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समाज

पेगासस मामले में बनेगी जांच समिति

आमिर अंसारी
१६ अगस्त २०२१

पेगासस जासूसी विवाद पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आरोपों की जांच के लिए समिति का गठन होगा. साथ ही सरकार ने जासूसी के आरोपों का खंडन किया है.

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तस्वीर: Mario Goldmann/AFP/Getty Images

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच क्षेत्र के विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा की जाएगी. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक हलफनामे में कहा, "उपरोक्त याचिका और अन्य संबंधित याचिकाओं में प्रतिवादियों के खिलाफ लगाए गए किसी भी और सभी आरोपों से साफ तौर से इनकार किया जाता है."

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दो पन्ने के संक्षिप्त हलफनामे में जासूसी के आरोपों का खंडन किया है.

कोर्ट में हलफनामा

हलफनामे में आगे कहा गया है, "उपरोक्त याचिका और अन्य संबंधित याचिकाओं के अवलोकन से यह स्पष्ट हो जाता है कि ये अनुमानों और अन्य अप्रमाणित मीडिया रिपोर्टों या अधूरी या अपुष्ट सामग्री पर आधारित हैं."

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा फैलाए गए किसी भी गलत नैरेटिव को दूर करने के लिए और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा. हलफनामे में कहा गया कि समिति द्वारा मामले के सभी पहलुओं की जांच की जाएगी.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार पेगासस पर सवालों का जवाब संसद में दे चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट विभिन्न दिशा-निर्देशों की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें एक एसआईटी जांच, एक न्यायिक जांच और सरकार को निर्देश देना शामिल है कि क्या उसने नागरिकों की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था या नहीं.

10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले पर सुनवाई पर सोशल मीडिया पर समानांतर बहस पर आपत्ति जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि अनुशासन और न्याय प्रणाली में विश्वास होना चाहिए.

पेगासस पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने

पेगासस जासूसी विवाद पर मानसून सत्र में विपक्ष और सरकार के बीच गतिरोध बना रहा और हंगामे के कारण सही ढंग से संसद में काम नहीं हो पाया.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकार एन राम, शशि कुमार शामिल हैं.

पिछले महीने दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने एक साथ रिपोर्ट छापी थीं, जिनमें दावा किया गया था कि पेगासस नाम के एक स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की.

भारत में मीडिया संस्थान द वायर उस जांच का हिस्सा है, जिसे "पेगासस प्रोजेक्ट" नाम दिया गया है. इस जांच में फ्रांसीसी संस्था "फॉरबिडन स्टोरीज" को मिले उस डेटा का फॉरेंसिक विश्लेषण किया गया, जिसके तहत हजारों फोन नंबर्स को हैक किये जाने की सूचना थी.

अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थाओं जैसे वॉशिंगटन पोस्ट, गार्डियन और ला मोंड व जर्मनी में ज्यूडडॉयचे त्साइटुंग ने भी इस जांच में हिस्सा लिया था. जांच के बाद दावा किया गया है कि 50 हजार फोन नंबरों को जासूसी के लिए चुना गया था. इनमें दुनियाभर के 180 से ज्यादा पत्रकारों के फोन नंबर शामिल हैं.

रिपोर्ट में भारत में कई पत्रकारों, नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ता के फोन हैक करने का दावा किया गया था.

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