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समाज

चीन में अस्थि कलश का दावेदार तक नहीं!

३० मार्च २०२०

मध्य चीन के हुबेई प्रांत के जिंगझोऊ शहर के श्मशान में दस लावारिस अस्थि कलश पड़े हुए हैं. कोरोना वायरस का सबसे अधिक प्रभाव हुबेई प्रांत पर पड़ा है. चीन में अंतिम संस्कार पर प्रतिबंध लगा हुआ है.

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China, Wuhan: provisorisches Krankenhaus Wuchang
तस्वीर: picture-alliance/F. Maohua

चीन के जिंझाऊ में जिन लोगों की मौत कोरोना वायरस के कारण हो गई है, उनके परिजन घरों में बंद हैं, ऐसे लोगों को अपने प्रियजनों के अवशेष लेने के लिए इंतजार करना पड़ा रहा है. जिंगझोऊ शवदागृह के निदेशक कहते हैं, "मृतकों की अस्थियां फिलहाल हमारी देखरेख में है क्योंकि उनके परिजन क्वारंटीन में हैं या फिर वह अभी यहां नहीं आ पाए हैं." शवदागृह के निदेशक को मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं है, इसलिए उन्होंने सिर्फ अपना उपनाम शेंग बताया. शेंग ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "ना ही कोई अंतिम विदाई और ना ही श्रद्धांजलि समारोह की इजाजत है.”

चीन से शुरू हुआ वायरस ना ही सिर्फ चीन को भारी तौर पर प्रभावित कर चुका है बल्कि यह दो सौ से अधिक देशों में पैर पसार चुका है. कोरोना वायरस के कारण चीन में रोजमर्रा की जिंदगी पर असर तो पड़ा ही है साथ ही साथ इसने दुनिया से विदा लेने वालों को विदाई तक देने की परंपरा को प्रभावित किया है. यह वायरस इतनी तेजी से फैलता है कि लोगों को इससे बचने के लिए घरों में सख्ती से बंद रहने को कहा गया है. 

चीन में मौत का चाहे कोई भी कारण हो, परिजन 1 फरवरी से ही अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं. देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले कम भी हुए इसके बावजूद अंतिम संस्कार में कोई ढील नहीं है, इसमें हुबेई प्रांत भी शामिल है जहां पिछले साल दिसंबर में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था. जिंगझोऊ के एक शवदागृह में अजीब सी शांति है, वायरस के संक्रमण से बचाने वाला खास सूट एक कमरे के बाहर लटका हुआ है. अस्पताल से शव श्मशान लाने वाले कर्मचारी अंदर के कमरे में सुस्ता रहे हैं. दूसरी ओर जिन परिवारों के सदस्य अब इस दुनिया से चले गए हैं उनके लिए सिर्फ अकेलापन रह गया है, क्योंकि वे अब भी क्वारंटीन में हैं. इस वजह से वह राख तक को अंतिम विदाई नहीं दे सकते हैं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स को वांग वेंजुन ने कहा, "हमने ऐसे क्या किया जो हमें ऐसी सजा मिल रही है?” हुबेई प्रांत की रहने वाली वेंजुन के परिवार को अपने रिश्तेदार की अस्थियां लेने के लिए 15 दिनों का इंतजार करना पड़ा था. वेंजुन के चाचा की मौत कोविड-19 से हुई थी. जिंगझोऊ शवदागृह के निदेशक शेंग बताते हैं, "जैसे ही किसी शख्स की मौत होती है, अस्पताल डिसइंफेक्शन प्रक्रिया करता है और उसके तुरंत बाद अंतिम संस्कार हो जाता है." शेंग इस शवदागृह में पिछले 29 साल से काम कर रहे हैं, यहां कर्मचारी चौबीसों घंटे काम करते हैं. शेंग बताते हैं कि कभी रात में अस्पताल से फोन आ जाता है कि कोरोना पीड़ित शख्स की मौत हो गई है. इससे पहले इस शवदागृह में अंतिम संस्कार सुबह के वक्त होता था. शेंग कहते हैं, "अस्पताल कर्मचारी जितनी मेहनत कर रहे हैं, उसी तरह से शवदागृह कर्मचारी भी कर रहे हैं.”

एए/सीके (रॉयटर्स)

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