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समाजभारत

गोद में भाई का शव, एंबुलेंस के इंतजार में मासूम

आमिर अंसारी
११ जुलाई २०२२

मध्य प्रदेश में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक 8 वर्षीय लड़का अपने 2 साल के भाई के शव को गोद में लिए बैठा है. पिता एंबुलेंस की तलाश में भटकता रहा और इस दौरान भाई शव को गोद में लिए इंतजार करता रहा.

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फाइल तस्वीर
फाइल तस्वीरतस्वीर: Raj K Raj/Hindustan Times/imago images

मध्य प्रदेश के मुरैना से आई तस्वीरें राज्य की स्वास्थ्य सेवा का हाल बयान करती हैं. मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि 8 साल का लड़का अपने दो साल के भाई के शव को सफेद कपड़े से ढककर एंबुलेंस के इंतजार में बैठा रहा. सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में दिख रहा है कि 8 साल के लड़के ने एक हाथ से अपने छोटे भाई के शव को सफेद कपड़े से ढका हुआ है. वह दूसरे हाथ से मक्खियों को भगा रहा है. घटना शनिवार की है. 

बच्चे के पिता पूजाराम जाटव अपने मृत बेटे के शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस की तलाश में लगे हुए थे. वहां से गुजर रहे एक शख्स ने जब बच्चे को बैठा देखा तो उसने पूछा कि वह क्यों इस तरह से बैठा है तो बच्चे ने जवाब दिया, "मेरा भाई मर गया है. मैं अपने पिता का इंतजार कर रहा हूं ताकि वह गाड़ी लेकर आए और इसे घर ले जाए."

बताया जा रहा है कि लड़का अपने भाई के शव के साथ एक नाली के किनारे इसी तरह से दो घंटे तक बैठा रहा और पिता गाड़ी का इंतजाम करने के लिए इधर-उधर भागता रहा. जैसे-जैसे और लोगों को इसकी जानकारी मिली वहां भीड़ जुट गई और लोग बच्चे के पिता की तलाश करने लगे. पिता पूजाराम जाटव जिला अस्पताल पर मौजूद निजी एंबुलेंस के ड्राइवर से शव को ले जाने के लिए गिड़गिड़ा रहे थे, क्योंकि जाटव के पास भुगतान के लिए पैसे नहीं थे.

स्थानीय पत्रकारों को जब इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने जिला अस्पताल के अधिकारियों से एंबुलेंस नहीं दिए जाने को लेकर सवाल किया. जब मामला बढ़ता दिखा तो पुलिस भी अस्पताल पहुंच गई.

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जाटव के बेटे को मुरैना जिले के अंबाह अस्पताल से जिला अस्पताल रेफर किया गया था. उनके बेटे की तबीयत अचानक खराब हो गई थी. जाटव अपने बेटे का बेहतर इलाज कराने के लिए उसे जिला अस्पताल लेकर आए थे लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

सीमित साधनों के व्यक्ति जाटव ने अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों से शव को लगभग 35 किमी दूर अपने गांव वापस ले जाने के लिए एक वाहन की गुहार लगाई. जाटव का कहना है कि अधिकारियों और कर्मचारियों ने उनकी अपील को ठुकरा दिया और उन्हें कहा गया कि अस्पताल के पास कोई वाहन नहीं है. उन्हें कहा गया कि बाहर से वाहन का इंतजाम करना होगा.

मुरैना के सीएमएचओ डॉ. राकेश शर्मा ने कहा कि पुलिस के अस्पताल आने पर एंबुलेंस द्वारा शव को परिवार के गांव भेजा गया. लेकिन जाटव और उनके बेटे के साथ जिस तरह का बर्ताव किया गया वह सरकारी अस्पतालों के इंतजामों की जरूर पोलता खोलता है.

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