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मीडियासंयुक्त राज्य अमेरिका

फेसबुक ने दी अमेरिका में न्यूज बैन करने की धमकी

६ दिसम्बर २०२२

अमेरिका में सोशल मीडिया पर कानून को लेकर फेसबुक और सरकार के बीच ठन गई है. फेसबुक ने वैसा ही प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है जैसा पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में लगाया था.

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फेसबुक अमेरिका में अपने यहां समाचार शेयर करने की सुविधा को बंद कर सकता है
फेसबुक अमेरिका में अपने यहां समाचार शेयर करने की सुविधा को बंद कर सकता हैतस्वीर: M. Chang/ZUMA Press/picture alliance

अमेरिकी कंपनी मेटा ने धमकी दी है कि वह फेसबुक से अमेरिका की सारी खबरें हटा सकती है. एक नए प्रस्तावित कानून को लेकर सोशल मीडिया कंपनी ने यह चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर यह कानून पास हुआ तो वह अमेरिकी समाचार अपने प्लैटफॉर्म से हटा लेगी.

यह कानून समाचार संस्थानों की सामग्री सोशल मीडिया पर शेयर करने से जुड़ा है, जिसके तहत संस्थानों को अपनी सामग्री के बदले धन पाने के लिए मोलभाव की ज्यादा शक्तियां देने का प्रस्ताव है.

मेटा का दावा है कि समाचार संस्थान अपनी सामग्री को उसके मंचों पर शेयर करके ज्यादा लोगों तक पहुंचते हैं और खासकर छोटे संस्थानों को इससे ज्यादा लाभ पहुंचता है. कंपनी ने कहा कि प्रकाशक फेसबुक पर अपनी सामग्री इसलिए साझा करते हैं क्योंकि इससे ‘उनकी सबसे पिछली पंक्ति को फायदा होता है.'

मिनेसोटा की सेनेटर एमी क्लबूखर ने जर्नलिजम कॉम्पटिशन एंड प्रिजरवेशन एक्ट (जेपीसीए) बिल संसद में पेश किया है. इस बिल को दोनों ही दलों का समर्थन हासिल है. इस बिल में प्रस्ताव है कि प्रकाशकों और प्रसारकों को एकजुट होकर सोशल मीडिया कंपनियों से मोलभाव करने की शक्ति दी जाए ताकि उन्हें विज्ञापनों से मिलने वाले धन का ज्यादा बड़ा हिस्सा मिल सके.

मेटा बनाम मीडिया

मीडिया कंपनियों का तर्क है कि मेटा उनकी सामग्री के जरिए बड़ी कमाई करती है और उसका एक हिस्सा इन कंपनियों को भी मिलना चाहिए. इन कंपनियों के मुताबिक महामारी के दौरान स्थानीय स्तर पर काम करने वाले छोटे संस्थानों को संघर्ष करना पड़ा जबकि मेटा ने बड़ा मुनाफा कमाया.

सोशल मीडिया पर पोस्ट कहीं नौकरी में अड़ंगा ना बन जाए

उधर मेटा का तर्क है कि यह पूरी बात जिस तरह पेश की जा रही है, वह सही नहीं है. कंपनी का कहना है कि मेटा नये संसाधनों से धन कमा रही है. मेटा की प्रवक्ता एंडी स्टोन ने कहा, "अगर कांग्रेस एक गलत समझ वाले जर्नलिजम बिल को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत पास करती है तो हमें समाचारों को पूरी तरह अपने प्लैटफॉर्म से हटाने के बारे में सोचना पड़ेगा.”

मेटा का यह भी तर्क है कि फेसबुक पर समाचार सामग्री से होने वाली कमाई उसके कुल राजस्व का एक मामूली सा हिस्सा है.

टेक कंपनियों पर लगाम

अमेरिकी कानून ऐसे कई कानूनों का हिस्सा है जिसके तहत बड़ी तकनीकी कंपनियों पर लगाम लगाने की कोशिश हो रही है. जेसीपीए के समर्थकों का कहना है कि अगर यह कानून पास नहीं हुआ तो सोशल मीडिया ही अमेरिका का ‘लोकल न्यूज' बन जाएगा.

अमेरिकन इकोनॉमिक लिबर्टीज प्रोजेक्ट के शोध निदेशक मैट स्टोलर कहते हैं, "मेटा मीडिया संस्थानों को जिंदा निगल रही है. मेटा की कांग्रेस को ब्लैकमेल करने की कोशिश एक बार फिर साबित करती है कि क्यों यह एकाधिपत्य दुनियाभर के लोकतंत्रों के लिए खतरा है.”

ऑस्ट्रेलिया ने भी पिछले साल एक ऐसा ही कानून पास किया था. 2021 में जब यह कानून पारित हुआ तो फेसबुक ने तमाम समाचार संस्थानों के फेसबुक पर पोस्ट करने के अधिकार ही छीन लिए. इस कारण कुछ समय तक फेसबुक पर समाचार शेयर नहीं किए जा सके और अव्यवस्था फैल गई. तब वहां के लोगों ने बायकॉट फेसबुक नाम से अभियान छेड़ दिया था. इस कारण मेटा की खासी आलोचना हुई और उसने सरकार के साथ हुए एक समझौते के बाद अपना फैसला बदल दिया.

भारत में भी सोशल मीडिया कंपनियों को लेकर सरकार सख्त कदम उठा रही है जिसका असर कंपनियों और सरकार के संबंधों पर भी दिख रहा है. हाल ही में भारत सरकार ने फर्जी ऑनलाइन रिव्यू को रोकने के लिए कुछ दिशा निर्देशजारी किए थे. इससे पहले फेसबुक और ट्विटर को लेकर भी कई सख्त नियम बनाए गए हैं.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

 

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