अब उज्बेकिस्तान का आरोप, भारतीय दवा से हुई बच्चों की मौत
२९ दिसम्बर २०२२उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई जानकारी के मुताबिक इस सिरप का नाम डॉक-1 मैक्स है, जिसे नोएडा स्थित दवा कंपनी मैरियन बायोटेक ने बनाया है. मंत्रालय ने बताया कि दवा की जांच कराई गई थी जिसमें एथिलीन ग्लाइकोल नाम का दूषणकारी तत्व पाया गया.
सभी मौतें उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में हुईं हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के मुताबिक दवा को बिना प्रिस्क्रिप्शन के और ज्यादा मात्रा में लिया गया था. गाम्बिया में भी जांच में कफ सिरप में एथिलीन ग्लाइकोल ही पाया गया था.
जांच के नतीजों का इंतजार
मैरियन बायोटेक और भारत सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारत में दवाओं की नियामक संस्था सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन और उत्तर प्रदेश ड्रग्स कंट्रोलिंग एंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने मामले में जांच शुरू कर दी है.
मीडिया रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि कंपनी ने अपने उत्पादन केंद्र से दवा के सैंपल जांच के लिए भेज दिए हैं और अब जांच के नतीजों का इंतजार किया जा रहा है. इससे पहले गाम्बिया वाले मामले में भारत ने गाम्बिया की सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दावों को मानने से इनकार कर दिया था.
उस मामले में मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड नाम की कंपनी द्वारा बनाई गई कफ सिरप को 70 बच्चों की मौत का जिम्मेदार बताया गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि सिरप की जांच में अस्वीकार्य मात्रा में एथिलीन ग्लाइकोल और डाइथाइलीन ग्लाइकोल पाए गए थे, जो जहरीले हो सकते हैं और गुर्दों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं.
भारतीय दवाओं पर सवाल
भारत ने शुरू में तो इस सिरप के उत्पादन पर रोक लगाकर जांच के आदेश दे दिए थे, लेकिन जांच के नतीजे आने के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने कहा था कि "दवा में कोई जहरीला पदार्थ नहीं था और दवा मानकों के अनुकूल थी."
भारत दुनिया में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है और खुद को गर्व से "दुनिया की फार्मेसी" कहता है. पूरी दुनिया में दवाओं का जितना निर्यात होता है भारत की उसमें 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
लेकिन पहले गाम्बिया और अब उज्बेकिस्तान में हुई बच्चों की इन मौतों से भारतीय दवाओं की सुरक्षात्मकता पर सवाल खड़े हो गए हैं. विदेश में ही नहीं, दो साल पहले जम्मू में डिजिटल विजन नाम की एक कंपनी द्वारा बनाई सिरप पीने के बाद 17 बच्चों की मौत हो गई थी. उस दवा में भी डाइथाइलीन ग्लाइकोल पाया गया था.