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नजरिया: ओलाफ शॉल्त्स को महमूद अब्बास को तभी टोकना चाहिए था

साराह जूडिथ होफमन
१८ अगस्त २०२२

जब महमूद अब्बास ने होलोकॉस्ट की तुलना इस्राएल के फलस्तीनी लोगों के साथ बर्ताव से की, जर्मन चांसलर को उन्हें तभी टोकना चाहिए था. साराह जूडिथ होफमन पूछती हैं कि होलोकॉस्ट को कभी ना भूलने वाली जर्मन संस्कृति का क्या हुआ?

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Berlin | PK Kanzler Olaf Scholz und Mahmoud Abbas
तस्वीर: Wolfgang Kumm/dpa/picture alliance

जर्मन चांसलरी में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास, इस्राएल के फलस्तीनी लोगों के खिलाफ रवैये की तुलना होलोकॉस्ट से कर रहे थे, उस समय ओलाफ शॉल्त्स कोई प्रतिक्रिया ना दे सके और जैसे पूरी तरह असहाय महसूस कर रहे थे.

उस पल में, चांसलर ने घूर कर सामने देखा और साफ तौर पर क्रुद्ध दिखे. हालांकि अब्बास के इस भड़काऊ बयान के खिलाफ उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला कि "साल 1947 से आज तक, इस्राएल ने 50 फलस्तीनी इलाकों में, 50 सामूहिक हत्याकांड किये हैं - 50 हत्याकांड, 50 होलोकॉस्ट."

इसके थोड़ी ही देर बाद शॉल्त्स के प्रवक्ता ने आकर कॉन्फ्रेंस को खत्म किया और दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया.

एक बात बिल्कुल साफ है कि कोई भी जर्मन चांसलर कभी भी किसी मेहमान को मानव इतिहास के गंभीरतम अपराध की स्मृति से इंकार करने, उसकी तुलना करने या किसी भी तरह से उसे प्रदूषित करने नहीं दे सकता है, खासतौर पर खुद जर्मन धरती पर.

क्या यह याद दिलाने की जरूरत है कि होलोकॉस्ट की योजना बर्लिन में ही बनी थी. नाजी जर्मनी के ऊपर 60 लाख यहूदियों की हत्या का दोष है. उन पीड़ितों की यादों का सम्मान करना हर जर्मन सरकार की जिम्मेदारी है.

क्यों भूल रही है याद रखने की संस्कृति

कुछ तो है जिससे जर्मनी की सनद रखने वाली संस्कृति में गड़बड़ी आ रही है. वरना इसे कैसे समझा जाए कि ओलाफ शॉल्त्स ने जब "एपार्थाइड" यानि "रंगभेद" शब्द सुना तो उनके दिमाग में फौरन कुछ खटका था. यह शब्द अपने आप में काफी विवादास्पद है और इस्राएली सरकार बार बार इसे यहूदीविरोधी बताते हुए इसकी निंदा करती आई है. जैसे कि हाल ही में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने जब अपनी रिपोर्ट में इसका इस्तेमाल किया था. हालांकि इसके इस्तेमाल पर इस्राएल से लेकर, अमेरिका और जर्मनी तक के प्रबुद्ध दायरों में काफी गर्मागर्म बहस चलती रहती है.

चांसलर यह साफ कर चुके हैं कि उनकी सरकार और वह खुद इस्राएल के संदर्भ में इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करते हैं. जाहिर है कि इस मामले में उनकी अच्छी तैयारी थी.

फिर ऐसा कैसे हुआ कि उन्हें इस संभावना का जरा भी अंदेशा नहीं  हुआ कि अब्बास होलोकॉस्ट से तुलना जैसी कोई बात कर सकते हैं? आखिरकार, यह कोई पहली बार तो नहीं हुआ कि फलस्तीनी राष्ट्रपति ने अस्वीकार्य बयान देकर ध्यान खींचने की कोशिश की हो.

शॉल्त्स बोले तो लेकिन देर कर दी

असल में जर्मन सरकार को ऐसे शब्द पकड़ने की जरूरत नहीं है जिन पर मध्यपूर्व संघर्ष के संदर्भ में खूब विवाद रहता है. ऐसे शब्द जिन्हें कई फलस्तीनी इस्तेमाल करते हैं और कई जाने माने मानवाधिकार संगठन भी.

बल्कि, जहां भी होलोकॉस्ट की याद का संदर्भ आता है, वहां एक सीमा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. इसी बिंदु पर जर्मनी ने अपना कर्तव्य तय किया था और इस पर वो चुप्पी नहीं रख सकता. ओलाफ शॉल्त्स के फौरन अब्बास के शब्दों को ना नकारने से जर्मनी की छवि को धक्का लगा है, केवल इस्राएल की ही नहीं और इसे माफ नहीं किया जा सकता.

प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चांसलर ने ट्वीट किया: "फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास की टिप्पणी मुझे बहुत खराब लगी. खासतौर पर हम जर्मनों के लिए होलोकॉस्ट के साथ ऐसी कोई भी तुलना बर्दाश्त करने के काबिल नहीं है. मैं होलोकॉस्ट के अपराधों से इनकार करने की किसी भी ऐसी कोशिश की निंदा करता हूं."

यह सफाई लेकिन काफी देर से आई. इस कांड की गूंज इस्राएल तक पहुंच चुकी थी और इस समय मध्यपूर्व में बनी तनावपूर्ण स्थिति को और भड़काने में ईंधन का काम कर सकती है. इस्राएल के प्रधानमंत्री याइर लापिड खुद भी होलोकॉस्ट सर्वाइवर की संतान हैं. उन्होंने अब्बास के बयान पर ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, कि "इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा."

अब्बास नहीं हैं सारे फलस्तीनियों के प्रतिनिधि

अब्बास के शब्दों पर और प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है. वे बहुत शर्मनाक हैं. लेकिन खासतौर पर उन फलस्तीनियों के लिए भी शर्मिंदगी का कारण हैं जिन्हें यह चुनने का अधिकार है कि विश्व पटल पर उनका प्रतिनिधित्व कौन कर रहा है. (याद रखिए कि फलस्तीन में आखिरी बार लोकतांत्रिक चुनाव 16 साल पहले हुए थे) और उन्हें ऐसा राष्ट्रपति मिलना चाहिए जो कम से कम डिप्लोमैटिक होने की कोशिश तो करता हो.

प्रेस कॉन्फ्रेस के बाद अब्बास चाहते तो यह सुनिश्चित कर सकते थे कि लोग इस पर चर्चा करें कि कुछ ही दिन पहले कैसे इस्राएली बलों के हवाई हमले में पांच बच्चे मारे गए थे. जबकि इस्राएल ने अपने बयान में कहा था कि यह इस्लामिक जिहादी मिसाइल का हमला था.

इसके बजाए, उन्होंने होलोकॉस्ट के पीड़ितों की स्मृतियां खराब कीं और उन्हीं के साथ उन सब फलस्तीनियों की भी जो कभी होलोकॉस्ट की इस तरह तुलना नहीं करना चाहेंगे. वे फलस्तीनी जो अपने लिए और इस्राएलियों के लिए भी आखिरकार केवल शांति चाहते हैं. 

यह मूल रूप से जर्मन में लिखे लेख का हिन्दी अनुवाद है.