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यूरोप में आठ में से एक मौत का कारण प्रदूषण

८ सितम्बर २०२०

यूरोपियन एनवायरनमेंट एजेंसी, ईईए द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय संघ में आठ में से एक मौत प्रदूषण के कारण होती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी ने लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया है.

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तस्वीर: Colourbox

यूरोप को यूं तो साफ सुथरा माना जाता है लेकिन यूरोपीय संघ में हुई एक ताजा स्टडी हैरान करने वाले दावे कर रही है जिसके बाद यहां चल रहे प्रदूषण पर चर्चा तेज हो गई है. यूरोपीय संघ के 27 देशों और ब्रिटेन को मिला कर 2012 के आंकड़े अगर देखे जाएं तो पता चलता है कि 6,30,000 मौतें किसी ना किसी तरह से पर्यावरण से जुड़ी थी. खास कर बुजुर्गों और बच्चों की सेहत पर प्रदूषण का बड़ा असर देखा गया है और इसे कैंसर तथा हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार बताया गया है.

इन मौतों का सबसे बड़ा कारण रहा वायु प्रदूषण और दूसरा ध्वनि प्रदूषण. कोपनहेगन स्थित एजेंसी ईईए के अनुसार ईयू में वायु प्रदूषण के कारण सालाना चार लाख लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है. खराब हवा में सांस लेने के कारण लोगों को दमा जैसी बीमारियां हो रही हैं. इसके अलावा डायबिटीज, फेफड़ों के रोग और कैंसर को भी इससे जोड़ कर देखा जा रहा है. इसी तरह ईईए का कहना है कि लंबे समय तक शोर में वक्त गुजारने के कारण ईयू में सालाना 12,000 लोगों की बेवक्त मौत हो रही है.

क्रोनिक बीमारियों के चलते ना केवल लोगों का जीवन छोटा हो रहा है बल्कि जीवन की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है. साथ ही लोगों के परिवारों और देशों के मेडिकल सिस्टम पर भी तनाव बढ़ रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है, "इन मौतों को रोका जा सकता है और पर्यावरण को बेहतर बनाने के प्रयास कर इन आंकड़ों को कम किया जा सकता है." रिपोर्ट यह भी कहती है कि प्रदूषण के कारण कोरोना संक्रमण के मामले बढे हैं. इसके अनुसार अगर हवा साफ होती तो लोगों की इम्यूनिटी बेहतर होती और वे कोरोना वायरस के कारण अपनी जान ना गंवाते.

लॉकडाउन के दौरान भले ही पर्यावरण को कुछ वक्त के लिए राहत मिली हो लेकिन इसके बावजूद माना जा रहा है कि आने वाले दशकों में यूरोपीय देश प्रदूषण को कम करने के अपने टारगेट पूरे नहीं कर पाएंगे. रिपोर्ट में कहा गया है, "कोविड-19 ने एक बार फिर खतरे की घंटी बजाई है, हमें अपनी सेहत और पर्यावरण के जरूरी रिश्ते की अहमियत के बारे में एक बार फिर अवगत कराया है."

रिपोर्ट में यूरोप में पीने के पानी की अच्छी क्वॉलिटी की तारीफ तो की गई है लेकिन साथ ही इस पानी में बढ़ती एंटीबायोटिक की मात्रा पर चिंता भी व्यक्त की गई है. इनका इस्तेमाल पानी साफ करने वाले संयंत्रों में किया जाता है.

आईबी/एनआर (एएफपी, डीपीए)

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