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संसद में हिट हुए या फ्लॉप रहे फिल्मी सितारे

आदर्श शर्मा
९ अप्रैल २०२४

फिल्मी सितारों को अपनी लोकप्रियता का फायदा राजनीति के मैदान में भी मिलता है. पिछले लोकसभा चुनावों में करीब 15 फिल्म कलाकारों ने जीत हासिल की, लेकिन क्या वे संसद और अपने क्षेत्र में दमदार प्रदर्शन कर पाए?

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फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत बनी हैं बीजेपी की सांसद पद की उम्मीदवार
फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत बनी हैं बीजेपी की सांसद पद की उम्मीदवार तस्वीर: IANS

राजनीति के मैदान में फिल्म कलाकारों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में देश के प्रमुख दलों ने लगभग 20 फिल्म कलाकारों और गायकों को मैदान में उतारा है. इनमें हेमा मालिनी और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे वरिष्ठ कलाकारों से लेकर कंगना रनौत जैसी युवा अभिनेत्री शामिल हैं.

सितारों पर दांव खेलने में बीजेपी सबसे आगे है. उसने 12 कलाकारों पर भरोसा जताया है. दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस है, जिसने पांच कलाकारों को टिकट दिया है.

कंगना रनौत के संसदीय क्षेत्र मण्डी में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनके समर्थन में निकाली रैली
कंगना रनौत के संसदीय क्षेत्र मण्डी में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनके समर्थन में निकाली रैलीतस्वीर: ANI/Hindustan Times/Sipa USA/picture alliance

फरीदकोट और हुगली सीट पर रोचक मुकाबला

पंजाब की फरीदकोट और पश्चिम बंगाल की हुगली सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है. आम आदमी पार्टी ने फरीदकोट से पंजाबी अभिनेता और गायक करमजीत अनमोल को टिकट दिया है. इसके जवाब में बीजेपी ने सूफी गायक हंसराज हंस को मैदान में उतारा है. यहां के मौजूदा सांसद मोहम्मद सादिक भी मशहूर गायक हैं. वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार कांग्रेस ने अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है.

वहीं, हुगली सीट पर बंगाली सिनेमा की दो अभिनेत्रियां आमने-सामने हैं. बीजेपी ने यहां से मौजूदा सांसद और अभिनेत्री लॉकेट चटर्जी को टिकट दिया है. वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने अभिनेत्री रचना बनर्जी को मैदान में उतारा है.

2019 के लोकसभा चुनावों में भी फिल्म कलाकारों को खासी सफलता मिली थी. तब 15 से ज्यादा कलाकार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इनमें भी सबसे ज्यादा नौ सांसद बीजेपी और चार सांसद तृणमूल कांग्रेस के थे. वहीं, एक अभिनेत्री ने निर्दलीय लड़कर भी जीत दर्ज की थी.

सनी देओल का प्रदर्शन सबसे खराब रहा

फिल्मों में अपनी दमदार संवाद अदायगी के लिए मशहूर सनी देओल का प्रदर्शन सबसे खराब रहा. उन्होंने संसद में पांच सालों के दौरान सिर्फ चार सवाल पूछे और संसद की एक भी बहस में हिस्सा नहीं लिया. उन पर अपने संसदीय क्षेत्र में ना जाने के भी आरोप लगे. वहां उनके लापता होने तक के पोस्टर लगा दिए गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सनी देओल ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी वोट नहीं डाला था.

सभी सिलेब्रिटी सांसदों में से लॉकेट चटर्जी का संसदीय प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा. उन्होंने 43 बहसों में हिस्सा लिया और 295 सवाल पूछे. सात सत्रों में उनकी उपस्थिति 100 फीसदी रही. यह आंकड़े पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की वेबसाइट से लिए गए हैं.

सनी देओल का लंबा फिल्मी करियर रहा है और हाल ही में गदर सीरिज की एक और नई फिल्म सुपरहिट भी रही है
सनी देओल का लंबा फिल्मी करियर रहा है और हाल ही में गदर सीरिज की एक और नई फिल्म सुपरहिट भी रही है तस्वीर: Imago Images/Hindustan Times

रवि किशन ने 480 सवाल पूछे, शत्रुघ्न खामोश रहे

भोजपुरी अभिनेताओं की तिकड़ी का संसदीय प्रदर्शन भी अच्छा रहा. गोरखपुर सांसद रवि किशन ने सबसे ज्यादा 480 सवाल पूछे और 10 निजी बिल पेश किए. नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी की छह सत्रों में 100 फीसदी उपस्थिति रही. उन्होंने ईको-टूरिज्म, यमुना नदी में प्रदूषण, वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े सवाल भी पूछे. आजमगढ़ से उपचुनाव में जीते निरहुआ की उपस्थिति सबसे ज्यादा 90 फीसदी रही.

मशहूर गायक और कांग्रेस सांसद मोहम्मद सादिक ने पांच साल में सिर्फ दो सवाल पूछे. वहीं, टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय ने सिर्फ एक सवाल पूछा. आसनसोल से उपचुनाव में जीते शत्रुघ्न सिन्हा ने तो एक भी सवाल नहीं पूछा. ना ही उन्होंने किसी बहस में हिस्सा लिया.

गोरखपुर से वर्तमान सांसद रवि किशन भोजपुरी फिल्मों के कारण पूरे देश में जाने जाते हैं
गोरखपुर से वर्तमान सांसद रवि किशन भोजपुरी फिल्मों के कारण पूरे देश में जाने जाते हैंतस्वीर: Getty Images/AFP

बीजेपी सांसद हेमा मालिनी और किरण खेर का प्रदर्शन लगभग एक जैसा रहा. किरण खेर लोकसभा के चार सत्रों में एक भी दिन शामिल नहीं हुईं. 2019 के बाद उन्होंने किसी बहस में हिस्सा नहीं लिया. वहीं, मथुरा में यमुना नदी का प्रदूषण एक अहम मुद्दा है, लेकिन हेमा मालिनी ने संसद में इससे जुड़ा कोई सवाल नहीं पूछा.

82 बहसों में शामिल हुए बीजेडी सांसद

बंगाली अभिनेत्री मिमी चक्रवती और नुसरत जहां का प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहा. दोनों की संसद में मौजूदगी 25 फीसदी से भी कम रही. बंगाली अभिनेता दीपक अधिकारी (देव) का प्रदर्शन तो और खराब रहा. उनकी उपस्थिति सिर्फ 12 फीसदी रही.

ओडिशा से बीजू जनता दल के सांसद अनुभव मोहंती का प्रदर्शन अच्छा रहा. वह सबसे ज्यादा 82 बहसों में शामिल रहे. उन्होंने तीन निजी बिल भी पेश किए. वहीं, बीजेपी  सांसद हंसराज हंस ने 2020 के बाद संसद में कोई सवाल नहीं पूछा. पूरे कार्यकाल के दौरान वह सिर्फ चार बहसों में शामिल हुए.

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी से सांसद हैं. चूंकि मंत्री संसद के उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं करते और सवाल नहीं पूछते, इसलिए उन्हें सूची में शामिल नहीं किया गया है.

फिल्मों से कितना रहा नाता

2019 से 2024 के बीच मनोज तिवारी और हेमा मालिनी किसी फिल्म या वेब सीरीज का हिस्सा नहीं बने. हालांकि, मनोज तिवारी ने रामलीला में अभिनय किया. वहीं, हेमा मालिनी ने रास महोत्सव में नृत्य किया.

इस दौरान सनी देओल और रवि किशन का फिल्मी करियर भी खूब परवान चढ़ा. आईएमडीबी के मुताबिक, रवि किशन इस दौरान 30 से ज्यादा फिल्मों और वेब सीरीज का हिस्सा रहे. वहीं, सनी देओल की दो फिल्में रिलीज हुईं. इनमें से गदर-2 ने तो कमाई के कई बड़े रिकॉर्ड बनाए. दिनेश लाल यादव की भी कई भोजपुर फिल्में रिलीज हुईं.

तृणमूल कांग्रेस से सांसद नुसरत जहां, मिमी चक्रवती और दीपक अधिकारी की भी कई फिल्में इस दौरान रिलीज हुईं. लॉकेट चटर्जी भी कुछ फिल्मों में नजर आईं. वहीं स्मृति ईरानी, शत्रुघ्न सिन्हा, शताब्दी रॉय और किरण खेर इस दौरान किसी फिल्म या वेब सीरीज में नजर नहीं आए.

सांसद आदर्श ग्राम योजना में प्रदर्शन

सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत सभी सांसद अपने क्षेत्र में गांव गोद लेते हैं और उनमें विकास कार्य करवाते हैं. इस योजना की शुरुआत 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. सांसद आदर्श ग्राम योजना की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों मुताबिक, मथुरा से बीजेपी  सांसद हेमा मालिनी ने 2019 से 2024 के बीच छह ग्राम पंचायतें गोद लीं. इनमें से पांच में करीब 150 विकास कार्य कराए. वहीं, एक की ग्राम विकास योजना ही वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुई.

अमेठी से बीजेपी  सांसद स्मृति ईरानी ने सिर्फ एक ग्राम पंचायत गोद ली, जिसमें 16 में से 14 विकास कार्य पूरे हुए. वहीं, गोरखपुर से बीजेपी  सांसद रवि किशन ने तीन ग्राम पंचायतें गोद लीं और इनमें 41 विकास कार्य कराए.

गुरुदासपुर से बीजेपी  सांसद सनी देओल ने गुरुदासपुर और पठानकोट में दो-दो ग्राम पंचायतें गोद लीं. पठानकोट में 40 फीसदी काम पूरा हुआ, वहीं गुरुदासपुर में 26 फीसदी काम ही पूरा हुआ. वहीं, फरीदकोट से कांग्रेस सांसद मोहम्मद सादिक ने दो ग्राम पंचायतें गोद लीं, लेकिन वहां एक भी काम पूरा नहीं हुआ.

कर्नाटक के मांड्या से निर्दलीय सांसद सुमलता अंबरीश ने चार ग्राम पंचायतें गोद लीं. इनमें से तीन में 370 विकास कार्य कराए. वहीं पिछले साल गोद ली गई पंचायत में एक भी कार्य पूरा नहीं हुआ. चंडीगढ़, आजमगढ़, नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली, नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली, हुगली, आसनसोल, बशीरहाट, जाधवपुर, बीरभूम, घाटल, आसनसोल, केंद्रपाड़ा का कोई डाटा वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं था.

सांसद निधि का कितना इस्तेमाल

सांसदों को हर साल अपने क्षेत्र में विकास कार्य करवाने के लिए पांच करोड़ रुपए सांसद निधि के तौर पर मिलते हैं. यानी पांच साल में वे 25 करोड़ रुपए तक के विकास कार्य करवा सकते हैं. हालांकि, 2020 में कोरोना महामारी के बाद यह योजना लगभग डेढ़ साल के लिए बंद कर दी गई थी. इसलिए सांसदों को इन पांच सालों में सांसद निधि में 17 करोड़ रुपए ही मिले.

बीजेपी  सांसद लॉकेट चटर्जी ने सांसद निधि के 2.9 करोड़ और मनोज तिवारी ने 2.7 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं किए. शत्रुघ्न सिन्हा, रवि किशन, नुसरत जहां, मोहम्मद सादिक और अनुभव मोहंती ने भी सांसद निधि के दो करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च नहीं किए.

इनके अलावा सनी देओल, स्मृति ईरानी और सुमलता अंबरीश ने एक करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च नहीं किए. निरहुआ, शताब्दी रॉय और दीपक अधिकारी ने 80 लाख रुपए से ज्यादा की राशि खर्च नहीं की. वहीं, मिमी चक्रवती ने 68 लाख, हंसराज हंस ने 20 लाख और किरण खेर ने 17 लाख रुपए खर्च नहीं किए.

किन सांसदों का टिकट कटा

2024 के लोकसभा चुनावों के लिए लॉकेट चटर्जी, मनोज तिवारी, शताब्दी रॉय, रवि किशन, हेमा मालिनी, दीपक अधिकारी, शत्रुघ्न सिन्हा और दिनेश लाल ‘निरहुआ' यादव को अपनी पुरानी सीटों से दोबारा टिकट मिला है.

बीजेपी  ने सनी देओल का टिकट काट दिया है और हंसराज हंस की सीट बदल दी है. वहीं, अनुभव मोहंती ने बीजेडी छोड़कर बीजेपी  का हाथ थाम लिया है. वह ओडिशा से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. निर्दलीय सांसद सुमलता अंबरीश भी बीजेपी  में शामिल हो गई हैं, लेकिन वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेगीं.

टीएमसी सांसद मिमी चक्रवती ने पिछले साल ही इस्तीफा दे दिया था. वहीं, नुसरत जहां को भी दोबारा टिकट नहीं मिला है. बीजेपी  ने चंडीगढ़ और कांग्रेस ने फरीदकोट से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की हैं. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार किरण खेर और मोहम्मद सादिक को टिकट नहीं दिया जाएगा.