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रूस की टायकून कंपनी पर दो अरब डॉलर का जुर्माना

ओंकार सिंह जनौटी
५ फ़रवरी २०२१

आर्कटिक में हजारों टन डीजल लीक करने वाली रूसी कंपनी पर 2 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया है. बीते कुछ सालों में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली बेहद ताकतवर कंपनियां भी बच नहीं पा रही हैं.

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पर्यावरण में घुला 21,000 टन डीजलतस्वीर: picture-alliance/dpa/E. Kostyuchenko

रूस के दुर्गम इलाके साइबेरिया में मई 2020 में अचानक बड़ी संख्या में मछलियां मरने लगीं. आबोहवा में डीजल की बदबू फैल गई. जांच में पता चला कि यह डीजल है, जो दुनिया में पैलाडियम और निकेल की सबसे बड़ी कंपनी नोरिलस्क निकेल (नोरनिकेल) के एक स्टोरेज टैंक से लीक हुआ है. 21,000 टन डीजल के इस रिसाव को रूस के इतिहास की सबसे बड़ी पर्यावरणीय आपदा कहा जाता है.

हादसे ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी बहुत नाराज किया. अब 54 अरब डॉलर मार्केट वैल्यू वाली कंपनी नोरनिकेल पर रूस की एक अदालत ने दो अरब डॉलर का जुर्माना लगाया है. अदालत का कहना है कि यह कार्रवाई पर्यावरण को ठेंगा दिखाने वाली कंपनियों के लिए एक संदेश है.

Russland: Reinigung von Kraftstoffverschmutzungen in Norilsk
रिसाव के कारण टुंड्रा प्रदेश की नदियों और झीलों में बड़ी संख्या में जलीय जीव मारे गएतस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Kukhmar

आधुनिकीकरण का दबाव

कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए रूस की उप प्रधानमत्री विक्टोरिया अब्राह्मशेंको ने कहा, "इस फैसले के बाद बड़े और जोखिम भरे कारखाने के मालिकों का व्यवहार बदलना चाहिए, उन्हें ये देखना चाहिए कि वे अपने प्रोडक्शन को कैसे आधुनिक बना सकते हैं." डिप्टी पीएम ने कहा, "आधुनिकीकरण करना 146 अरब रूबल (दो अरब डॉलर) के हर्जाने के मुकाबले काफी सस्ता है."

आम तौर पर नोरनिकेल के नाम से विख्यात ये कंपनी दुनिया में पैलाडियम और निकेल की सबसे बड़ी उत्पादक है. कंपनी लंबे समय से साइबेरियाई आर्कटिक इलाके में सल्फर डायऑक्साइड का उत्सर्जन करने के लिए भी बदनाम हैं.

Russland, Norilsk: Neuer Umweltskandal in russischer Tundra
डीजल रिसाव की सफाई करने में कई महीने लगेतस्वीर: picture-alliance/AP/Russian Emergency Situations Ministry

पर्यावरण को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता

हाल के हफ्तों में यह दूसरा बड़ा मामला है जब पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाने के कारण किसी दिग्गज कंपनी पर भारी जुर्माना लगाया गया है. जनवरी के आखिर में नीदरलैंड्स की एक अदालत ने भी अपने ही देश की पेट्रोलियम कंपनी रॉयल डच शेल को नाइजीरिया के किसानों को हर्जाना देने का आदेश दिया. नाइजर डेल्टा में तेल निकालने समय शेल की पाइलपाइन से तेल लीक हुआ. स्थानीय किसानों ने आरोप लगाया कि इस रिसाव के कारण उनकी जमीन बंजर हो गई. 2008 में शेल पर मुकदमा किया गया. चार गरीब किसान बनाम दिग्गज शेल का यह मुकदमा कई अदालतों से गुजरता हुआ आखिरकार हॉलैंड पहुंचा. और आखिरकार 13 साल बाद शेल को चार किसानों को हर्जाना देने को कहा गया.

Öl-Katastrophe im Golf von Mexiko 2010
2010 में मेक्सिको की खाड़ी में बीपी के ऑयल प्लेटफॉर्म पर हुआ बड़ा हादसातस्वीर: Getty Images

बीते कुछ सालों को देखें तो पता चलता है कि अब सरकारें भी ऐसे हादसों को गंभीरता से ले रही हैं. 2010 में मेक्सिको की खाड़ी में 49 लाख बैरल कच्चा तेल लीक करने वाली कंपनी ब्रिटिश पेट्रोलियम (बीपी) पर अमेरिकी सरकार ने 5.7 अरब डॉलर का जुर्माना ठोंका. दुनिया भर में अब कई पर्यावरण संगठन आबोहवा को नुकसान पहुंचाने वाली कंपनियों के खिलाफ मिलकर मुकदमे लड़ रहे हैं. नीदरलैंड्स की अदालत के फैसले के बाद फ्रेंड्स ऑफ द अर्थ ने कहा कि यह वैश्विक स्तर पर कंपनियों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक बड़ी जीत है.

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