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समाज

पाकिस्तान में टिड्डी बनी मुर्गी का चारा

१० जून २०२०

पाकिस्तान में टिड्डियों को मुर्गियों को चारे के तौर पर खिलाया जा रहा है. पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान के किसान टिड्डी दल के हमले से पेरशान हैं. किसानों को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है.

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Heuschrecke in der Hand eines pakistanischen Bauern
तस्वीर: AFP/A. Hassan

टिड्डी दल के हमले से सैकड़ों एकड़ की फसल बर्बाद हो जाती है और किसानों को भारी आर्थिक नुकसान भी होता है. अब पाकिस्तान सरकार ने टिड्डी दल के हमले से निपटने के लिए एक ऐसी पहल की है जिससे टिड्डियों से छुटकारा तो मिल ही जाएगा साथ ही साथ उनका मुर्गियों के चारे के रूप में इस्तेमाल हो पाएगा.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पायलट प्रोजेकट का विस्तार करने का समर्थन किया है जिसके तहत ग्रामीणों को टिड्डी पकड़ने के बदले नकद पैसे मिलेंगे. इन टिड्डियों का इस्तेमाल मुर्गियों के चारे के तौर पर किया जाएगा. मुर्गी के चारे में टिड्डियों के टुकड़े मिलाकर उन्हें भोजन के तौर पर दिया जाएगा. यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पंजाब में लागू की गई थी.

पाकिस्तान के किसान अब तक के सबसे खतरनाक टिड्डी दल के हमले से जूझ रहे हैं. पिछले 25 सालों में पहली बार पाकिस्तान में इस तरह का हमला हुआ है, जिससे किसानों की आमदनी में बड़ा फर्क पड़ा है. पाकिस्तान के खाद्य मंत्रालय के मोहम्मद खुर्शीद और बायोटेक्नोलॉजी विशेषज्ञ जोहर अली ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की है, युद्धग्रस्त यमन में अकाल के दौरान प्रशासन ने लोगों को टिड्डी खाने के लिए प्रोत्साहित किया था. टिड्डी प्रोटीन से भरपूर होती है.

पाकिस्तान के दोनों अधिकारियों ने पंजाब प्रांत के ओकारा में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे लागू किया, यहां के किसानों ने टिड्डियों को भगाने के लिए किसी कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया था. टिड्डियों के दल को भगाने के लिए कीटनाशक के इस्तेमाल से यह चारे के लिए उपयुक्त नहीं रहता. समाचार एजेंसी एएफपी से खुर्शीद कहते हैं, "पहले हमने सीखा इसके बाद स्थानीय लोगों को सिखाया कि कैसे टिड्डी को पकड़ते हैं. उन्हें पकड़ने के लिए जाली बेकार है."

Pakistan Heuschrecken
पाकिस्तान ही नहीं भारत में भी हो रहे हैं टिड्डी दल के हमले.तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Hassan

रात के समय में जब तापमान कम होता है तो टिड्डी दल पेड़-पौधों पर बैठे होते हैं तो उन्हें पकड़ा आसान होता है. 20 रुपये प्रति किलो की दर से स्थानीय लोगों ने रात भर टिड्डियों को जमा करने के लिए काम किया. एक महिला किसान ने बताया कि टिड्डी दल के हमले के कारण उसकी पूरी फसल बर्बाद हो गई. महिला और उसके बेटे ने टिड्डी पकड़ कर 1,600 रुपये कमाये, जिससे उसका आर्थिक नुकसान थोड़ा कम हो पाया.

आयोजकों को पहले-पहले तो किसानों को टिड्डियों को पकड़ने के लिए मनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. लेकिन जैसे-जैसे बात फैली लोग बोरी भरकर टिड्डी पकड़ ले आए. 20 टन टिड्डी पकड़ने के बाद अधिकारियों के पास किसानों को देने के लिए पैसे नहीं बचे और उन्होंने कार्यक्रम को रोक दिया. खाद्य मंत्रालय ने फरवरी के पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों की घोषणा की और अब वह योजना को अन्य जगह तक ले जाना चाहता है.

पकड़ी गईं टिड्डियों को पाकिस्तान के सबसे बड़े पशु चारा उत्पादक हाई-टेक फीड्स को दिया गया, जिसने मुर्गियों के चारे में सोयबीन के साथ इन कीड़ों को मिलाया. यह चारा 500 ब्रॉयलर चिकन को दिया गया. कंपनी के जनरल मैनेजर मोहम्मद अतहर के मुताबिक, "चारे के साथ कोई समस्या नहीं हुई. चारे के तौर पर टिड्डियों में बहुत क्षमता होती है." हालांकि यह प्रोजेक्ट टिड्डी दल के हमले की वजह से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं है लेकिन मुश्किलों से घिरे किसानों के लिए आय एक जरिया हो सकता है.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक अगर पाकिस्तान की 25 फीसदी फसल बर्बाद होती है तो उसे 5 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है. यही नहीं उपज कम होने से खाद्य सामग्री के दाम बढ़ सकते हैं और खाद्य असुरक्षा का जोखिम भी बढ़ सकता है.

एए/सीके (एएफपी) 

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