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शीतकालीन सत्र: अब तक 141 विपक्षी सांसद निलंबित

स्वाति मिश्रा
१९ दिसम्बर २०२३

संसद से विपक्षी सांसदों के निलंबन का सिलसिला जारी है. 19 दिसंबर को लोकसभा से 49 सांसद निलंबित किए गए. इससे पिछले दिन 78 सांसद निलंबित किए गए थे. शीतकालीन सत्र में अब तक कुल 141 सांसद निलंबित किए जा चुके हैं.

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शीतकालीन सत्र में अब तक 141 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है. 14 दिसंबर को 14 सांसद, 18 दिसंबर को 78 सांसद और 19 दिसंबर को 49 सांसद निलंबित कर दिए गए.
संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र से अब तक 141 सांसद निलंबित किए जा चुके हैं. 14 दिसंबर को 14 सांसद, 18 दिसंबर को 78 सांसद और 19 दिसंबर को 49 सांसद निलंबित कर दिए गए. निलंबन लोकसभा और राज्यसभा, दोनों में हुआ है. तस्वीर: संसद की सीढ़ी पर बैठकर सांसदों के निलंबन का विरोध करते विपक्ष के सदस्यतस्वीर: AP/picture alliance

संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में 19 दिसंबर को भी विपक्षी सांसदों का निलंबन जारी रहा. आज लोक सभा से 49 सांसदों को निलंबित किया गया. इस तरह शीतकालीन सत्र में अब तक निलंबित किए जा चुके सांसदों की संख्या 141 हो गई है. इनमें 95 सांसद लोकसभा से और 46 राज्यसभा से हैं. 

इससे पहले 18 दिसंबर को 78 सांसद निलंबित किए गए थे. इनमें 45 राज्यसभा के सांसद हैं. इनमें से 34 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किया गया है. 11 सांसदों को उनके व्यवहार पर विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया है.

निलंबित किए गए बाकी 33 सांसद लोकसभा के हैं. इनमें से 30 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किया गया है. तीन सांसदों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया है. इससे पहले 14 दिसंबर को भी राज्यसभा से एक सांसद और लोकसभा के 13 सांसदों को निलंबित किया गया था.

कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति पर मनमाने तरीके से सांसदों को निलंबित करने का आरोप लगाया. तस्वीर: Pradeep Gaur/SOPA/Zuma/picture alliance

विपक्ष का आरोप

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह संसद में आने से बच रहे हैं.

खरगे ने कहा, "मोदी और शाह बाहर लेक्चर दे रहे हैं...उन्होंने सदन की गरिमा का एक तरह से अपमान किया है. डेमोक्रेसी का अपमान करने वाले हमें पाठ पढ़ाते हैं. ये बड़े दुख की बात है कि सदन के स्पीकर और चेयरमैन साहब ने सांसदों को प्रोटेक्शन नहीं दिया और उन्हें मनमाने तरीके से सस्पेंड किया गया."

उन्होंने आगे कहा, "देश के इतिहास में पहली बार है कि इतने लोगों को उन्होंने सस्पेंड किया. ये डेमोक्रेसी के लिए अच्छी बात नहीं है. ये डराने की बात हो गई है. ऐसे डराने के लिए डेमोक्रेसी खत्म करना चाहते हैं."

खरगे ने गृहमंत्री से सदन में बयान की मांग को दोहराते हुए कहा, "जो स्टेटमेंट सदन के बाहर दे रहे हैं, वो स्टेटमेंट सदन के अंदर क्यों नहीं दे रहे. ये तो प्रिविलेज होता है कि जब सदन चलता है तो जो बातें यहां बोलनी हैं, वो अगर आप बाहर बोलते हैं, तो ये आप सदन की मर्यादा को ठेस पहुंचा रहे हैं."

इससे पहले खरगे ने सरकार के आगे दो मांगें भी रखी थीं. एक तो यह कि केंद्रीय गृहमंत्री को संसद की सुरक्षा में गंभीर उल्लंघन पर दोनों सदनों में बयान देना चाहिए और दूसरी मांग यह कि इस मामले पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए.

खरगे ने यह भी आशंका जताई कि विपक्ष-रहित संसद में अब मोदी सरकार महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को बिना बहस के बहुमत के बाहुबल से पारित करवा सकती है.

क्या भारत लोकतंत्र के लिए परिपक्व नहीं है?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर भी 19 दिसंबर को निलंबित किए गए 49 सांसदों में शामिल हैं. उन्होंने अभूतपूर्व स्तर पर हुए सांसदों के निलंबन पर टिप्पणी की, "यह स्पष्ट है कि बीजेपी 'विपक्ष मुक्त' लोकसभा चाहती है और वो ऐसा ही कुछ राज्यसभा में भी करेगी. बदकिस्मती से अब हमें भारत में संसदीय लोकतंत्र पर शोक समाचार लिखना शुरू कर देना चाहिए."

निलंबित किए गए सांसदों में शामिल दानिश अली ने कहा, "यह विचित्र है कि स्पीकर कहते हैं कि हमें निलंबित किया जा रहा है क्योंकि हमने संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन किया है. सरकार से सवाल करना संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन कैसे हो सकता है? इसका उल्लंघन तब नहीं हुआ, जब सदन में गालियां दी गईं, उन सांसद को ना तो निलंबित किया गया ना ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई."

क्यों हुआ निलंबन

13 दिसंबर को संसद पर हमले की बरसी थी. उस दिन सदन की कार्यवाही के दौरान दो लोग दर्शक दीर्घा से कूदकर सांसदों के बीच आ गए. विरोध-प्रदर्शन करते हुए उन्होंने स्मोक कैन भी खोले, जिसमें से पीले रंग का धुआं निकला. इसे सुरक्षा में बड़ी चूक माना गया. इसी मुद्दे पर विपक्ष सरकार से लगातार सवाल पूछ रहा था और प्रदर्शन कर रहा था.

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सदन में चर्चा लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत ही होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि "सदन में नारेबाजी करना, तख्तियां लेकर विरोध करते हुए वेल में आ जाना ठीक नहीं है. जनता भी ऐसे आचरण को पसंद नहीं करती है."

सदन की स्थिति

लोकसभा में सांसदों की कुल क्षमता 543 है. 21 रिक्त सीटों के कारण लोकसभा की मौजूदा संख्या 522 है. इनमें बीजेपी के 290 और उसके सहयोगी दलों के 33 सांसद हैं, यानी कुल मिलाकर 323 सांसद सत्ता पक्ष के हैं. वहीं विपक्षी सांसदों की संख्या 142 है. अब तक 95 सांसदों के निलंबन के बाद लोकसभा में केवल 47 विपक्षी सांसद ही बचे हैं. 

इसी तरह राज्यसभा में सदस्यों की कुल संख्या 245 है. छह रिक्त सीटों के साथ मौजूदा संख्या 239 है. इनमें से 93 बीजेपी के हैं. राज्यसभा में 14 दिसंबर को एक सांसद और 18 दिसंबर को 45 सांसद निलंबित किए गए, यानी अब तक 46 सांसद. इंडिया गठबंधन के पास अब यहां बमुश्किल 49 सांसद बचे हैं. इंडिया गठबंधन के अलावा राज्यसभा में जिन विपक्षी दलों के सांसद बचे हैं, उनमें वाईएसआर (9) और बीजू जनता दल (8) जैसी पार्टियों के सदस्य हैं, जिन्होंने कई मौकों पर सरकार का साथ दिया है.

सरकार का पक्ष

राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा, "आज दोनों सदनों में इंडी अलायंस के घमंडिया गठबंधन के सदस्यों ने जिस प्रकार का भद्दा व्यवहार सदन के अंदर किया, सदन की कार्यवाही को बार-बार बाधित किया, जिस प्रकार से कई माननीय सदस्यों ने प्लाकर्ड लाकर सदन की, सदन के आसन की, पूरे देश की एक प्रकार से अवमानना की."

गोयल ने आरोप लगाया कि विपक्ष सोची-समझी रणनीति के तहत आया था और नहीं चाहता था कि सदन अच्छी तरह चले. उन्होंने विपक्षी सदस्यों के निलंबन का बचाव करते हुए विपक्ष पर लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति के अपमान का आरोप लगाया.

उनका दावा है कि विपक्षी सदस्यों से बार-बार अपील की गई कि वो सीट पर बैठकर बोलें. बकौल गोयल, "जिस तरह का व्यवहार रहा, उसके चलते आज माननीय लोकसभा अध्यक्ष को 33 माननीय सांसदों को सस्पेंड करना पड़ा और राज्यसभा में माननीय 34 सांसदों को इस सेशन के आखिरी दिन तक सस्पेंड किया गया और 11 अन्य सांसदों को सस्पेंड करके उनका केस प्रिविलेज्ड कमिटी को भेजा गया है."

राज्यसभा के सभापति का मजाक

19 दिसंबर को निलंबन के बाद कई सांसद संसद के बाहर मकरद्वार के पास विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे. यहां तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की नकल करते हुए उनका मजाक उड़ाया. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी उनका वीडियो बनाते हुए दिखे.

मजाक उड़ाए जाने से जगदीप धनखड़ काफी नाराज हुए. धनखड़ ने सदन में इसे शर्मनाक बताते हुए कहा, "दिग्विजय सिंह जी, एक बात सुनिए मेरी ध्यान से. मैंने कुछ देर पहले एक टीवी चैनल पर देखा. गिरावट की कोई हद नहीं है. आपके एक बड़े नेता एक सांसद के असंसदीय व्यवहार का वीडियो बना रहे थे. आपसे बहुत बड़े नेता हैं वो. मैं तो यही कह सकता हूं कि सदबुद्धि आए. कुछ तो सीमा होती होगी, कुछ जगह तो बख्शो.’

1989 में हुआ था 63 सांसदों का निलंबन

आज 78 सांसदों के निलंबन से पहले आखिरी सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था. उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. सरकार के पास 400 से ज्यादा सांसदों का भारी बहुमत था. इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए जस्टिस ठक्कर कमिशन की रिपोर्ट पेश करने को लेकर हंगामा हुआ था.

इसी पृष्ठभूमि में 15 मार्च, 1989 को 63 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. सांसदों को सप्ताह के बचे हुए तीन दिनों के लिए निलंबित किया गया था और एक दिन बाद अध्यक्ष से माफी मांगने पर उनका निलंबन रद्द कर दिया गया था.