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राजनीतिऑस्ट्रेलिया

येरुशलम को इस्राएल की राजधानी नहीं मानेगा ऑस्ट्रेलिया

१८ अक्टूबर २०२२

ऑस्ट्रेलिया की मौजूदा सरकार ने पिछली सरकार के येरुशलम को इस्राएल की राजधानी मानने के निर्णय को पलट दिया है. चार ही देश हैं, जिनके दूतावास येरुशलम में हैं.

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वेस्ट येरुशलम
वेस्ट येरुशलमतस्वीर: Chris McGrath/Getty Images

इस्राएल ने ऑस्ट्रेलिया के उस फैसले की निंदा की है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने येरुशलम को इस्राएल की राजधानी के रूप में मान्यता वापस ले ली है. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने एक दिन पहले ही खबर छापी थी कि मौजूदा एंथनी अल्बानीजी सरकार ने पिछली सरकार का फैसला ‘गुपचुप तरीके से' बदल दिया है. ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने मंगलवार को इस बात की पुष्टि कर दी.

मंगलवार को एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में पेनी वॉन्ग ने कहा कि पश्चिमी येरुशलम  को इस्राएल की राजधानी के रूप में मान्यता का फैसला पलट दिया गया है. उन्होंने कहा कि राजधानी का दर्जा तब तक अंतिम नहीं माना जाना चाहिए जब तक कि फलीस्तीनी लोगों के साथ शांतिवार्ता पूरी नहीं हो जाती.

वॉन्ग ने कहा, "आज सरकार ने ऑस्ट्रेलिया के लंबे समय से चले आ रहे उस रुख की तसदीक की है कि येरुशलम अंतिम निर्णय तक पहुंचने का मामला है और उसे इस्राएल व फलीस्तीनी लोगों के बीच जारी शांतिवार्ता के एक हिस्से के रूप में ही सुलझाया जाना चाहिए.”

वॉन्ग ने कहा कि 2018 में पिछली सरकार का पुराने रुख को बदलने का फैसला "सनक से भरा, विफल और वेंटवर्थ उपचुनाव जीतने के मकसद से किया हुआ" था. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने ‘सीट पर वोट जीतने के मकसद से' विदेश नीति के साथ राजनीति करने की कोशिश की थी.

वॉन्ग ने कहा, "उस वजह से, मैंने तब भी कहा था कि येरूशलम अंतिम दर्जे का मामला है. इन शब्दों का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कि इसे पक्षों के बीच बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए.”

इससे पहले सोमवार को गार्डियन अखबार ने खबर छापी थी कि ऑस्ट्रेलिया की संघीय सरकार ने वेस्ट येरुशलम को राजधानी का दर्जा देने वाला सार्वजनिक बयान हटा लिया है. मंगलवार को इस खबर की पुष्टि करते हुए वॉन्ग ने कहा कि मंत्रीमंडल ने इस बदलाव पर अपनी सहमति दे दी है. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर बदलाव सरकारी प्रक्रिया से पहले हो गया, ‘जो कभी-कभार हो जाता है.'

तेल अवीव में दूतावास

अन्य कई देशों की तरह इस्राएल में ऑस्ट्रेलिया का दूतावास तेल अवीव में ही है. दिसंबर 2018 में तत्कालीन लिबरल पार्टी की सरकार ने यह ऐलान किया था कि "ऑस्ट्रेलिया येरुशलम  को इस्राएल की राजधानी मानता है क्योंकि वहां कनेसेट (इस्राएली संसद) बैठती है और इस्राएली सरकार के कई संस्थान वहां हैं.”

तब ऑस्ट्रेलिया ने यह भी कहा था कि वह "अंतिम दर्जा तय हो जाने के बाद उसके समर्थन में और जब व्यवहारिक होगा” तब अपने दूतावास को येरुशलम  ले जाएगा.

ऑस्ट्रेलिया के फैसले की इस्राएल ने निंदा की है जबकि फलीस्तीन ने इसका स्वागत किया है. इस्राएल के प्रधानमंत्री याइर लापिड ने ऑस्ट्रेलिया पर येरुशलम के बारे में एक मीडिया रिपोर्ट से गुमराह होने का आरोप लगाया. ट्विटर पर उन्होंने कहा, "हम उम्मीद ही कर सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार दूसरे मामलों को ज्यादा गंभीरता और पेशेवराना तरीके से संभालेगी."

उधर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और पैसिफिक में फलीस्तीन के दूत इज्जत अब्दुलहादी ने कहा कि विदेश मंत्रालय की भाषा में बदलाव "स्वागत योग्य” है. उन्होंने कहा, "यह स्वागत योग्य और दो-राष्ट्र समाधान के अर्थपूर्ण अनुपालन की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है."

अब्दुलहादी ने ऑस्ट्रेलिया से अनुरोध किया कि "फलीस्तीनी लोगों के चुनने के अधिकार को खुलकर स्वीकार करे."

ट्रंप की देखादेखी

ऑस्ट्रेलिया ने यह फैसला तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के अपना दूतावास तेल अवीव से येरुशलम ले जाने के ऐलान के बाद किया था. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही अपीलों को अनदेखा करते हुए ट्रंप ने दिसंबर 2017 में येरुशलम को इस्राएल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी और इस्राएल में अपने दूतावास को तेल अवीव से येरुशलम ले जाने की भी घोषणा कर दी थी.

इस फैसले की अंतरराष्ट्रीय जगत, खासकरमुस्लिम देशों में खासी आलोचना हुई थी. इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव भी लाया गया था, जिस पर अमेरिका ने वीटो कर दिया था. येरुशलम के पूर्वी हिस्से पर 1967 के युद्ध में इस्राएल ने कब्जा कर लिया था जबकि फलीस्तीनी लोग पूर्वी येरुशलम को अपने भावी देश की राजधानी बनाना चाहते हैं.

अमेरिका के अलावा होंडुरास, ग्वाटेमाला और कोसोवो ही ऐसे देश हैं जिनका दूतावास येरुशलम में है. होंडुरास ने 2021 में ही येरुशलम में अपना दूतावास बनाया था. यह फैसला अमेरिका के करीबी माने जाने वाले कट्टर दक्षिणपंथी नेता और तत्कालीन राष्ट्रपति हुआन ऑरलैंडो हर्नान्डेज ने लिया था. उनके उत्तराधिकारी वामपंथी नेता शियोमारा कास्त्रो ने इसी साल जनवरी में सत्ता संभाल ली थी. अगस्त में होंडुरास के विदेश मंत्रालय ने ऐसे संकेत दिए थे कि वह दूतावास को वापस तेल अवीव ले जाने पर विचार कर रहा है.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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