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2005 के बाद से समुद्र के तापमान में वृद्धि की दर दोगुनी हुई

४ अक्टूबर २०२४

यूरोपीय संघ की निगरानी संस्था कॉपरनिकस की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि से महासागरों के गर्म होने की गति 2005 के बाद से लगभग दोगुनी हो गई है.

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मलेशिया का समुद्र तट
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि से महासागरों के गर्म होने की गति 2005 के बाद से लगभग दोगुनी हो गई हैतस्वीर: Patrick Lee/DW

कॉपरनिकस समुद्री सेवा के निष्कर्षों से पता चलता है कि पृथ्वी के गर्म होने से महासागरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, जो पृथ्वी की सतह के 70 प्रतिशत भाग को ढके हुए हैं और वायुमंडल का संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

कॉपरनिकस की समुद्र विज्ञानी करीना फोन शुकमान ने संवाददाताओं को बताया कि 1960 के दशक से महासागरों का तापमान "लगातार बढ़ रहा है", लेकिन 2005 के बाद से इसमें तेज वृद्धि हुई है. पिछले दो दशकों में तापमान वृद्धि की गति लगभग दोगुनी हो गई है, जो दीर्घकालिक दर 0.58 वाट प्रति वर्ग मीटर से बढ़कर 1.05 वाट प्रति वर्ग मीटर हो गई है."

शुकमान ने कहा, "महासागरों के बढ़ते तापमान को वैश्विक तापमान वृद्धि के हमारे प्रहरी के रूप में देखा जा सकता है."

महासागरों में गर्म लहरें

ये निष्कर्ष इंटर-गवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के विचारों से मेल खाते हैं, जो इंसानों द्वारा ग्रह को गर्म करने वाले उत्सर्जनों के कारण महासागरों के दीर्घकालिक रूप से गर्म होने की बात कहते हैं. आईपीसीसी का कहना है कि 1970 के बाद से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण वायुमंडल में फंसी अतिरिक्त गर्मी का लगभग 90 प्रतिशत महासागरों द्वारा सोख लिया गया है.

गर्म महासागर वैश्विक मौसम पैटर्न और वर्षा के स्थानों को प्रभावित करके तूफान, चक्रवात और अन्य कठोर मौसम के लिए जिम्मेदार होते हैं. कॉपरनिकस की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में दुनिया के 20 प्रतिशत से अधिक महासागरों में कम से कम एक बार गंभीर से चरम समुद्री ताप लहर का अनुभव हुआ, जिसका समुद्री जीवन और मत्स्य पालन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

समुद्री प्रजाति पर भी असर

ऐसी गर्म लहरों के कारण कुछ प्रजातियों का पलायन और सामूहिक मौत हो सकती है, नाजुक ईकोसिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है और गहरे और छिछले पानी के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे पोषक तत्वों का वितरण बाधित हो सकता है.

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शुकमान ने कहा कि महासागर का गर्म होना "जैव विविधता से लेकर रसायन विज्ञान, समुद्र विज्ञान प्रक्रियाओं, धाराओं और साथ ही वैश्विक जलवायु तक, समुद्री दुनिया के सभी पहलुओं को प्रभावित कर सकता है."

शुकमान ने एक शोध पत्र का हवाला देते हुए कहा कि पहले की आधार रेखा की तुलना में, आर्कटिक में उत्तर-पूर्वी बैरेंट्स सागर का तल "स्थायी समुद्री ताप लहर की स्थिति में प्रवेश कर चुका है."

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2022 में स्पेन के तटवर्ती बेलिएरिक द्वीप समूह के तटीय जल में 29.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जो 40 वर्षों में सबसे गर्म था. उसी साल भूमध्य सागर में समुद्री गर्म लहर सतह से लगभग 1,500 मीटर नीचे तक फैल गई, जिससे यह पता चला कि किस प्रकार गर्मी गहरे समुद्र तक पहुंच सकती है.

एए/वीके (एएफपी)