1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
राजनीतिजापान

हिरोशिमा में हुई क्वॉड बैठक में नाम लिये बिना चीन पर हमला

२१ मई २०२३

सिडनी के बजाय क्वॉड देशों के नेता सालाना बैठक के लिए जापान के हिरोशिमा में मिले. इस दौरान बिना नाम लिये चीन पर तीखे बयान दिये गये.

https://p.dw.com/p/4RcXa
Japan G7 Gipfel in Hiroshima | Premier Fumio
तस्वीर: Jonathan Ernst/REUTERS

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन शनिवार को जापान के हिरोशिमा में सालाना क्वॉड बैठक के तहत आधे घंटे के लिए मिले. इस दौरान कई कदमों का ऐलान किया गया, जिनका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए आपसी सहयोग बढ़ाना है.

सिडनी में होने वाली क्वॉड बैठक के रद्द हो जाने के बाद चारों नेताओं ने हिरोशिमा में सिर्फ 30 मिनट की बैठक की. इस बैठक के बाद एक विजन स्टेटमेंट जारी किया गया जिसमें पूरा जोर हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा पर रहा.

चीन पर अपरोक्ष आक्रमण

हालांकि किसी नेता ने चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समुद्री इलाके की सुरक्षा' का जिक्र बार-बार किया गया. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में और खासतौर पर दक्षिणी-चीन सागर में अमेरिका और चीन के बीच विवाद जारी है और अमेरिका व पश्चिमी देश बार-बार कहते रहे हैं कि वहां वाहनों की मुक्त आवाजाही होनी चाहिए.

हिरोशिमा में मिले क्वॉड नेता
हिरोशिमा में मिले क्वॉड नेतातस्वीर: Jonathan Ernst/REUTERS

बैठक के बाद जारी साझा बयान में कहा गया, "हम बल-प्रयोग या दबाव बनाकर यथास्थिति को बदलने की इकतरफा कार्रवाई का सख्त विरोध करते हैं.” इस कूटनीतिक बयान का इशारा चीन की ताइवान पर संभावित कार्रवाई की ओर है.

अमेरिका के व्हाइट हाउस में होगा नरेंद्र मोदी का स्वागत

बयान कहता है, "हम विवादित मुद्दों के सैन्यीकरण, तट-रक्षकों और हथियारबंद समूहों के खतरनाक इस्तेमाल और अन्य देशों के समुद्री संसाधनों में गड़बड़ी फैलाने वाली व उनका दोहन करने वाली गतिविधियों पर गंभीर चिंता जाहिर करते हैं.”

सभी क्वॉड नेता हिरोशिमा में जी-7 देशों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जापान पहुंचे हैं और उसी दौरान चारों नेताओं ने मुलाकात की. यह बैठक पहले सिडनी में होने वाली थी लेकिन बाइडेन ने अपना ऑस्ट्रेलिया दौरा रद्द कर दिया था.

अपने साझा बयान में क्वॉड नेताओं ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विकास परियोजनाओं को मदद देने की भी बात कही. चीन का नाम लिये बिना उस पर एक और हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि वे विकास परियोजनाओं में निवेश करेंगे लेकिन "कर्ज की गैरवाजिब शर्तें” लागू नहीं करेंगे. पश्चिमी देश चीन पर आरोप लगाते हैं कि वह विकासशील देशों में परियोजनाओं में निवेश के लिए कर्ज देकर उन्हें अपने जाल में फांस रहा है.

साझा विकास की बात

इस बैठक में कई परियोजनाओं का भी ऐलान किया गया जिनमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की तह में केबल नेटवर्क तैयार करना भी शामिल है. समुद्री केबल क्षेत्र में चारों देशों ने अपनी-अपनी विशेषज्ञता के जरिये योगदान देने की बात कही. उन्होंने कहा कि अवैध रूप से मछली पकड़ने के खिलाफ उच्च-तकनीकी वाली निगरानी योजना का विस्तार किया जाएगा.

साथ ही, अक्षय ऊर्जा का विकास, सप्लाई चेन मजबूत करने और ऊर्जा संसाधनों के विकास और शोध में मदद करने का भी ऐलान किया गया. क्लीन एनर्जी सप्लाई चेन पर क्वॉड संगठन के नियमों का भी ऐलान किया गया.

क्वॉडः एक चीन विरोधी संगठन या भू-राजनीति को बदलने का केंद्र

एक ऐलान ‘क्वॉड इंफ्रास्ट्रक्चर फेलोशिप प्रोग्राम' का हुआ, जिसके जरिये डिजाइनिंग, निर्माण और पर्यावरण के अनुकूल ढांचे के विकास में लगे नीति-निर्माताओं और विशेषज्ञों की विशेषज्ञता का साझा इस्तेमाल करने की योजना है.

क्वॉड नेताओं ने म्यांमार में सैन्य शासन द्वारा दमन पर गहरी चिंता जाहिर की. साथ ही उत्तर कोरिया के मिसाइल कार्यक्रम और परमाणु कार्यक्रम पर भी चिंता जताई गई. जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने कहा कि पिछले साल की बैठक के बाद से क्षेत्र में सुरक्षा का वातावरण और ज्यादा मुश्किल हो गया है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्वॉड समूह की सफलता व सुरक्षा सिर्फ हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने हाल के महीनों में कई देशों की तरफ से हिंद प्रशांत नीति की घोषणा किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि सदस्य देशों की कोशिशों के व्यावहारिक आयाम नजर आने लगे हैं. साथ ही, भारतीय प्रधानमंत्री ने ऐलान किया कि अगली सालाना बैठक 2024 में भारत में होगी. उन्होंने सभी नेताओं को भारत आने का औपचारिक न्योता दिया.

वीके/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)