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समाज

न्यूजीलैंड: मस्जिदों पर हमले पर जांच रिपोर्ट जारी

८ दिसम्बर २०२०

क्राइस्टचर्च की मस्जिदों में 2019 में हुए हमले में जांच आयोग ने मंगलवार को 800 पन्नों की एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है. इस हमले में 51 लोग मारे गए थे. जांच में पाया गया कि हमलावर एजेंसियों को चकमा देने में कामयाब रहा.

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तस्वीर: Getty Images/K. Schwoerer

न्यूजीलैंड रॉयल कमीशन ऑफ इंक्वायरी ने 2019 में दो मस्जिदों पर हुए आतंकी हमलों पर अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि हमलावर ब्रेंटन टैरेंट ने अपनी योजना के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था, ना ही इसकी भनक तक किसी को लगने दी और वह बहुत लो प्रोफाइल रहता था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नरसंहार को रोकने के लिए अधिकारी कुछ भी नहीं कर सकते थे. क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों पर हमलों की जांच कर रहे आयोग ने रिपोर्ट में खुलासा किया है कि सुरक्षा एजेंसी ने दक्षिणपंथी आतंकवाद पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया.

30 साल के ऑस्ट्रेलियाई टैरेंट ने 15 मार्च 2019 को क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में हमला कर 51 निर्दोष नमाजियों की जान ले ली थी. उसने 20 मिनट तक क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में आतंक फैलाया था. न्यायिक जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए 44 महत्वपूर्ण बदलावों का सुझाव दिया है. प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने इस रिपोर्ट का स्वागत किया और कहा कि वह सिफारिशों को स्वीकार करेंगी.

उन्होंने एक बयान में कहा, "रॉयल कमीशन को किसी भी सरकारी एजेंसियों के अंदर कोई विफलता नहीं मिली जिससे उस व्यक्ति की योजना और तैयारी का पता लगाने की पहले से जानकारी मिल पाए, लेकिन हमने कई सबक सीखे और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव की जरूरत है."

हमला जिसे रोका नहीं जा सकता था

जांच आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि स्पष्ट संकेत नहीं थे कि हमलावर कोई ऐसी योजना बना रहा है क्योंकि उसके स्थानीय लोगों के साथ बहुत कम संवाद थे. टैरेंट ऑनलाइन कट्टरपंथ बना और खासकर यूट्यूब से उसने बहुत सीखा, यह सब उसने ऑस्ट्रेलिया में रहते हुए किया. टैरेंट को विरासत में अपने पिता से पैसे मिले थे, वह उसी पैसे से दुनिया की यात्रा कर आखिरकार 2017 में न्यूजीलैंड में बस गया. रिपोर्ट कहती है टैरेंट ने हमले के पहले लोगों से सतही संपर्क बनाए और उसने किसी को शक तक नहीं होने दिया कि वह इस तरह की कोई योजना बना रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक टैरेंट की मुखबिरी किसी ने नहीं की जिससे हमले को रोका जा सकता था. 

एए/सीके (एपी, एएफपी)

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