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विज्ञानलेबनान

मच्छरों के 13 करोड़ साल पुराने शव मिले, हुआ हैरतअंगेज खुलासा

६ दिसम्बर २०२३

वैज्ञानिकों को दो मच्छरों के 13 करोड़ साल पुराने शव मिले हैं. लेबनान में मिले इन जीवाश्मों से हैरतअंगेज खुलासा हुआ है.

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मादा मच्छर मलेरिया फैलाती हैं
नर मच्छरों में डंक नहीं होतेतस्वीर: pzAxe/IMAGO

हर साल लाखों लोगों की जान मलेरिया और अन्य ऐसी बीमारियों से होती है, जो मच्छरों के काटने से होती हैं. इन सभी मौतों के लिए मादा मच्छर जिम्मेदार होती हैं क्योंकि उनके मुंह में ही वैसे डंक होते हैं, जो नर मच्छरों में नहीं होते.

लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था. मच्छर नाम का यह जीव करोड़ों साल से धरती पर मौजूद है और इसे डायनासोर का समकालीन माना जाता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों को मच्छरों के सबसे पुराने जीवाश्म मिले हैं, जिन्होंने एक हैरतअंगेज सच्चाई का खुलासा किया है.

वैज्ञानिकों को लेबनान के हम्माना शहर में क्रेटासियस युग के मच्छरों के अवशेष मिले हैं. करीब 13 करोड़ साल पुराने दो नर मच्छरों के ये अवशेष चट्टानों में मिले हैं. वैज्ञानिक हैरान इसलिए हैं कि इन नर मच्छरों के मुंह में खून चूसने वाले वैसे डंक मौजूद हैं, जो अब सिर्फ मादाओं के मुंह में पाए जाते हैं.

एकदम आधुनिक मच्छरों जैसे

नानजिंग इंस्टिट्यूट ऑफ जियोलॉजी एंड पेलिएंथोलॉजी और लेबनीज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह खोज की है. मुख्य विशेषज्ञ नानजिंग इंस्टिट्यूट के डैनी अजार कहते हैं, "जाहिर है कि वे खून चूसते थे. इसलिए मच्छरों के विकास के इतिहास की यह एक बड़ी खोज है.”

इस खोज के बारे में एक शोध पत्र करंट बायोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है. इसमें बताया गया है कि जीवाश्म में बदल चुके ये दोनों मच्छर विलुप्त हो चुकी एक ही प्रजाति के हैं. वे आकार-प्रकार में आधुनिक मच्छरों जैसे ही हैं, लेकिन उनके मुंह में मौजूद डंक आज की मादा मच्छरों में पाए जाने वाले डंक से छोटा है.

अजर कहते हैं, "इंसान का खून पीने वाले जीवों में मच्छर सबसे बदनाम प्रजाति हैं. वे बड़ी संख्या में परजीवियों और बीमारियों को मनुष्यों में प्रवाहित करते हैं. सिर्फ अंडे देने को तैयार मादा मच्छर ही खून चूसती हैं क्योंकि उन्हें अपने अंडों के विकास के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है. नर मच्छर और गर्भवती होने को तैयार मादा मच्छर, पौधों से रस चूसते हैं. और कुछ नर मच्छर तो कुछ भी नहीं खाते.”

हैरतअंगेज है खोज

उड़ने वाले कुछ कीटों जैसे त्सेत्से मक्खियों में खून चूसने वाले नर पाए जाते हैं, लेकिन मच्छरों की मौजूदा प्रजातियों में ऐसे नर नहीं पाए जाते. शोधकर्ताओं में से एक पेरिस स्थित नेशनल म्यूजियम ऑफ नैचुलर हिस्ट्री में कीटविज्ञानी आंद्रे नेल कहते हैं, "क्रेटासिअस युग में ऐसा व्यवहार मिलना वाकई हैरतअंगेज है.”

मच्छरों को नपुंसक बनाना कितना कारगर होगा

जीवाश्मों में मच्छरों के अवशेष बहुत करीने से संरक्षित मिले हैं. दोनों ही मच्छरों के तीखे जबड़े हैं और दांत जैसे आकार भी नजर आते हैं.

शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें संदेह है कि मच्छर ऐसे जीवों के वंशज हैं, जो खून नहीं चूसते थे. उनका अनुमान है कि मच्छरों के डंक पहले पौधों का रस चूसने के लिए इस्तेमाल होते होंगे.

विश्व में मच्छरों की 3,500 प्रजातियां पाई जाती हैं. अंटार्कटिक के अलावा दुनिया के हर हिस्से में वे मौजूद हैं. कुछ प्रजातियां रोगों की वाहक बन जाती हैं और मलेरिया, जीका बुखार, डेंगू जैसी बीमारियां फैलाती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मलेरिया से हर साल दुनिया में चार लाख लोगों की जान जाती है.

वीके/एसएम (रॉयटर्स)

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