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लेख लिखने पर सांसद को मिला राज्यसभा अध्यक्ष का नोटिस

चारु कार्तिकेय
२ मई २०२३

राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रितास को अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने उनके एक लेख पर नोटिस भेजा है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस तरह अध्यक्ष द्वारा किसी सांसद को उसके लेख पर सफाई देने के लिए बुलाना लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुकूल है.

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जगदीप धनखड़
भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

नोटिस सीपीएम द्वारा मनोनीत राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रितास को 20 फरवरी को इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपे उनके एक लेख पर भेजा गया है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ब्रितास के लेख के खिलाफ केरल में बीजेपी के महासचिव पी सुधीर ने भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ से शिकायत की थी.

'पेरिल्स ऑफ प्रोपगैंडा' (प्रोपगैंडा के खतरे) शीर्षक से छपे इस लेख में ब्रितास ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा कर्नाटक में एक चुनावी सभा के दौरान दिए गए भाषण का जवाब दिया है.

क्या है मामला

फरवरी में कर्नाटक के मंगलुरु में दिए गए इस भाषण में शाह ने कहा था, "आपके पड़ोस में केरल है. मैं और कुछ कहना नहीं चाहता. सिर्फ मोदी के नेतृत्व में भाजपा ही कर्नाटक को बचा सकती है."

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उस समय शाह की टिप्पणी की केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी आलोचना की थी और शाह से अपनी बात के मतलब को स्पष्ट करने के लिए कहा था. ब्रितास ने अपने लेख में लिखा था कि गृह मंत्री की टिप्पणी केरल के प्रति उनकी "घृणा की सूचक है" जहां "बीजेपी चुनावी लाभ हासिल करने में असफल रही है."

ब्रितास ने यह भी लिखा था, "शाह द्वारा समय समय पर केरल को निशाना बना कर इस तरह की बातें करना उनकी हताशा का सबूत है. साथ ही यह भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने, इस देश को बीते हुए युग में ले जाने और मनुस्मृति को संविधान की जगह देने की कोशिश का भी सबूत है."

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सुधीर ने इस लेख के खिलाफ शिकायत करते हुए धनखड़ को लिखा था कि यह लेख "बहुत भड़काऊ, विभाजनकारी, राजद्रोही और साम्प्रदायिक रूप से ध्रुवीकरण करने वाला" है.

भारत: क्या निरंकुश हो रहा है लोकतंत्र

सुधीर के मुताबिक ब्रितास ने "खुले आम धर्म के आधार पर देश के विभाजन के लिए प्रोत्साहन किया और सक्रिय रूप से केंद्र सरकार के खिलाफ नफरत भड़काई."

सांसदों ने की आलोचना

ब्रितास ने पत्रकारों को बताया कि उन्हें धनखड़ से मिलने के लिए बुलाया गया था और जहां अध्यक्ष ने उनसे उनके विचारों के बारे में पूछा. उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ की गई शिकायत की निंदा की जानी चाहिए और उन्हें भरोसा है कि अध्यक्ष धनखड़ उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे.

धनखड़ या उनके कार्यालय ने अभी तक इस विषय में कोई बयान नहीं दिया है. लेकिन दूसरे सांसदों ने इस पूरे प्रकरण की निंदा की है. तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्विटर पर लिखा कि उन्होंने "ऐसी बेतुकी बात कभी नहीं सुनी."

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि उन्हें ऐसा कोई आधार नजर नहीं आता जिसके बिनाह पर राज्यसभा अध्यक्ष एक सांसद को उन विचारों के लिए नोटिस भेज सकते हैं जो उसने सदन के बाहर व्यक्त किए हैं.

ब्रितास सांसद होने के अलावा सीपीएम के कई प्रकाशनों से जुड़े रहे हैं और अभी कैराली टीवी चैनल के प्रबंधक निदेशक हैं. वो 2016 से 2021 के बीच केरल के मुख्यमंत्री के सलाहकार भी रह चुके हैं.