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अपराधमैडागास्कर

मैडागास्कर में बलात्कारियों को बधिया करने का बिल पारित

१२ फ़रवरी २०२४

मैडागास्कर की संसद ने उस बिल को पारित कर दिया है, जिसके तहत बच्चों के साथ बलात्कार करने वालों को बधिया करने की सजा का प्रावधान है.

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मैडागास्कर
मैडागास्कर में पिछले साल बच्चों से रेप के 600 से ज्यादा मामले हुएतस्वीर: Rafalia Henitsoa/AA/picture alliance

मैडागास्कर में बच्चों के साथ बलात्कार करने वालों को बधिया करने की सजा का प्रस्ताव पेश किया गया है. इस बिल का मानवाधिकार संगठनों ने विरोध किया है. पिछले हफ्ते इस बिल को ऊपरी सदन से मंजूरी मिल गई थी. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस कानून को ‘क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक‘ बताया है.

बीते बुधवार देश के ऊपरी सदन सेनेट ने इस बिल को पारित कर दिया. इस बिल में बच्चों के बलात्कारियों को रासायनिक और सर्जरी के जरिए नपुंसक बनाने का प्रावधान है. संसद का निचला सदन नेशनल असेंबली पहले ही इस बिल को पारित कर चुका है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सरकार से अनुरोध किया है कि इस प्रस्तावित कानून को पास ना करे क्योंकि "इससे बच्चों के यौन शोषण की समस्या हल नहीं होगी."

लेकिन कानून मंत्री लैंडी म्बोलातियाना रांद्रियामनानतेनासोआ ने इस प्रस्तावित कानून का बचाव किया है. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि हिंद महासागर में बसा यह देश "एक संप्रभु देश है और अपने कानूनों में बदलाव करने का उसे पूरा अधिकार है."

रांद्रियामनानतेनासोआ ने कहा, "बलात्कार के मामलों में जिस तरह से वृद्धि हो रही है, हमें कुछ तो करना ही था. पिछले साल बच्चों के बलात्कार के 600 मामले आए थे.”

रसायनिक या सर्जरी से बधियाकरण

अब तक देश में बच्चों के साथ बलात्कार के लिए पांच साल की सजा का कानून है. नए कानून में दस साल से कम उम्र के बच्चों के साथ बलात्कार करने वालों को सर्जरी के जरिए बधिया बनाए जाने का प्रावधान रखा गया है.

10 से 13 वर्ष तक के बच्चों के साथ बलात्कार में बधियाकरण के लिए रासायनिक या सर्जरी दोनों ही तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि 13 से 18 साल तक अवयस्कों के साथ बलात्कार करने वालों को रासायनिक बधियाकरण की सजा दी जाएगी.

यह कानून तभी अमल में आएगा जब राष्ट्रपति आंद्रे रायोलिना इस पर हस्ताक्षर करेंगे और उसके बाद संवैधानिक अदालत इसे मंजूरी देगी.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के क्षेत्रीय निदेशक टिगेरे चौगता कहते हैं कि कानून किसी को बधिया करना क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के मानकों के तो विरुद्ध है ही, संविधान-सम्मत भी नहीं है क्योंकि "संविधान में यातनाएं देने के खिलाफ प्रावधान मौजूद हैं.”

समर्थन भी है

लेकिन देश में बहुत से महिला अधिकार कार्यकर्ता इस सजा का समर्थन करते हैं. ‘विमिन ब्रेक द साइलेंस' नाम के आंदोलन की जेसिका लोलोनिरीना निवेसेहेनो कहती हैं कि बधियाकरण से "बलात्कार की संस्कृति पर रोकथाम में मदद मिल सकती है क्योंकि बहुत से मामलों में तो परिवार के बीच बातचीत से ही समझौता कर लिया जाता है.”

एमनेस्टी ने कहा, "बलात्कार के बहुत से मामले तो दर्ज ही नहीं होते और अपराधी अक्सर छूट जाते हैं क्योंकि पीड़ित और उनके परिजनों को बदले की कार्रवाई और सामाजिक कलंक का डर होता है और न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं होता.”

मैडागास्कर में एमनेस्टी के सलाहकार नीको वा नीको कहते हैं कि यह कानून पीड़ितों को केंद्र में रखता है, ना कि अपराधियों को. उन्होंने कहा, "बधियाकरण गंभीर और बदला ना सकने वाला नुकसान है. ऐसे मामले भी होते हैं जिनमें किसी व्यक्ति को दोषी पाया गया और फिर अदालतों ने उसे निर्दोष पाया और रिहा कर दिया.”

दुनिया के कई देशों में इस तरह के कानून लागू हैं. अमेरिका के कुछ राज्यों में बार-बार बच्चों के यौन शोषण का दोषी पाए गए लोगों को इस तरह की सजा देते हैं. सबसे पहले 1996 में कैलिफॉर्निया प्रांत ने ऐसा कानून लागू किया था. उसके बाद फ्लोरिडा, आयोवा और टेक्सस समेत सात राज्य अलग-अलग रूप में ऐसा कानून ला चुके हैं. इंडोनेशिया, पाकिस्तान और दक्षिण कोरिया में भी बच्चों के बलात्कारियों के लिए ऐसी सजा के प्रावधान हैं.

वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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