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समाजनाइजीरिया

दो चम्मच कुकिंग ऑयल और 5 ग्राम टूथपेस्ट खरीदते लोग

ओंकार सिंह जनौटी
५ अगस्त २०२२

पेट्रोलियम से लबालब नाइजीरिया में महंगाई ऐसी है कि आधी आबादी हर दिन पांच ग्राम टूथपेस्ट और 10 एमएल कुकिंग ऑयल खरीदने पर मजबूर है. तेल संपदा वाले देश की ऐसी हालत क्यों है?

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लागोस में अपने बच्चों के साथ सामान बेचने जाती एक महिला
तस्वीर: Benson Ibeabuchi/AFP

लागोस को नाइजीरिया की आर्थिक राजधानी कहा जाता है. इब्राहिम अताहिरे बीते 30 साल से लागोस में एक छोटा सा जनरल स्टोर चला रहे हैं. 55 साल के इब्राहिम कहते हैं, "मेरी दुकान पर आपको जो चाहे वो मिलेगा, वो भी बहुत कम मात्रा में."

दुकान पर तमाम किस्म के प्लास्टिक के सैशे लटके हुए हैं. पाउचों में कॉफी, एक कप के लिए दूध पाउडर, मुसली, टूथपेस्ट और वॉशिंग पाउडर है. खाना पकाने का तेल और मच्छर से बचाने वाली क्रीम भी पुड़िया में है. इब्राहिम के मुताबिक दिन में और शाम को खाना पकाने से पहले खूब ग्राहक आते हैं और तेल, मसाले व अदरक-लहसुन पेस्ट की पुड़िया खरीदते हैं.

इब्राहिम की दुकान में तेल, साबुन और मसालों के बड़े पैकेट भी हैं, लेकिन वे धूल खा रहे हैं. बेतहाशा महंगाई के कारण कई कंपनियों ने माइक्रोसाइज पैकेट में चीजें बेचनी शुरू कर दी हैं. इनमें 5 ग्राम का टूथपेस्ट सैशे और 10 मिलीलीटर तेल की पुड़िया भी शामिल है. प्लास्टिक के पाउच में बंद ये प्रोडक्ट्स सस्ते हैं और तुरंत इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

खर्च करने की क्षमता का प्लास्टिक के सैशे से रिश्ता
खर्च करने की क्षमता का प्लास्टिक के सैशे से रिश्तातस्वीर: DW

लोगों की खर्च करने की क्षमता बिल्कुल खत्म

बगल की गली में सानी आइचा, खाना पकाने के लिए कुकिंग ऑयल का सबसे सस्ता पैकेट खोज रही हैं. दो बच्चों की मां सानी कहती हैं, "पहले मैं तेल का कनस्तर खरीदा करती थी. लेकिन पिछले दो साल में सब कुछ बहुत ही महंगा हो गया है."

नाम नहीं छापने की शर्त एक व्यवसायी ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "महंगाई इतनी ज्यादा है कि अब तो एक एक सैनेटरी पैड बिक रहा है."

अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश नाइजीरिया पर कोरोना वायरस ने करारी चोट की. 2021 में महंगाई 17 फीसदी बढ़ गई और इसके कारण 60 लाख लोग गरीबी का शिकार बन गए. अब यूक्रेन युद्ध हालात को और दुश्वार बना रहा है. जून 2022 में महंगाई दर 18 फीसदी पर पहुंच गई. खाने का तेल और अनाज बहुत महंगा हो गया. विश्व बैंक का अनुमान है कि मौजूदा हालात ने आधे नाइजीरिया को गरीबी में धकेल दिया है.

यूक्रेनी मक्का से लदा पहला जहाज लेबनान के लिए रवाना

एसबीएम इंटेलिजेंस रिस्क एनालिस्ट्स के अर्थशास्री टुंडे लेये कहते हैं, "बहुत सारे लोग जो मध्यवर्ग में आते थे, अब वे गरीबी में घिर रहे हैं. जो लोग बड़े साइज वाले प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करते थे, वे भी अब उन्हें अफोर्ड नहीं कर पा रहे हैं."

नाइजीरिया एक गंभीर संकट में कसता जा रहा है. लोगों की खर्च क्षमता घटने का सीधा असर बड़े ब्रांड्स पर पड़ा है. वे बाजार छोड़ रहे हैं, इस तरह नौकरियां घट रही हैं और पूरी सप्लाई चेन धराशायी होने की तरफ बढ़ रही है. 2016 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम गिरने से नाइजीरिया की अर्थव्यवस्था मंदी का शिकार हो गई. जरा सी रिकवरी होते ही कोविड आ गया और अब यूक्रेन युद्ध.

लागोस में इब्राहिम की दुकान के पास ही एक शख्स मूंगफली बेचते हैं. वह कहते हैं, "हर दिन सैशे खरीदने के बाद महीने के अंत में हिसाब करो तो खर्चा ज्यादा होता है." एसबीएम के इकोनॉमिस्ट लेये के मुताबिक इस तरह के हालात में गरीब और ज्यादा पिसते जा रहे हैं.

बीते पांच साल में करीबी दोगुनी हो गई नाइजीरिया में गरीबों की संख्या
बीते पांच साल में करीबी दोगुनी हो गई नाइजीरिया में गरीबों की संख्यातस्वीर: Sunday Alamba/AP Photo/picture alliance

कचरे का संकट

गरीबी और महंगाई के बीच देश में एक अभूतपूर्व पर्यावरणीय संकट भी खड़ा हो रहा है. यह संकट प्लास्टिक के पाउचों की वजह से पनप रहा है. नाइजीरिया की पर्यावरण कार्यकर्ता ओलूवाइसेयी मोएजे के मुताबिक देश में हर जगह तेजी से प्लास्टिक का कचरा बढ़ता जा रहा है. खाली पाउच सड़कों, नालियों और सीवेज सिस्टम को भी भर रहे हैं.

2017 में हुई एक स्ट्डी के मुताबिक लागोस में बाढ़ और पानी संबधी बीमारियों के लिए प्लास्टिक जिम्मेदार है. महानगर में पैदा होने एक तिहाई कचरा, नहरों में जाता है और उन्हें ब्लॉक करता है. मोएजे के मुताबिक बाढ़ और बीमारियों की मार भी सबसे ज्यादा गरीबों पर ही पड़ती है.

अफ्रीका का सबसे बड़ा पेट्रोलियम उत्पादक नाइजीरिया
अफ्रीका का सबसे बड़ा पेट्रोलियम उत्पादक नाइजीरियातस्वीर: Florian Plaucheur/AFP/Getty Images

पेट्रोलियम से लबालब गरीब देश

नाइजीरिया अफ्रीकी महाद्वीप का सबसे बड़ा और दुनिया का 11वां बड़ा तेल उत्पादक है. 2020 में देश में 18 पाइपलाइनों के जरिए हर दिन 18 लाख बैरल तेल निकाला जा रहा था. यूक्रेन युद्ध के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम के दाम आसमान छू रहे हैं, ऐसे में रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों का फायदा नाइजीरिया को मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है?

असल में नाइजीरिया कच्चा तेल निकालता तो है, लेकिन देश में कोई ऑपरेशनल रिफाइनरी नहीं है. नाइजीरिया सारा कच्चा तेल एक्सपोर्ट करता है और फिर उससे छनकर बनने वाला पेट्रोल, डीजल और कैरोसिन विदेशों से खरीदता है. देश में तीन तेल रिफाइनरियां हैं, लेकिन तीनों बंद पड़ी हैं.

भ्रष्टाचार भी एक बड़ा मुद्दा है. देश में बड़ी और आधुनिक रिफाइनरियां बंद है, लेकिन छोटी छोटी गैरकानूनी रिफानरियां धड़ल्ले से चल रही हैं. नाइजीरिया की सरकार बरसों से इन गैरकानूनी रिफानरियों को कानूनी दर्जा देने का वादा करती आ रही है, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण मामला वादे से आगे नहीं बढ़ सका है.