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‘स्वच्छ कार’ खरीदने के लिए गरीबों को धन देगा न्यूजीलैंड

१६ मई २०२२

देश से पेट्रोल और डीजल पर चलने वाले वाहन खत्म करने की दिशा में न्यूजीलैंड ने बड़ी योजना का ऐलान किया है. सरकार चाहती है कि लोग कारों का कम इस्तेमाल करें, और जो वाहन हों वे अक्षय ऊर्जा पर चलने वाले हों.

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Neuseeland | Aussichtsplattform Sky Tower Auckland
तस्वीर: Moritz Wolf/imageBROKER/picture alliance

न्यूजीलैंड की सरकार लोगों को पर्यावरण के लिहाज से ज्यादा सुरक्षित कारें खरीदने में आर्थिक मदद देगी. वहां की सरकार ने ऐलान किया है कि कम आय वाले परिवारों को अपने पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन त्याग कर हाईब्रिड या इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाएगा. सरकार की यह योजना कार्बन उत्सर्जन घटाने की वृहद कोशिशों का हिस्सा है.


जेसिंडा आर्डर्न सरकार ने बताया है कि इस योजना को ट्रायल के तौर पर शुरू किया जाएगा जिसके तहत 56.9 करोड़ न्यूजीलैंड डॉलर यानी लगभग 27.5 अरब रुपये खर्च किए जाएंगे. यह योजना उस विस्तृत कार्यक्रम का हिस्सा है जिसके तहत उद्योगों और लोगों को 2035 तक जीवाश्म ईंधन छोड़कर पूरी तरह अक्षय ऊर्जा अपनाने के लिए सब्सिडी दी जा रही है. इस कार्यक्रम के जरिए सरकार कोशिश कर रही है कि 2035 देश की सभी बसें अक्षय ऊर्जा से चलने वाली हो जाएं व ज्यादातर घरों से कचरे को उठाने का प्रबंध हो जाए.


क्या है योजना?


प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने कहा कि कम कार्बन उत्सर्जन वाले भविष्य की ओर कदम बढ़ाने की दिशा में यह योजना मील का पत्थर साबित होगी. उन्होंने कहा, "हम सबने हाल ही में आई रिपोर्ट देखी हैं कि समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है और उसका हमारे अपने यहां क्या असर हो रहा है. हम जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को और ज्यादा देर तक नहीं टाल सकते.”


न्यूजीलैंड ने 2016 के उस पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत सदी के आखिर तक धरती के औसत तापमान को ओद्यौगिक क्रांति के से पूर्व के औसत तापमान से 1.5 डिग्री से कम बढ़ने देने पर सहमति जताई गई थी. न्यूजीलैंड का वादा है कि 2050 तक उसके यहां उतना ही कार्बन उत्सर्जन हो, जितना और उसके प्राकृतिक व कृत्रिम संसाधन सोख सकें. इस स्थिति को नेट-जीरो के नाम से जाना जाता है.


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सोमवार को एक कार्यक्रम में न्यूजीलैंड ने अपनी स्वच्छ कारों को प्रोत्साहन देने वाली इस योजना का ऐलान किया है. इस मौके पर आर्डर्न ने कहा कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने में समुदाय और उद्योग, दोनों को ही अपनी-अपनी अहम भूमिकाएं निभानी हैं और जीवाश्म ईंधन पर कम निर्भरता परिवारों को इसकी कीमतों में वृद्धि की अनिश्चतता से भी राहत दिलाएगी.

हाइड्रोजन से चलने वाली बस


योजना के कई पक्ष


न्यूजीलैंड ने अगले 13 साल में कारों के कुल प्रयोग को 20 प्रतिशत घटाने की भी योजना बनाई है, जिसके लिए बेहतर सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध कराने पर काम किया जाएगा. साथ ही पैदल चलने वालों व साइकिल सवारों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. इस पूरी योजना का खर्च न्यूजीलैंड के उस 4.5 अरब डॉलर के फंड से आएगा, जिसे सरकार ने जलवायु आपातकाल से निपटने के लिए रखा है. अधिकारियों का कहना है कि प्रदूषण फैलाने वालों से जो जुर्माने लिए जाएंगे उनके प्रयोग से यह धन जुटाया जाएगा, ना कि लोगों पर अतिरिक्त कर लगाकर.

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हालांकि आलोचकों का कहना है कि इस योजना के बारे में अभी कई सवालों का जवाब नहीं दिया गया है, मसलन सरकार का कहना है कि जीवाश्म ईंधन से चलने वाली कारों को हटाने की योजना को अंतिम रूप आने वाले महीनों में दिया जाएगा. कुछ आलोचकों ने यह भी आशंका जताई है कि सरकार देश के विशाल कृषि उद्योग पर अब भी लगाम नहीं लगा रही है जो कुल कार्बन उत्सर्जन के करीब आधे के लिए जिम्मेदार है और देश का सबसे बड़ा निर्यातक व आर्थिक स्तंभ भी है.


एसीटी पार्टी के डेविड सीमोर ने इस योजना की आलोचना करते हुए कहा ये नीतियां पहले ही नाकाम हो चुकी हैं. उन्होंने कहा, "क्लंकर सिस्टम के लिए कैश देने जैसी योजनाएं कई देशों में आजमाई जा चुकी हैं और विफल हो चुकी हैं. लोगों को यह फैसला करने का अधिकार होना चाहिए कि वे कार्बन उत्सर्जन कैसे कम करना चाहते हैं.”


वीके/एए (एपी)