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समाज

लेबनान में आर्थिक संकट के बीच एक दूसरे का सहारा बनती जनता

२६ दिसम्बर २०१९

व्हाट्सऐप ग्रुप पर लोग आमतौर पर संदेश, तस्वीरें और वीडियो साझा करते हैं. लेकिन लेबनान में लोग आर्थिक बदहाली के बीच एक दूसरे की मदद को आगे आ रहे हैं.

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Libanon Menschenkette in Beirut
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Hussein

मध्य पूर्व के देश लेबनान में अक्टूबर से लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. व्हाट्सऐप के जरिए लोग प्रदर्शन का आयोजन करते हैं. एक ऐसे ही व्हाट्सऐप ग्रुप पर उस वक्त हलचल मच गई जब एक सदस्य ने कहा है कि वह अपनों को बच्चों को पालने में असमर्थ है और खुदकुशी करना चाहता है. यह हताश संदेश उस वक्त आया जब देश खस्ता आर्थिक दौर से गुजर रहा है.

ग्रुप के दर्जनों सदस्यों में से एक 23 साल के मोहम्मद शाकीर फौरन हरकत में आए और उन्होंने दान के लिए अपील करते हुए अभियान की शुरुआत की. ग्रुप के सदस्यों ने सोशल मीडिया पर विज्ञापन डाले और पारदर्शिता के लिए पैसे के खर्च का लेखा-जोखा तैयार किया.

लेबनान में विरोध प्रदर्शन पिछले तीन महीने से जारी है और मंदी हर किसी को परेशान कर रही है. लोगों की नौकरियां जा रही हैं. वेतन में कटौती आम बात हो गई है. बैंकों ने नकदी निकासी पर सीमा निर्धारित कर दी है और जरूरी चीजों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं.

लेबनान में विरोध प्रदर्शनों का उत्साह अब धीरे-धीरे निराशा में तब्दील होता जा रहा है. देश को संकट से निकालने में नाकाम राजनीतिक दलों से उम्मीद लगाने की बजाय जनता वही कर रही है जो पहले के संकट के दौर में करती आई है: एक दूसरे की मदद करना और उससे उभारना.

शाकीर कहते हैं, "हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां लोग अपने बच्चों के लिए भोजन नहीं खरीद पा रहे हैं. घर का किराया नहीं दे पा रहे हैं. मेरे दोस्त ने मुझसे कहा कि ऐसी क्रांति किस काम की, जहां हमारे पास पैसे ही नहीं हो."

Libanon Proteste
लेबनान की जनता देश में व्यापक बदलाव चाहती है.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/H. Malla

शाकीर कहते हैं कि वो अपने दोस्त को खुदकुशी ना करने के लिए समझाने में कामयाब रहे, हालांकि उनके दोस्त ने दान लेने से इनकार कर दिया. शाकीर और उनके दोस्तों ने अभियान जारी रखते हुए इस महीने 58 परिवारों को भोजन, कपड़ा और पैसे मुहैया कराए. वह बताते हैं कि इनमें एक परिवार ऐसा था जिसके पास बिजली का बिल भरने करने के भी पैसे नहीं थे.

हाल के सालों में लेबनान की अर्थव्यवस्था बिगड़ती ही चली आई है. लोग मस्जिद और चर्च से दान लेकर किसी तरह से गुजारा कर रहे हैं. साथ ही साथ एक दूसरे की मदद को भी लोग आगे आ रहे हैं, कई बार लोग एक दूसरे का कर्ज तक माफ कर दे रहे हैं लेकिन यह विकल्प भी वक्त के साथ अब कम होते जा रहे हैं.

टीवी पर भी विज्ञापन के जरिए लोगों की मदद की अपील की जा रही हैं. विदेश से आने वाले लोगों से दवा, कपड़े और अन्य जरूरी सामान लाने को कहा जा रहा है. वहीं कुछ रेस्तरां जरूरतमंदों तक मुफ्त में भोजन पहुंचा रहे हैं तो दूसरी ओर बेकरियों के बाहर ऐसे लोगों के लिए ब्रेड रखी जा रही हैं जिनके पास खरीदने के पैसे नहीं है.

Libanon Proteste Graffitis
इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप पर मदद की अपील की जा रही है.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/H. Malla

व्हाट्सऐप ही नहीं इंस्टाग्राम पर भी लोग पेज बनाकर मदद के लिए आगे आ रहे हैं. वेब डेवलेपर्स के एक समूह ने एक ऐप तैयार किया जिसका नाम "आपका भाई" है. इसके जरिए मदद करने वालों और मदद लेने वालों के बीच तालमेल बिठाने की कोशिश है. 15 साल तक गृह युद्ध झेल चुका लेबनान पहली बार इतनी खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है. इस्राएल के साथ कई युद्धों ने देश की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे को और तबाह कर दिया है.

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि विरोध प्रदर्शनों ने सबमें वंचित होने का भाव पैदा किया है. मनोवैज्ञानिक मिया अतवी कहती हैं, "इस प्रदर्शन में हर किसी के लिए कुछ है चाहे वह इसका समर्थन कर रहे हों या विरोध. लोग महसूस कर रहे हैं कि अमीर और गरीब एक ही तरह से भुगत रहे हैं. सभी को नुकसान महसूस हो रहा है."

अतवी लेबनान में मानसिक स्वास्थ्य संगठन की सह-संस्थापक हैं जो देश में खुदकुशी को रोकने के लिए हेल्पलाइन चला रहा है. हेल्पलाइन को अब हर हफ्ते करीब 100 कॉल आती हैं जो पिछले तीन हफ्तों में कहीं अधिक बढ़ी है.

21 साल की छात्रा रिम मजीद कहती हैं, "परेशानी तो पहले से ही मौजूद थी लेकिन हम अब संकट के उस दौर से गुजर रहे हैं जो वक्त के साथ गहरा होता जा रहा है." आर्थिक हालात को देखते हुए शाकीर ने कभी देश छोड़कर जाने के बारे में सोचा था लेकिन विरोध प्रदर्शनों ने उन्हें यहीं रुकने को मजबूर कर दिया.

एए/एके (एपी)

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