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समाज

बिशपों की बैठक में पहली बार महिलाओं को वोटिंग का अधिकार

२७ अप्रैल २०२३

कैथोलिक चर्च के बिशपों की आम सभा में अब महिलाओं को भी वोट डालने का अधिकार होगा. कैथोलिक चर्च में महिलाओं के लिए बराबरी के अधिकार की वकालत करने वालों ने इस फैसले को "ऐतिहासिक" करार दिया है.

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पोप फ्रांसिस के दौर में कई नियम बदले जा रहे हैं
चर्च के कामकाज में महिलाओं की भूमिका बढ़ाना चाहते हैं पोप फ्रांसिसतस्वीर: Grzegorz Galazka/Zuma/IMAGO

चर्च के भविष्य पर चल रही वैश्विक परिचर्चा का अगला चरण अक्टूबर में रोम में होगा. इस दौरान पहली बार महिलाओं को भी वोट देने का अधिकार होगा. अब तक सिर्फ पुरुष ही इसमें वोट देते थे और महिलाएं पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होती थीं. कैथोलिक चर्च में इसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है जिसके सांकेतिक मायने हैं. अमेरिका की वीमेंस ऑर्डिनेशन कॉन्फ्रेंस ने इसे "ऐतिहासिक" बताते हुए कहा है, "यह एक बड़ा बदलाव है."

क्रांतिकारी बदलाव वाले ये नियम पांच सिस्टरों को वोटिंग का अधिकार देंगे. बुधवार को नये नियम प्रकाशित हुए. इसमें कहा गया है कि 70 लोग चुने जायेंगे जो पीपुल ऑफ गॉड के अलग अलग समूहों के भक्तों के समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं. इनमें पुजारी, महिलाएं और दूसरे लोग शामिल हैं. इसके लिए नेशनल बिशप कॉन्फ्रेंस 140 लोगों की सूची तैयार करेंगे जिनमें से 70 लोगों का अंतिम चुनाव पोप करेंगे.

नियमावली के मुताबिक, "यह अनुरोध किया गया है कि इनमें से 50 फीसदी महिलाएं हों और युवा लोगों पर भी विशेष ध्यान दिया जाये." इसमें, "ना सिर्फ आम संस्कृति और समझदारी बल्कि उनके सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान पर भी ध्यान दिया जायेगा." इसमें यह भी कहा गया है कि सदस्य के रूप में महिलाओं को वोट देने का अधिकार है.

महिलाएं सदियों से हाशिये पर हैं
चर्च प्रशासन और वैटिकन में महिलाओं की भूमिका बढ़ाई जा रही है (फाइल)तस्वीर: Guglielmo Mangiapane/REUTERS

चर्च का भविष्य

चर्च के भविष्य पर चल रही परिचर्चा में बड़े मुद्दों पर बातचीत हो रही है. इनमें यौन शोषण के मामलों से लेकर महिलाओं की भूमिका और दोबारा शादी करने वाले तलाकशुदा लोगों के अधिकारों जैसे मुद्दे भी शामिल हैं. 2013 में चुने जाने के बाद से ही पोप फ्रांसिस ने महिलाओं और आम लोगों की भूमिका बढ़ने पर जोर दिया है. होली सी (वैटिकन सिटी) की केंद्रीय सरकार, क्यूरिया के लिए नियुक्तियों में महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा बढ़ी है.

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इस कॉन्फ्रेंस में आमतौर पर 300 लोग शामिल होते हैं. ऐसे में वोटिंग का अधिकार सबसे ज्यादा बिशपों के पास ही रहेगा लेकिन फिर भी सदियों से पुरुष प्रधानता वाले धार्मिक समूह में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जा रही है. पिछले साल पोप फ्रांसिस ने दो अहम कदम उठाये थे जिसके बाद ये नये नियम सामने आये हैं. इनमें पहला कदम था महिलाओं समेत बैप्टाइज्ड ले चुके कैथोलिक को वैटिकन के ज्यादातर विभागों का प्रमुख बनाना. होली सी के केंद्रीय प्रशासन में इसके लिए नया संविधान बनाया गया. इसके साथ ही पोप ने पिछले साल ही दुनिया भर के लिए बिशपों की नियुक्ति के बारे में सलाह देने वाली समिति में तीन महिलाओं को जगह दी. पहले इसमें सिर्फ पुरुष होते थे.

लैंगिक समानता बढ़ाने के पक्ष में हैं पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस के दौर में कई पदों पर पहली बार महिलाओं की नियुक्ति हुई हैतस्वीर: Evandro Inetti/ZUMA Press Wire/picture alliance

वोट का अधिकार

चर्च के महिला समूह लंबे समय से हाइ प्रोफाइल सायनॉड में वोट देने के अधिकार की मांग कर रहे थे. यही सायनॉड उन प्रस्तावों को तैयार करते हैं जिनसे पैपल डॉक्यूमेंट बनते हैं. 2018 में सायनॉड की बड़ी चर्चा हुई जब दो सुपीरियर जनरलों को वोट देने के आधिकार दिया गया हालांकि उन्हें विधिवत पादरी नहीं बनाया गया था. हालांकि सिस्टर सैली मैरी हॉगडॉन को सुपीरियर जनरल होने के बावजूद वोट देने का अधिकार नहीं मिला.

2021 में पोप फ्रांसिस ने पहली पर एक महिला को वैटिकन सिटी के गवर्नरशिप में नंबर दो के पद पर नियुक्त किया. वैटिकन सिटी में किसी महिला की यह सबसे उच्च पद पर नियुक्ति थी. इसी साल उन्होंने इटैलियन नन सिस्टर आलेसांद्रा स्मेरिली को वैटिकन के विकास विभाग में नंबर दो की कुर्सी पर बिठाया.

अगले सायनॉड की दो साल से तैयारी चल रही है. इसमें दुनिया भर के कैथोलिकों से चर्च के भविष्य पर उनकी राय मांगी जायेगी. बदलाव लाने वाले लोग इन कदमों को चर्च के भविष्य के लिए जरूरी और प्रगतिशील मान रहे हैं. हालांकि रुढ़िवादी इसके विरोध में हैं. उन्होंने इस प्रक्रिया को समय की बर्बादी करार दिया है. उनका मानना है कि इससे चर्च की संरचना बिखर जायेगी और लंबे दौर में पारंपरिक सिद्धांत कमजोर होंगे.

एनआर/एए (एएफपी, रॉयटर्स)