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राजनीतिऑस्ट्रेलिया

अलगाववादियों पर क्या ऑस्ट्रेलिया सुनेगा मोदी की बात?

विवेक कुमार, सिडनी से
२५ मई २०२३

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें अलगाववादियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है. लेकिन इस आश्वासन के क्या मायने हैं?

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सिडनी में खालिस्तान समर्थकों का प्रदर्शन
सिडनी में खालिस्तान समर्थकों का प्रदर्शनतस्वीर: Vivek Kumar/DW

कनाडा और अमेरिका के बाद खालिस्तान को लेकर तनाव ऑस्ट्रेलिया में अब अपने चरम पर है. पिछले कई महीनों में हो चुकी कई घटनाओं का ही असर है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ऑस्ट्रेलिया यात्रा में यह मुद्दा यहां के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी के सामने उठाया.

अल्बानीजी से बातचीत के बाद मोदी ने कहा कि उन्होंने अलगाववादियों और हिंदू मंदिरों पर हमलों का मुद्दा अल्बानीजी से बातचीत में उठाया और उन्हें कार्रवाई का आश्वासन मिला. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री अल्बानीजी और मैंने पहले भी ऑस्ट्रेलिया में मंदिरों और अलगाववादी तत्वों की गतिविधियों पर चर्चा की है. आज हमने दोबारा इस बारे में बात की. हम ऐसे किन्हीं तत्वों को स्वीकार नहीं करेंगे जो भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मजबूत रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस बारे में कार्रवाई करने के लिए मैं प्रधानमंत्री का धन्यवाद करता हूं. उन्होंने एक बार फिर मुझे भरोसा दिलाया कि वह भविष्य में ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे.”

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हालांकि मोदी किस कार्रवाई की बात कर रहे हैं, यह स्पष्ट नहीं है क्योंकि अब तक ना तो यह पता चल पाया है कि मंदिरों पर हुए कथित हमलों के पीछे कौन है ना ही खालिस्तान के समर्थन को लेकर किसी तरह की कार्रवाई हुई है.

बढ़ रहा है तनाव

पिछले कुछ महीनों में भारतीय समुदाय के विभिन्न तबकों के बीच तनाव खासा बढ़ा है और बीते मंगलवार को जब मोदी सिडनी में भारतीय समुदाय को संबोधित करने वाले थे, तब यह चरम पर नजर आया. जिस स्टेडियम में मोदी का कार्यक्रम हो रहा था, उसके बाहर कुछ दर्जन खालिस्तान समर्थक मोदी विरोधी नारे लगा रहे थे. स्टेडियम के अहाते में मोदी समर्थकों का एक समूह खालिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहा था.

लेकिन यह तनाव लंबे समय से बना हुआ है. जनवरी 2023 में मेलबर्न में कथित खालिस्तान रेफरेंडम के दौरान दो गुटों के बीच हिंसा की घटनाएंभी हुई थीं. उससे पहले जनवरी की शुरुआत में ही जब शहर में जगह-जगह खालिस्तान समर्थक पोस्टर लगाए गए थे तो सोशल मीडिया पर तनाव की झलक मिलने लगी थी. कुछ हिंदू संगठनों ने स्थानीय नगर पालिकाओं से आग्रह किया कि इन पोस्टरों को हटाया जाए क्योंकि ये भारत विरोधी पोस्टर हैं.

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उसके बाद उन पोस्टरों पर कालिख पोत दी गई. कई जगह अश्लील प्रतीक भी बनाए गए. इस घटना के बदले में मेलबर्न के हिंदू मंदिरों की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिख दिए गए. दोनों ही घटनाओं के बाद ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीय समुदाय में तनाव फैल गया.

इस तनाव को कम करने के मकसद से हिंदू और सिख संगठनों ने बयान जारी कर मंदिरों हमले की निंदा की. सिख एसोसिएशन ऑफ ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष डॉ. अलबेल सिंह कंग और हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के उपाध्यक्ष सुरेंद्र जैन की ओर से एक साझा बयान जारी कर मंदिरों पर हमले की निंदा की गई.

लेकिन मंदिरों पर भारत विरोधी नारे लिखे जाने का सिलसिला थमा नहीं. पिछले महीने सिडनी के एक मंदिर की दीवार पर भी ऐसा ही एक नारा लिखा मिला. उस मुद्दे को संसद में भी उठाया गया और पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मामले से जुड़ी कुछ सीसीटीवी तस्वीरें भी जारी की. इतना कुछ हो जाने के बाद भी यह पता नहीं चल पाया है कि मंदिरों पर ये नारे कौन लिख रहा है. ना ही इस मामले में किसी की गिरफ्तारी हुई है.

नरेंद्र मोदी के बयान का अर्थ

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया सरकार ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिलाया है. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है. सिडनी स्थित एक कम्यूनिटी रेडियो ‘कहते सुनते' के प्रसारक मनबीर कोहली कहते हैं कि किसी भी सरकार द्वारा हेट स्पीच, हिंसा, नस्लवाद, जातिवाद या भेदभाव के खिलाफ कार्रवाई स्वागत योग्य है.

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लेकिन कोहली स्पष्ट करते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार किसी विदेशी सरकार के दबाव में अपने नागरिकों पर कार्रवाई नहीं कर सकती, फिर चाहे वह सरकार भारत की ही क्यों ना हो. डॉयचे वेले हिंदी से बातचीत में कोहली कहते हैं, "मिसाल के तौर पर बिना किसी तरह की गड़बड़ी फैलाए विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार ऑस्ट्रेलिया के संविधान द्वारा सुरक्षित है. इस अधिकार में किसी भी तरह की कटौती की इजाजत नहीं दी जा सकती, खासतौर पर वो भी इसलिए कि कोई विदेशी सरकार चाहती है."

 

यहां यह मुद्दा अहम है कि हिंदू मंदिरों पर भारत विरोधी नारे लिखे जाने की घटना की ना सिर्फ सिख संगठनों ने निंदा की है बल्कि किसी खालिस्तानी समूह ने जिम्मेदारी भी नहीं ली है. इसके उलट, कुछ सिख नेताओं ने आरोप लगाया है कि हिंदू संगठनों से जुड़े युवकों ने ही मंदिरों की दीवारों को पोतने की साजिश रची है. ऑस्ट्रेलिया में जानेमाने समाजसेवी और सिख नेता अमर सिंह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि वह खालिस्तान का समर्थन या विरोध नहीं करते. लेकिन उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि सिडनी में मंदिर पर भारत विरोधी नारे लिखने की घटना में हिंदू संगठनों का हाथ है. उनका कहना है कि जिस कार की तस्वीर जारी हुई है, वह हिंदू संगठनों से जुड़े एक व्यक्ति की है.

मनबीर कोहली कहते हैं कि जो लोग किसी विदेशी सरकार की गतिविधियों से असहमत हैं, उन्हें अलगाववादी कहना अपनी कानून-व्यवस्था पर विदेशी सरकार के प्रभाव को स्वीकार करना होगा. कोहली कहते हैं, "मंदिरों की दीवारों पर नारे लिखे जाना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और उसी राज्य पुलिस सक्रियता से जांच कर रही है. जब अपराधी पकड़े जाएं तो उन पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए और जरूरत हो तो उन्हें देश से निकाला भी जाना चाहिए. लेकिन मेरा मानना है कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार को भारत के साथ संबंधों में सैद्धांतिक रुख अपनाना चाहिए, ना कि ये सिर्फ परस्पर आर्थिक और भोगौलिक रणनीति पर आधारित हों."

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