्षेत्रफल पहले से बड़ा हो गया हो. जापानी भूभाग और समुद्री क्षेत्र के आकार में कोई बदलाव नहीं आएगा. जापान की न्यूज एजेंसी क्योदो ने यह जानकारी दी है. हालांकि अभी सरकार ने नई गिनती से जुड़े आंकड़े जारी नहीं किए हैं.
इस हालिया सर्वे में जियोस्पेशल इन्फॉर्मेशन अथॉरिटी ऑफ जापान (जीएसआई) के 2022 के इलेक्ट्रॉनिक लैंड मैप के आधार पर द्वीपों की गिनती करवाई गई. पुरानी हवाई तस्वीरों और डाटा की भी मदद ली गई, ताकि कृत्रिम द्वीपों को इस गिनती से अलग किया जा सके. इस प्रक्रिया में एक लाख से ज्यादा द्वीपों की पहचान हुई, लेकिन आधिकारिक सूची में बस उन्हें शामिल किया गया है जिनकी परिधि 100 मीटर या इससे ज्यादा है.
दोबारा गिनती करवाने की मांग
इस ताजा गिनती का संदर्भ उन आलोचनाओं से है, जिनमें कहा जा रहा था कि जापान के पास उपलब्ध द्वीपों की गिनती के आंकड़े पुराने और आउटडेटेड हैं. लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी के एक सांसद ने दिसंबर 2021 में यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि राष्ट्रीय महत्व से जुड़े प्रशासनिक मामलों के लिए द्वीपों की सटीक गिनती मालूम होना जरूरी है.
अब तक जापान द्वीपों की जिस गिनती को मानता आया है, वह आंकड़ा 1987 में जापान कोस्ट गार्ड ने दिया था. उस वक्त यह काम हाथ से किया गया था. कागजी मानचित्रों का इस्तेमाल कर द्वीपों की गिनती की गई थी और कुल द्वीपों की संख्या 6,852 बताई गई थी. लेकिन आगे के दशकों में जानकारों ने कहा कि यह संख्या असली आंकड़ों से काफी कम हो सकती है.
जापान की भौगोलिक बनावट
जापान एक द्वीपसमूह है. अंग्रेजी में इस भौगोलिक बनावट को आर्किपेलेगो कहते हैं. यहां मुख्य चार द्वीप हैं, होक्काइदो, होंशू, शिकोकू और क्यूशु. इसके अलावा कई छोटे और बेहद छोटे द्वीप हैं, जो उत्तर में साइबेरिया के पूर्वी छोर से दक्षिण में ताइवान के सुदूर किनारे तक फैले हैं. द्वीपों के फैलाव के कारण जापान का स्थलीय भूभाग कम होते हुए भी यह काफी लंबा है और 370,000 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा के क्षेत्र में फैला है. हजारों द्वीपों में से करीब 421 पर ही इंसानी बसाहट है.
जापान "वोल्कैनिक रिंग ऑफ फायर" का हिस्सा है. आकार में घोड़े की नाल जैसा दिखने वाले प्रशांत महासागर के इस क्षेत्र में ज्वालामुखी विस्फोट और भूकंप होते रहते हैं. जापान में भी ज्वालामुखी हैं और ज्वालामुखीय गतिविधियां भी भूगोलीय संरचनाओं को प्रभावित करती हैं. इनके कारण नए द्वीपों का निर्माण भी होता है.
ज्वालामुखी के फटने से बनते द्वीप
अभी अगस्त 2021 में वैज्ञानिकों ने बताया था कि टोक्यो से करीब 1,200 किलोमीटर दूर समुद्र के भीतर एक ज्वालामुखी फटने के कारण एक नया द्वीप बन गया है. ऐसे द्वीप कितने स्थायी होंगे, यह उनकी संरचना पर निर्भर करता है. मसलन राख जैसी चीजों के जमा होने से बने द्वीप का लगातार टकराते रहने वाले समुद्री थपेड़ों के आगे टिकना मुश्किल है. कटाव और घिसाव के कारण वो डूब जाते हैं. लेकिन ज्यादा मात्रा में लावा के जमा होने पर बनी संरचना के अपेक्षाकृत ज्यादा स्थायी होने की संभावना होती है.
नए द्वीप बनते रहते हैं. कुछ डूब जाते हैं, तो कुछ टिक भी जाते हैं. दिसंबर 2013 में भी टोक्यो से करीब 1,000 किलोमीटर दूर बने ऐसे ही एक द्वीप की खूब चर्चा हुई थी. बनावट के शुरुआती दौर में यह द्वीप लोगों को कॉर्टून किरदार स्नूपी जैसा लग रहा था. सोशल मीडिया पर लोग इसे स्नूपी आइलैंड कह रहे थे. यह द्वीप पहले से मौजूद निशिनोशिमा द्वीप से मिल गया.