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मीडियाभारत

ओपनएआई और मीडिया के बीच रणभूमि बना भारत

२८ जनवरी २०२५

भारत की कई मीडिया कंपनियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी ओपनएआई पर मुकदमा किया है. यह मुकदमा दुनियाभर के लिए अहम साबित हो सकता है.

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एआई ऐप्स
चैटजीपीटी और अन्य एआई ऐप्स ने मीडिया कंपनियों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी हैतस्वीर: Jonathan Raa/Sipa USA/picture alliance

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तेजी से बदलती दुनिया में, भारत एक जटिल कानूनी लड़ाई चल रही है. डिजिटल मीडिया संस्थान, प्रकाशक और टेक कंपनियां कॉपीराइट उल्लंघन को लेकर आपस में भिड़ रही हैं. इस संघर्ष के केंद्र में ओपनएआई है, जिसने चर्चित भाषा मॉडल चैटजीपीटी बनाया है.

भारतीय मीडिया संगठनों का आरोप है कि ओपनएआई ने अपनी एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए बिना इजाजत के उनकी सामग्री का प्रयोग किया है. यह मामला केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में महत्वपूर्ण नतीजे तय कर सकता है, खासकर जब एआई की उद्योगों को फिर से आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका बन रही है.

प्रमुख पक्ष और उनके आरोप

भारत के डिजिटल मीडिया जगत में कई बड़ी कंपनियों ने ओपनएआई के खिलाफ मोर्चा खोला है. अदाणी के एनडीटीवी, अंबानी के नेटवर्क18, इंडियन एक्सप्रेस और हिंदुस्तान टाइम्स जैसी प्रभावशाली कंपनियों ने ओपनएआई के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू की है. देश के प्रमुख समाचार प्रकाशकों का दावा है कि ओपनएआई ने उनकी डिजिटल सामग्री को बिना अनुमति के एआई मॉडल में इस्तेमाल किया है.

दिल्ली की अदालत में दायर मुकदमे में कहा गया है कि ओपनएआई ने "अपनी मर्जी से सामग्री को उठा लिया" है, जिससे समाचार संगठनों के कॉपीराइट का उल्लंघन हुआ है. इन संगठनों का आरोप है कि ओपनएआई ने उनके समाचारों और दूसरी सामग्री का उपयोग बिना मुआवजा या अनुमति के किया है, जिससे उनके व्यापार मॉडल पर असर पड़ सकता है.

यह शिकायत केवल समाचार सामग्री तक सीमित नहीं है. इसमें एआई ट्रेनिंग सिस्टम के जरिए किताबों, लेख और मल्टीमीडिया सहित विभिन्न स्रोतों से कॉपीराइट के तहत आने वाली सामग्री के अंश भी उठाने की भी बात है. आरोप है कि इससे रचनात्मक उद्योगों को नुकसान पहुंच सकता है और ओपनएआई जैसी कंपनियां बिना किसी के योगदान के उनके कामों से लाभ उठा सकती हैं.

यह मामला वैश्विक बहस को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि एआई की चैटजीपीटी जैसी सेवाओं की सूचनाएं देने, रचनात्मक सामग्री तैयार करने और व्यापार में भूमिका बढ़ती जा रही है. भारत में लगभग 69 करोड़ लोग स्मार्टफोन चलाते हैं. ऐसे में एआई मॉडल्स पर बड़ी मात्रा में ऑनलाइन डेटा से प्रशिक्षित होने की चिंता और भी गंभीर हो जाती है. जब भारत ओपनएआई के सबसे बड़े बाजारों में से एक है, तो यह कानूनी लड़ाई देश के मीडिया उद्योग के लिए महत्वपूर्ण बन जाती है.

कंपनी ने पिछले साल भारत में अपनी पहली नियुक्ति की. उसने व्हाट्सएप की पूर्व अधिकारी प्रज्ञा मिश्रा को 1.4 अरब लोगों वाले देश में सार्वजनिक नीति और साझेदारियों को संभालने के लिए चुना. मिश्रा ने एआईएम टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा, "भारत वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दुनिया की सबसे युवा आबादी है. हमने चैटजीपीटी का जबरदस्त उपयोग देखा है, यह अमेरिका के बाहर यूजरों के मामले में हमारा लगभग दूसरा सबसे बड़ा देश है."

ओपनएआई का रुख

इस मुकदमे का जवाब देते हुए, ओपनएआई ने यह कहा है कि इसके एआई सिस्टम्स, जिसमें चैटजीपीटी भी शामिल है, "उचित उपयोग" की सीमाओं के भीतर काम करते हैं, और अपने मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा का उपयोग करते हैं. कंपनी का कहना है कि वह बिना अनुमति के किसी भी मालिकाना या कॉपीराइट सामग्री का उपयोग नहीं कर रही है.

कंपनी के मुताबिक वह केवल ऐसे डेटा का उपयोग करती है जो सभी के लिए उपलब्ध है, जैसे कि विकीपीडिया से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सामग्री या पब्लिशर्स की वेबसाइटों से सारांश और कंटेंट टेबल्स. कंपनी का कहना है कि वह केवल सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी तक पहुंचने के लिए वेब क्रॉलर का उपयोग करती है और इसका मकसद किसी भी कॉपीराइट कानून का उल्लंघन करना नहीं है.

ओपनएआई की दलील यह भी है कि इसके एआई सिस्टम द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री सीधे तौर पर स्रोतों से नहीं ली जाती, बल्कि मॉडल द्वारा इसे प्रोसेस और फिर से कॉन्फिगर किया जाता है. कंपनी का कहना है कि यह प्रक्रिया कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं करती, क्योंकि मॉडल स्रोतों से सीधे तौर पर नहीं लेता, बल्कि डेटा से सीखे गए पैटर्न के आधार पर जवाब तैयार करता है.

कंपनी यह भी बताती है कि उसने कई मीडिया संगठनों, जैसे कि टाइम मैगजीन, फाइनेंशियल टाइम्स और ला मॉन्ड के साथ साझेदारी की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसके मॉडल्स में उपयोग की जाने वाली सामग्री सही तरीके से लाइसेंस प्राप्त हो. हालांकि, ये कंपनियां मुख्य रूप से भारत के बाहर के हैं, और आलोचकों का कहना है कि ओपनएआई ने भारत में इसी तरह की साझेदारी नहीं की है. 

ओपनएआई का बचाव यह भी है कि उसके सर्वर विदेशों में स्थित हैं, इस कारण भारतीय अदालतों के पास इस मामले में निर्णय लेने का अधिकार नहीं हो सकता. अगर यह दलील मंजूर होती है, तो इसका प्रभाव यह हो सकता है कि देशों के पास डिजिटल युग में कॉपीराइट सुरक्षा लागू करने और नियमों को लागू करने का अधिकार नहीं होगा, खासकर जब मामला अंतरराष्ट्रीय कंपनियों जैसे ओपनएआई से संबंधित हो.

भारतीय मीडिया, एक बिखरी हुई इंडस्ट्री

यह कानूनी चुनौती भारत के मीडिया उद्योग में टेक कंपनियों, खासकर एआई-आधारित प्लेटफॉर्मों की बढ़ती ताकत को लेकर चिंता को दिखाती है. आरोप लगाने वालों का कहना है कि ओपनएआई के तौर-तरीके डिजिटल इकोनॉमी में असंतुलन का बड़ा मुद्दा बन चुकी हैं, जहां टेक कंपनियां बिना उचित मुआवजे के सामग्री से लाभ उठा रही हैं.

बहुत से भारतीय मीडिया संस्थान पहले ही पारंपरिक स्रोतों जैसे प्रिंट विज्ञापन और सब्सक्रिप्शन मॉडल से कम हो रही आय से जूझ रहे हैं. डिजिटल प्लेटफॉर्मों के उभार ने इन समस्याओं को और बढ़ा दिया है और अब एआई-आधारित प्लेटफॉर्म्स जैसे चैटजीपीटी के उपयोग से बिना मुआवजे के सामग्री को कॉपी करने की संभावना इन व्यवसायों के लिए एक गंभीर खतरा बन गई है.

इसके अलावा, आलोचकों का कहना है कि इसका सामाजिक और राजनीतिक नजरिए से भी गंभीर परिणाम हो सकता है. भारतीय मीडिया पहले से ही पक्षपात, राजनीतिक प्रभाव और सेंसरशिप के आरोपों के घेरे में है. एआई का उभरना सूचना प्रसार में एक नई जटिलता जोड़ता है. अगर एआई सिस्टम्स जैसे चैटजीपीटी मौजूदा समाचारों का इस्तेमाल कर जवाब दे सकते हैं, तो प्रकाशकों को डर है कि यह प्रेस की स्वतंत्रता और शक्ति को कमजोर कर देगा.

पूरी दुनिया में असर

एआई कंपनियों पर आरोप लगाने में भारत अकेला नहीं है. दुनिया भर की कंपनियां कह रही हैं कि वे बिना अनुमति के कॉपीराइट सामग्री का उपयोग कर रही हैं. हर जगह लेखक, संगीतकार और दूसरे क्रिएटिव लोग इसी तरह की चिंताओं को जाहिर रहे हैं.

पढ़ाई-लिखाई में चैटजीपीटी का इस्तेमाल कितना फायदेमंद?

अमेरिका में न्यूयॉर्क टाइम्स ने ओपनएआई और उसकी वित्तीय समर्थक माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, जिसमें कंपनी पर बिना अनुमति के लाखों आर्टिकल्स का उपयोग कर एआई मॉडल्स को ट्रेन करने का आरोप है. इसी तरह के कानूनी कदम कई और देशों में भी उठाए गए हैं, जो एआई तकनीकों के तेजी से विकास और मौजूदा कॉपीराइट कानूनों के बीच बढ़ते तनाव को दिखाते हैं.

भारत का मामला ज्यादा बड़ा है क्योंकि देश का डिजिटल बाजार तेजी से बढ़ रहा है. 69 करोड़ स्मार्टफोन यूजर और तेजी से बढ़ता इंटरनेट यूजर बेस भारत को ओपनएआई जैसी कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बना देता है. इसके अलावा, भारत एक विशाल और विविध मीडिया बाजार है, जो प्रिंट, टीवी और डिजिटल फॉर्मेट में फैला हुआ है. इससे यह एआई युग में कॉपीराइट कानून के लिए एक महत्वपूर्ण रणभूमि बन गया है.

दिल्ली में जारी कानूनी कार्यवाही का नतीजा ना केवल ओपनएआई, बल्कि पूरे एआई उद्योग के लिए अहम हो सकता है. भारतीय कंपनियों के पक्ष में फैसला आया, तो यह भविष्य में एआई कंपनियों के संचालन के लिए एक मजबूत उदाहरण बन सकता है. दूसरी तरफ अगर ओपनएआई जीत जाती है, तो यह टेक कंपनियों को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा का उपयोग करने में काफी छूट मिलने का संकेत हो सकता है. यह वैश्विक स्तर पर एआई विकास के कानूनी परिदृश्य को फिर से आकार दे सकता है.

वीके/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)

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