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समाजजर्मनी

जर्मनी: हर दो दिन में पार्टनर के हाथों मरती है एक महिला

१५ नवम्बर २०२४

जर्मनी में लगभग हर दो दिन में एक महिला अपने पार्टनर या पूर्व पार्टनर के हाथों मारी जाती है. इस चिंताजनक स्थिति को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा खत्म करने के लिए और कदम उठाने की मांग की है.

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महिलाओं के खिलाफ हिंसा की प्रतीकात्मक फोटो
महिलाओं के खिलाफ हिंसा की प्रतीकात्मक फोटोतस्वीर: imago images/Bernd Günther

फेडरल क्रिमिनल पुलिस ऑफिस के मुताबिक, जर्मनी में 2023 में 155 महिलाओं की हत्या उनके पार्टनर या पूर्व पार्टनर ने की. वकील कोरिना वेहरान-इट्शर्ट को एक ऐसी महिला का मामला याद है जिसके कई छोटे-छोटे बच्चे थे. अदालत ने आदेश दिया था कि उसका पति उससे दूर रहे, फिर भी उसने अलग होने के बाद भी दो साल तक महिला का पीछा किया. कोरिनान कहती हैं, "उस आदमी ने घर के दरवाजे पर घात लगाकर महिला पर हमला किया और मार डाला. यह काफी भयावह था.”

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डायना बी (बदला हुआ नाम) भी कोरिनान की क्लाइंट हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि उनके पति ने उन्हें कई बार जान से मारने की धमकी दी है. इसलिए, वह हर संभव प्रयास करती हैं कि उनका पति उन्हें न ढूंढ पाए. उनके पति ने कई साल तक उनकी पिटाई की, गला घोंटा और अंत में गंभीर रूप से घायल कर दिया. चूंकि उनके पति के खिलाफ पहले से किसी तरह की रिपोर्ट नहीं दर्ज थी, इसलिए अदालतों ने उसे पहली बार अपराध करने वाला व्यक्ति माना और सशर्त सजा सुनाई. दूसरे शब्दों में कहें, तो यह सजा सुनाई कि अगर वह फिर से कोई अपराध करेगा, तो उसे जेल जाना पड़ेगा.

डायना बी. ने अपने बच्चों के साथ एक नई जगह पर जिंदगी शुरू की है. वह बच गईं, लेकिन सैकड़ों अन्य महिलाओं की किस्मत में ऐसा नहीं होता. 

जर्मनी में पार्टनर द्वारा की जाने वाली हिंसा को अलग अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है
जर्मनी में पार्टनर द्वारा की जाने वाली हिंसा को अलग अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया हैतस्वीर: ANDREA GRUNAU/DW

फेमिसाइड को रोकने के लिए कड़े कदम क्यों नहीं उठाते नेता

जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने इस साल की शुरुआत में कहा था, "अगर महिलाओं को इस वजह से मारा जाता है कि वे महिला हैं, तो हमें इन अपराधों को वही कहना चाहिए जो वे हैं, यानी फेमिसाइड. इन फेमिसाइड को रिश्ता टूटने की वजह से होने वाली दुखद घटना या ईर्ष्या के कारण हुई घटना नहीं कहा जा सकता. ये हत्याएं हैं और इन्हें गंभीरता से लेना चाहिए.”

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जर्मनी में फेमिसाइड यानी पार्टनर द्वारा की जाने वाली हिंसा को एक अलग अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है. अपराधियों पर हत्या का आरोप लगाया जाता है. जर्मनी में पारिवारिक मामलों की मंत्री लीसा पाउस ने सितंबर में कहा था, "बर्लिन में हर हफ्ते फेमिसाइड के दो मामले सामने आते हैं. जर्मनी में हर दूसरे दिन एक महिला की हत्या उसके पार्टनर या पूर्व-पार्टनर द्वारा की जाती है. ये मामले मुझे काफी ज्यादा चिंतित करते हैं और गुस्सा दिलाते हैं.” 

राजधानी बर्लिन में दो महिलाओं की कथित तौर पर उनके पूर्व पार्टनर द्वारा हत्या किए जाने के बाद पाउस ने यह बात कही थी. उन्होंने कहा, "हमें न सिर्फ उन आतंकवादियों से बचना है जो लोगों पर चाकू से हमला करते हैं, बल्कि हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और उनकी सुरक्षा के लिए भी कदम उठाने चाहिए.”

कुछ संगठनों और 30,000 से अधिक लोगों ने एक पत्र लिखकर केंद्र सरकार को याद दिलाया है कि 2021 में इस सरकार ने वादा किया था कि वे हिंसा प्रभावित लोगों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक कानून बनाएंगे. पाउस ने घरेलू हिंसा विरोधी कानून का मसौदा तैयार किया है, लेकिन यह विभिन्न मंत्रालयों के बीच बातचीत में फंस गया है.

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों ने चेतावनी दी, "हिंसा विरोधी कानून के बिना, लोग मरते रहेंगे. उनकी जिंदगी तबाह होती रहेगी क्योंकि उन्हें वह सुरक्षा नहीं दी जाएगी जिसकी तत्काल जरूरत है!"

महिलाओं के शेल्टर के लिए पर्याप्त जगह और पैसे नहीं

महिलाओं के खिलाफ हिंसा और घरेलू हिंसा को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए काउंसिल ऑफ यूरोप के इस्तांबुल कन्वेंशन के अनुसार, जर्मनी के शेल्टर होम में महिलाओं और बच्चों के लिए जगह की कमी है. अभी 14,000 लोगों के रहने लायक और जगह होनी चाहिए. एक हालिया अध्ययन के अनुसार, रोकथाम और सुरक्षा सेवाओं पर बहुत कम खर्च किया जा रहा है. हर साल सिर्फ 30 करोड़ यूरो खर्च किए जा रहे हैं, जबकि सरकार को सालाना 160 करोड़ यूरो तक खर्च करने की सलाह दी गई है.

जर्मनी में महिलाओं के शेल्टर होम के लिए कितना धन खर्च किया जाएगा, यह राज्य और स्थानीय परिषद तय करते हैं. कोब्लेंज में महिला शेल्टर होम चलाने वाली अलेक्जांड्रा निसीयूस ने कहा कि यह एक समस्या है. डायना बी. और उनके बच्चों को इनके ही शेल्टर होम में मदद मिली.

जर्मनी की आंतरिक मंत्री नैन्सी फेजर ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में चिंताजनक आंकड़े पेश किए
जर्मनी की आंतरिक मंत्री नैन्सी फेजर ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में चिंताजनक आंकड़े पेश किएतस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

वह कहती हैं कि जब भी वो उपलब्ध जगहों की सूची बनाती हैं, तो यह कुछ घंटों के भीतर भर जाता है. उनका कहना है कि 1,15,000 की आबादी वाले शहर में 11 से 12 कमरे होने चाहिए जहां महिलाओं को सुरक्षा मिल सके. अभी सिर्फ सात हैं. इसका मतलब है कि कई महिलाओं को वापस लौटा दिया जाएगा.

कोब्लेंज में मौजूद महिला शेल्टर होम की ओर से अपने परिसर का विस्तार और उसे मरम्मत करने के लिए धन की मांग की गई है. यहां दो नए कमरे और आपातकाल स्थिति में इस्तेमाल के लिए एक और कमरा बनाने की योजना है. हालांकि, अतिरिक्त कर्मचारियों के लिए फंड की मंजूरी नहीं मिली है. जबकि, कानूनी सलाह और मनोवैज्ञानिक परामर्श के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की सख्त जरूरत है.

आपातकालीन जगह वह होती है जहां पुलिस या युवा कल्याण अधिकारी खतरे में पड़ी महिलाओं को कुछ समय के लिए रख सकते हैं. घरेलू हिंसा मामलों की देखरेख से जुड़ी कोब्लेंज पुलिस अधिकारी गैब्रिएल स्लेबेनिग के अनुसार, कुछ महिलाएं खुद पुलिस को फोन करती हैं, जबकि अन्य अपने बच्चों और सामान के साथ शेल्टर होम पहुंच जाती हैं. वह हर साल महिला हिंसा से जुड़े 150 से 200 मामलों को देखती हैं और ज्यादा जोखिम वाली स्थितियों पर नजर रखती हैं. उन्होंने कहा, "ज्यादातर महिलाएं यह कहती हुई आयी कि मुझे सुरक्षा चाहिए. मैं अब घर नहीं जा सकती. मुझे पीटा जा रहा है. मुझे जान से मारने की धमकी दी जा रही है.”

महिलाओं के लिए आस-पास के शेल्टर होम में जगह ढूंढना या अचानक जगह पाना काफी मुश्किल होता है. कोब्लेंज पुलिस को कभी-कभी महिलाओं को 300 किलोमीटर दूर सुरक्षित स्थान पर ले जाना पड़ता है. अपराध विशेषज्ञ पीड़ित महिलाओं के फोन की जांच करते हैं और उन पर इंस्टॉल किए गए ट्रैकिंग और जासूसी सॉफ्टवेयर को हटाते हैं.

खर्च से जुड़ा मुद्दा है महिलाओं की सुरक्षा

महिला शेल्टर होम की निदेशक निसीयूस ने इस बात की आलोचना की कि जो महिलाएं सामाजिक लाभ पाने की जरूरी शर्तें पूरी नहीं करती हैं उन्हें अपने रहने का खर्च खुद उठाना पड़ता है. वह और उनके समर्थक दान के पैसे से पीड़ित महिलाओं की मदद करते हैं. शेल्टर होम से मिलने वाले राष्ट्रीय आंकड़ों के मुताबिक, ज्यादातर वे महिलाएं फिर से हिंसा का शिकार हो जाती हैं जिन्हें खुद अपना खर्च उठाना पड़ता है.

डीडब्ल्यू ने पारिवारिक हिंसा कानून से जुड़े एक मसौदे को देखा है. इसमें सभी पीड़ितों को मुफ्त ‘सुरक्षा और कानूनी सलाह' का अधिकार देने की बात कही गई है. इसका मतलब है कि जर्मनी को महिलाओं के लिए पर्याप्त शेल्टर होम उपलब्ध कराने होंगे.

कोब्लेंज का एक महिला शेल्टर होम
2021 में सरकार ने हिंसा प्रभावित लोगों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानून बनाने का वादा किया थातस्वीर: ANDREA GRUNAU/DW

महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा समाज के सभी हिस्सों को प्रभावित करती है. हालांकि, प्रवासी महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा शेल्टर होम में रह रहा है, क्योंकि उन्हें मदद की ज्यादा जरूरत होती है. निसीयूस ने कहा, "अक्सर उनकी मदद करने के लिए उनके परिवार का कोई सदस्य यहां नहीं होता है. वे अच्छे से स्थानीय भाषा नहीं जानती हैं. उन्हें यहां के कानून की जानकारी नहीं होती है.”

कोब्लेंज पुलिस से जुड़ी स्लेबेनिग ने कहा कि कई महिलाओं को अपने पार्टनर से अलग होने पर, जान से मारने की धमकी मिलने या गला घोंटे जाने जैसी शारीरिक हिंसा के बाद जान का खतरा होता है. उन्होंने कहा कि अपराधी कुछ खास तरह के होते हैं. वे ‘अत्यधिक आक्रामक, गुस्सैल, हावी होने वाले और ईर्ष्यालु' होते हैं. वकील कोरिनान ने कहा, "जब बच्चे अपनी मां के साथ होने वाली हिंसा को देखते हैं, तो यह बच्चों के खिलाफ हिंसा जैसा ही है. इस तरह हिंसा की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है. बेटा या तो अपने पिता की तरह हिंसक हो जाता है या बेटी पीड़ित बन जाती है.”

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कोब्लेंज स्थित महिला शेल्टर होम में बच्चों को हिंसा न करने के बारे में सिखाया जाता है. एक सामाजिक कार्यकर्ता बच्चों को प्रशिक्षित करते हैं. निसीयूस अपने बच्चों की खातिर हिंसक पुरुषों के साथ रहने वाली महिलाओं से अपील करती हैं कि कृपया बच्चों के भविष्य के लिए ऐसे लोगों को छोड़ दें.

डायना बी. अपने पति से फिर कभी नहीं मिलना चाहती हैं और उन्हें एहसास हो गया है कि उनके साथ रहना गलत था. उन्होंने कहा, "अगर मैं ठीक नहीं हूं, तो इसका मतलब है कि मेरे बच्चे भी ठीक नहीं हैं.” उन्होंने अपनी बेटी को समझाया कि अगर कोई आदमी उसका अपमान करता है या उसे मारता है, तो उसे तुरंत छोड़ देना चाहिए. निसीयूस ने कहा कि किसी हिंसक आदमी से यह उम्मीद करना कि वह अपना व्यवहार बदल देगा, यह सही नजरिया नहीं है. वह कहती हैं, "ऐसा अपने आप नहीं हो सकता.”