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जम्मू-कश्मीर में एनसी-कांग्रेस बनाएंगी सरकार

चारु कार्तिकेय
८ अक्टूबर २०२४

जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद एनसी और कांग्रेस मिलकर प्रदेश में सरकार बनाने जा रहे हैं. नई पार्टियां और निर्दलीय उम्मीदवार वैसा प्रदर्शन नहीं कर सके, जैसा अनुमान लगाया जा रहा था.

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पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक में भाग लेते उमर अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला एक बार फिर जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैंतस्वीर: AB Raoof Ginie/DW

जम्मू और कश्मीर को राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने और उसके विशेष राज्य के दर्जे को निरस्त करने के बाद पहली बार प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए हैं. बतौर केंद्र शासित प्रदेश, सबसे ज्यादा सीट पाकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी)-कांग्रेस गठबंधन यहां पहली बार सरकार बनाता दिख रहा है. इससे पहले पूर्ववती जम्मू और कश्मीर राज्य में एनसी छह बार सरकार बना चुकी है.

तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके एनसी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने पत्रकारों को बताया कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री पद संभालेंगे. 54 साल के उमर एक बार पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं. अभी तक हुई वोटों की गिनती में एनसी प्रदेश की 90 सीटों में से 42 पर बढ़त में है.

जम्मू में सफल बीजेपी

कांग्रेस छह पर, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 29 पर और पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (पीडीपी) तीन सीटों पर आगे है. बीजेपी कश्मीर घाटी में तो एक भी सीट नहीं जीत सकी, लेकिन 2014 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया है.

कश्मीर के बड़गाम जिले में एक मतदान केंद्र पर कतार में खड़ीं महिलाएं
जम्मू और कश्मीर के मतदाताओं ने स्थापित पार्टियों के हित में जनादेश दिया हैतस्वीर: Sanna Irshad Mattoo/REUTERS

जहां 2014 में बीजेपी को 25 सीटें मिली थीं, वहीं इस बार पार्टी 29 सीटों पर जीत की तरफ बढ़ रही है. सभी सीटें जम्मू इलाके में हैं. श्रीनगर में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार रियाज वानी का मानना है कि इसी तरह के नतीजे की उम्मीद की जा रही थी.

कश्मीर में मतदान के बीच क्यों पहुंचे राजनयिक

वानी ने डीडब्ल्यू को बताया, "कश्मीर के लोगों ने स्थापित पार्टियों को सरकार बनाने का जनादेश दिया है. बीजेपी को जम्मू में अपने अच्छे प्रदर्शन का विश्वास था. कश्मीर के लिए उसे उम्मीद थी कि नई पार्टियां और निर्दलीय उम्मीदवार पर्याप्त सीटें हासिल कर लेंगे और उनकी मदद से बीजेपी सरकार बना लेगी, लेकिन ऐसा हो न सका."

कश्मीर में भी एक सीट ने बीजेपी को भविष्य के लिए उम्मीद जरूर दी है. गुरेज सीट पर बीजेपी के फकीर मोहम्मद खान, एनसी के नाजिर अहमद खान से सिर्फ 1,132 वोटों से हारे. वोट शेयर में बीजपी सभी पार्टियों से आगे है. प्रदेश में बीजेपी ने कुल 25.63 प्रतिशत वोट शेयर दर्ज किया है, जबकि एनसी 23.44 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर है. कांग्रेस को 11.97 वोट प्रतिशत हासिल हुआ है.

नहीं चला नए खिलाड़ियों का सिक्का

बीजेपी के वोट शेयर के बारे में वानी ने बताया कि इसकी वजह से विधानसभा में बीजेपी एक मुखर विपक्ष की भूमिका में रहेगी और आने वाले दिनों में यह एनसी-कांग्रेस के लिए मुसीबत हो सकती है. वानी कहते हैं दक्षिणी कश्मीर में अनुमान लगाया जा रहा था कि इंजीनियर राशिद द्वारा समर्थित कई उम्मीदवार जीतेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

इसके कारणों की समीक्षा करते हुए नाजिर अहमद कहते हैं कि मुमकिन है राशिद के खिलाफ कश्मीरी पार्टियों का अभियान काम कर गया हो. एनसी और पीडीपी ने बार-बार कहा था कि जिस तरह राशिद को ऐन चुनाव के समय जमानत दी गई, उससे यह संदेह होता है कि उन्हें इस समय स्थापित पार्टियों के वोट काटने के लिए भेजा गया है.

वानी ने यह भी कहा कि 2014 में बीजेपी से हाथ मिलाकर उसे सत्ता में आने का मौका देने की वजह से पीडीपी के खिलाफ काफी नाराजगी थी और ऐसा लग रहा है कि पार्टी को इसी बात की सजा दी गई है.