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क्वांटम मेकैनिक्स के वैज्ञानिकों को 2022 का नोबेल पुरस्कार

४ अक्टूबर २०२२

क्वांटम कंप्युटर, नेटवर्क और सुरक्षित इनक्रिप्टेड कम्युनिकेशन तैयार करने का रास्ता बनाने वाले क्वांटम मेकैनिक्स के क्षेत्र में काम के लिये तीन वैज्ञानिकों को इस साल का नोबेल पुरस्कार दिया जायेगा.

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2022 के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार
इस साल भौतिकी का नोबेल पुरस्कार क्वांटम मेकैनिक्स के क्षेत्र में काम करने वाले तीन वैज्ञानिकों को मिलेगातस्वीर: Rob Schoenbaum/ZUMA Press Wire/picture alliance

फ्रांस के एलेन एस्पेक्ट, अमेरिका के जॉन क्लाउजर और ऑस्ट्रिया के एंटन जाइलिंगर को इस साल का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. भौतिकी के लिए पुरस्कारों की घोषणा करने वाली समिति ने अपने बयान में कहा है, "एंटेंगल्ड फोटॉन के साथ प्रयोग के जरिये बेल के असमानता सिद्धांत के उल्लंघन को साबित करने और क्वांटम इनफॉर्मेशन साइंस में अनुसंधान के लिए तीनों वैज्ञानिकों को इस पुरस्कार के लिये चुना गया है."

समिति के मुताबिक इनमें से हरेक वैज्ञानिक ने, "एंटेंगल्ड फोटॉन की स्थिति पर जबर्दस्त प्रयोग किये, जिनमें भले ही एक कण दूसरे से काफी दूर रहे हों लेकिन वो एक कण के रूप में व्यवहार करते हैं."

क्वांटम मेकैनिक्स

क्वांटम मेकैनिक्स भौतिकी की वो शाखा है जो परमाणु की संरचना और उसके मूल कणों के बारे में अध्ययन करती है. इसके सिद्धांत भौतिकी के आम सिद्धांतों से काफी अलग हैं. इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और फोटॉन कणों के व्यवहार और गुणों के आधार पर क्वांटम मेकैनिक्स के सिद्धांत तय किये गये हैं.भौतिकी के बड़े बड़े वैज्ञानिकों के दिये सिद्धांत क्वाटंम मेकैनिक्स में पलट गये.आइंस्टाइन और दूसरे कई बड़े वैज्ञानिकों की खोजों से यह आगे ले जाती हैं.

2022 के लिये भौतिकी का नोबेल पुरस्कार
ऑस्ट्रिया के भौतिकविज्ञानी एंटन जाइलिंगरतस्वीर: HANS PUNZ/picture alliance

आइंस्टाइन ने रिलेटिविटि का सिद्धांत दिया था और प्रकाश की गति को सबसे तेज बताया लेकिन क्वांटम मेकैनिक्स में एक कण से दूसरे कण तक सूचना का प्रवाह उससे भी तेज गति से होता है. इन्हीं सिद्धांतों का सहारा लेकर सेटेलाइट से लेकर दूसरे ग्रहों तक संचार और नियंत्रण को संभव किया जा रहा है. आने वाले समय में इसके और कई प्रयोग दुनिया के सामने होंगे जिन्हें आज चमत्कार समझा जाता है.

नोबेल समिति ने का कहा है कि इन वैज्ञानिकों के प्रयोगों के नतीजों ने क्वांटम इनफॉर्मेशन पर आधारित नई तकनीक के लिये रास्ता साफ किया." भौतिकी के लिये नोबेल कमेटी के चेयरमैन आंदर्स इरबाक ने बताया, "यह तेजी से साफ होता जा रहा है कि एक नये किस्म की क्वांटम टेक्नोलॉजी उभर रही है."

क्लाउजर कैलिफोर्निया में भौतिकी के रिसर्चर हैं जबकि एस्पेक्ट पेरिस सेक्ले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर. 1960 के दशक में स्टुअर्ट बेल ने "गणीतीय असमानता का सिद्धांत" दिया था जो उनके नाम से मशहूर हुआ. क्लाउजर और एस्पेक्ट ने अब नया सिद्धांत बनाया है. 

ज्यूरी के मुताबिक जाइलिंगर को यह पुरस्कार क्वांटम टेलिपोर्टेशन के लिये दिया गया है जो आपस में दूरी पर मौजूद कणों को क्वांटम अवस्था में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना संभव करता है."

जाइलिंगर ने बताया, "यह स्टार ट्रेक की फिल्म या इस जैसा कुछ नहीं है. किसी चीज को कुछ दूरी से ट्रांसपोर्ट करना, और जाहिर है कि इसमें इंसान शामिल नहीं है. अहम यह है कि इंटेंगेलमेंट का इस्तेमाल कर आप वो सारी सूचना जो कोई कण कहीं ले कर जाता है उसे आप दूसरी जगह ले जा सकते हैं जहां उस सामान को दोबारा बनाते हैं." 

एनटेंगेलमेंट की अवस्था में जुड़े कणों का व्यवहार जुड़वा भाइयों के फिल्मी कहानियों जैसी है जिसमें एक भाई को मारने पर दूसरे को चोट लगती है. इसमें भी एक कण को दूसरे के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है और जानकारियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकता है वो भी बना समय गंवाये.  

वियना यूनिवर्सिटी में भौतिकी पढ़ाने वाले प्रोफेसर जाइलिंगर का कहना है कि उन्हें पुरस्कार की उम्मीद नहीं थी. जाइलिंगर ने कहा, "वास्तव में जब मुझे फोन आया तो बड़ी हैरानी हुई." जाइलिंगर ने स्टॉकहोम में प्रेस कांफ्रेंस को टेलिफोन के जरिये संबोधित किया.

2022 के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार
फ्रेंच भौतिकविज्ञानी एलेन एस्पेक्टतस्वीर: Peter Klaunzer/dpa/picture alliance

भौतिकी का नोबेल पुरस्कार

तीनों वैज्ञानिकों के बीच एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर यानी 901,500 डॉलर की पुरस्कार की रकम बांटी जायेगी. 10 दिसंबर को किंग कार्ल गुस्ताफ 16 एक समारोह में उन्हें यह पुरस्कार सौंपेंगे.

पिछले साल जापान के सियुकुरो मानाबे और जर्मनी के क्लाउस हासेलमान को क्लाइमेट मॉडल पर उनके रिसर्च के लिये यह पुरस्कार मिला था. पुरस्कार पाने वाले में  इटली के जॉर्जियो परीसी भी थे. परीसी को फिजिकल सिस्टम में इंटरप्ले ऑफ डिसॉर्डर एंट फ्लक्चुएसंस पर काम के लिये नोबेल पुरस्कार मिला.

1901 से लेकर अब तक केवल चार महिलाएं ही भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जीत सकी हैं. इनमें मैरी क्यूरी, मारिया गोएपर्ट मायर, डोना स्ट्रिकलैंड और आंद्रेया गेज का नाम शामिल है. पिछले साल सभी श्रेणियों में कुल मिला कर 12 पुरुषों और एक महिला को नोबेल पुरस्कार मिला. विज्ञान की श्रेणी में सारे पुरस्कार विजेता पुरुष थे.

भौतिकी में अब तक कुल 118 नोबेल पुरस्कार दिये गये हैं. 47 बार ये पुरस्कार एक वैज्ञानिक को मिला और बाकी संयुक्त रूप से. अब तक सिर्फ जॉन बार्डीन ही ऐसे वैज्ञानिक हैं जिन्हें दो बार भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला है.

लॉरेंस ब्रैग को सिर्फ 25 साल की उम्र में ही भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिल गया जबकि आर्थर आश्किन 96 साल की उम्र में पुरस्कार जीतने वाले सबसे बुजुर्ग भौतिकविज्ञानी बने.

रिपोर्टः निखिल रंजन (एएफपी)