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समाज

पाकिस्तान में अफगान शांति सम्मेलन

आमिर अंसारी
१६ जुलाई २०२१

उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान शुक्रवार को अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ बैठक करेंगे और हो सकता है कि उन्हें सम्मेलन के लिए न्योता दें.

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तस्वीर: Hoshang Hashimi/AFP/Getty Images

पाकिस्तान ने 17-19 जुलाई से तीन दिवसीय अफगान शांति सम्मेलन की मेजबानी करने की घोषणा की है. दूसरी ओर तालिबान का कहना है कि उन्हें प्रस्तावित शांति सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान पड़ोसी मुल्क में शांति के प्रयासों को नई गति देने के लिए अफगानिस्तान पर तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है.

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने प्रस्तावित अफगान शांति सम्मेलन को स्थगित करने की खबरों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि कई अफगान नेताओं ने सम्मेलन में अपनी भागीदारी की पुष्टि की है.

इससे पहले सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से फोन पर बातचीत की और उन्हें सम्मेलन में शामिल होने का न्योता दिया.

तालिबान को न्योता नहीं?

अफगानिस्तान के तोलो न्यूज के मुताबिक अब्दुल्ला अब्दुल्ला, करीम खलीली, मोहम्मद यूनुस कानूनी, गुलबुद्दीन हिकमतयार, मोहम्मद हनीफ अतमार, सलाहुद्दीन रब्बानी, इस्माइल खान, अता मोहम्मद नूर, सैयद हमीद गिलानी, सैयद इशाक गिलानी, बत्तूर दोस्तम और मीरवाइज यासिनी समेत 21 प्रमुख अफगान नेता इस्लामाबाद में सम्मेलन के लिए आमंत्रित किए गए हैं. चौधरी के मुताबिक कई नेताओं ने पहले ही सम्मेलन में शामिल होने की पुष्टि कर दी है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी इस वक्त उज्बेकिस्तान में हैं और दोनों नेताओं के बीच शुक्रवार को क्षेत्रीय संपर्कों पर बैठक तय है. इमरान गनी को अफगान शांति सम्मेलन के लिए न्योता भी दे सकते हैं.

हालांकि तालिबान के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि आमंत्रितों में उन्हें शामिल नहीं किया गया है. प्रवक्ता का कहना है कि वे पहले ही कई बार पाकिस्तान का दौरा कर चुके हैं और शांति प्रक्रिया पर विस्तृत चर्चा कर चुके हैं.

पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान हमेशा से अफगानिस्तान में स्थायी शांति और स्थिरता चाहता है. चौधरी के मुताबिक, "पाकिस्तान भविष्य में भी इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि, अंत में अफगानों को ही अपने भविष्य के बारे में फैसला करना है."

अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका

पाकिस्तान पर अफगानिस्तान में वर्चस्व के लिए लड़ रहे तालिबान की मदद करने के प्रयास करने के आरोप लगते रहे हैं और आगामी सम्मेलन उस धारणा को शांत करने का एक प्रयास नजर आता है.

पाकिस्तान ने ऐसे समय में शांति सम्मेलन की घोषणा की है जब अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ रही है और तालिबान ने अफगानिस्तान के 85 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा करने का दावा किया है. तालिबान ने एक दिन पहले पाकिस्तानी सीमा के पास स्पिलन बोलदाक जिले पर कब्जा कर लिया था.

इस बीच एक अफगान अधिकारी ने कहा कि गुरुवार को पश्चिमी प्रांत में स्थानीय तालिबान नेताओं के साथ संघर्ष विराम हो गया है. तालिबान के लड़ाकों ने इस इलाके पर धावा बोल दिया था. बादगीस के गवर्नर हेसामुद्दीन शम्स ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच संघर्षविराम आज सुबह (15 जुलाई) करीब 10 बजे शुरू हुआ. संघर्षविराम की मध्यस्थता कबायली बुजुर्गों ने की थी."

रिपोर्टः आमिर अंसारी (एएफपी)

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