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कम नहीं हो रही पत्रकार जुबैर की मुश्किलें

आमिर अंसारी
५ जुलाई २०२२

2018 के एक ट्वीट में धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार मोहम्मद जुबैर को सोमवार को यूपी के सीतापुर जिला अदालत में पेश किया गया. सीतापुर में जुबैर के खिलाफ दो धाराओं में मामला दर्ज किया गया था.

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पत्रकार मोहम्मद जुबैर
पत्रकार मोहम्मद जुबैरतस्वीर: Dinesh Joshi/AP Photo/picture alliance

ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को सोमवार को उत्तर प्रदेश के सीतापुर की एक अदालत में एक ट्वीट पर दर्ज मामले में पेश किया गया, आरोप है कि जुबैर ने कथित ट्वीट में यति नरसिंहानंद सरस्‍वती, बजरंग मुनि और आनंद स्‍वरूप को "नफरत फैलाने वाले" कहा था.

जुबैर के ट्वीट को लेकर एक हिंदूवादी संगठन हिंदू शेर सेना के अध्यक्ष भगवान शरण ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. उनके खिलाफ शिकायत 1 जून को दर्ज की गई थी. मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद जुबैर को दिल्ली पुलिस सीतापुर ले गई. यूपी पुलिस ने सोमवार को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश होना पड़ा.

जुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए और आईटी कानून 67 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

जुबैर को पहली बार 27 जून को गिरफ्तार किया गया था, जब उनके खिलाफ एक ट्विटर पोस्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें एक अन्य ट्विटर हैंडल ने "हिंदू भावनाओं को आहत करने" का आरोप लगाया था. दिल्ली पुलिस ने उन्हें साल 2020 के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन गिरफ्तारी इस मामले में हुई थी.

2 जुलाई को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जुबैर की जमानत याचिका रद्द करते हुए उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही जांच के दौरान जमानत देने का कोई आधार नहीं है.

पुलिस का जुबैर पर आरोप

दिल्ली पुलिस का आरोप है कि जुबैर को विदेशों जैसे पाकिस्तान, सीरिया, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्वी देशों से चंदा मिला था. पुलिस का कहना है कि इसकी जांच होनी है. इस संबंध में एफआईआर में फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट की धारा 35 जोड़ी गई है.

पुलिस ने यह भी आरोप लगाया है कि जुबैर ने फोन को फॉरमेट कर डाटा डिलीट कर सबूत मिटाए हैं. आरोप यह भी है कि जुबैर की ओर से साजिश की गई है. जमानत याचिका पर बहस के दौरान वकील वृंदा ग्रोवर ने न्यायिक हिरासत का विरोध किया था. ग्रोवर ने कहा था कि पुलिस उन्हें फंसाना चाहती है. और यह दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया है. उन्होंने सवाल किया कि, "क्या सिम कार्ड बदलना अपराध है, क्या फोन को फॉरमेट करना अपराध है?"

साथ ही विदेशों से जुबैर को धन मिलने पर ग्रोवर ने अदालत में खंडन करते हुए कहा था कि कथित धन ऑल्ट न्यूज कंपनी द्वारा प्राप्त किया गया था, न कि यह धन जुबैर को व्यक्तिगत क्षमता में मिला था. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि यह जुबैर के खाते में नहीं गया था. उन्होंने कहा ऑल्ट न्यूज, कंपनी अधिनियम की धारा 8 के तहत संचालित एक कंपनी है और धन कंपनी को मिला न कि जुबैर को.

विदेशों से चंदा लेने पर ऑल्ट न्यूज ने भी एक बयान जारी किया था और कहा था कि हम जिस मंच के जरिए चंदा लेते हैं वह हमें विदेशी स्रोतों से धन प्राप्त करने का विकल्प नहीं देता है. ऑल्ट न्यूज के मुताबिक उसने सिर्फ भारतीय खातों से पैसे लिए और पैसे कंपनी के बैंक अकाउंट में जमा हुए.

पुलिस ने जुबैर की शिकायत करने वाले हैंडल पर ट्विटर से मांगी जानकारी

पत्रकार कर रहे हैं गिरफ्तारी का विरोध

जुबैर की गिरफ्तारी का कई पत्रकार संगठनों विरोध किया है. सोमवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में कुछ वरिष्ठ पत्रकार इकट्ठा हुए और पत्रकारों पर पुलिस कार्रवाई का विरोध किया. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने एक समाचार चैनल से कहा, "हमारा मानना है कि कोई पत्रकार जो पत्रकारिता कर रहा है वह कोई गैंग नहीं चला रहा है, कोई माफिया गैंग नहीं चला रहा है, कोई हथियार नहीं चला रहा है. उसके साथ आप एक खूंखार अपराधी की तरह बर्ताव कर रहे हैं, न केवल मोहम्मद जुबैर बल्कि बहुत सारे पत्रकार हैं देश में जिनपर इस तरह की तलवार लटकाई जा रही है. उनको झूठे केसों में फंसाकर ताकि पत्रकार सरकार से डरकर रहे और जो सच है जिसके लिए उनकी जिंदगी समर्पित है उसको दिखा न सके."

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