महाराष्ट्र: त्रिपुरा में हुई हिंसा का असर
१६ नवम्बर २०२१पूरा मामला बीते शुक्रवार 12 नवंबर को शुरू हुआ जब त्रिपुरा में मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा के विरोध में रजा फाउंडेशन नामक संस्था ने अमरावती में एक जुलूस निकाला. जुलूस के बाद पथराव की कुछ घटनाएं भी हुईं, जिनके बाद बीजेपी ने अगले दिन शहर में बंद आयोजित करने की घोषणा की.
अगले दिन बीजेपी के बंद के दौरान काफी हिंसा हुई, जिसमें कुछ वाहन और सिर्फ मुसलमान दुकानदारों की दुकानें जला दी गईं.
बीजेपी के कई नेता गिरफ्तार
बल्कि पुलिस अधिकारियों ने कुछ मीडिया संगठनों को बताया कि शहर के कोतवाली इलाके में तो बीजेपी, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ता इतनी बड़ी संख्या में इकठ्ठा हुए कि वो पुलिस पर भी हावी हो गए.
कम से कम नौ पुलिसकर्मियों के घायल होने की और एक पुलिस वाहन जला दिए जाने की खबर है. हालात इतने गंभीर हो गए कि मुंबई से पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को अमरावती जाना पड़ा और रविवार को शहर में कर्फ्यू लागू कर दिया गया.
शहर के अलग अलग थानों में दोनों दिनों की हिंसा को लेकर कम से कम 26 एफआईआर दर्ज की गई हैं और कम से कम 130 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार किए गए लोगों में पूर्व कृषि मंत्री अनिल बोंडे, महापौर चेतन गवांडे और बीजेपी प्रवक्ता शिवराय कुलकर्णी समेत कई बीजेपी नेता शामिल हैं.
बोंडे और लगभग सभी अभियुक्तों को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया. पुलिस ने कहा है कि एक और पूर्व मंत्री प्रवीण पोते पाटिल भी इस मामले में वांछित अभियुक्त हैं. पुलिस ने कहा कि कई अभियुक्तों से चाकू और तलवारें भी बरामद हुई हैं.
अभी भी तनाव बरकरार
हालांकि मीडिया में आई कुछ खबरों में यह दावा भी किया जा रहा है कि शनिवार के बंद में राज्य में सत्ताधारी पार्टी शिव सेना के भी कुछ कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था. इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक शिव सेना के 15-20 कार्यकर्ता पार्टी के संस्थापक बल ठाकरे की तस्वीर लिए बंद में शामिल हुए थे.
इनमें अमरावती शहर के शिव सेना प्रमुख पराग गुडाढ़े, जिला प्रमुख राजेश वानखेड़े और अमरावती से कॉर्पोरेटर प्रशांत वानखेड़े शामिल थे. प्रशांत वानखेड़े ने अखबार को बताया कि उनके नेतृत्व में शिव सैनिक अपने आप वहां इकठ्ठा हुए थे और इसका पार्टी से कोई लेना देना नहीं था.
इस समय भी महाराष्ट्र पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी अमरावती में ही मौजूद हैं और अमरावती जिले के चार शहरों में कर्फ्यू लागू है. इसके अलावा मालेगांव और नांदेड़ से भी हिंसा और तनाव की खबरें आई हैं.
त्रिपुरा में अक्टूबर में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की कई घटनाओं की रिपोर्ट आई थी. इन्हीं घटनाओं के खिलाफ अमरावती में जुलूस का आयोजन किया गया था. त्रिपुरा की घटनाओं के बाद त्रिपुरा पुलिस पर कई पत्रकारों के खिलाफ अनुचित कार्रवाई के भी आरोप लगे.
हिंसा की रिपोर्टिंग करने त्रिपुरा गईं दो महिला पत्रकारों को त्रिपुरा पुलिस के कहने पर असम में गिरफ्तार कर लिया गया था. त्रिपुरा की एक अदालत ने अब उन्हें जमानत दे दी है. इसके अलावा त्रिपुरा पुलिस सोशल मीडिया पर फर्जी खबर फैलाने के आरोप में कम से कम 102 लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था.