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समाज

दिल्ली में जानें बचा रही है दो जजों की एक अदालत

५ मई २०२१

दिल्ली की एक अदालत ऑक्सीजन के लिए तरस रहे अस्पतालों की आखरी उम्मीद बन गई है.

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तस्वीर: Ishant Chauhan/AP Photo/picture alliance

दिल्ली हाई कोर्ट की दो जजों की एक बेंच लगभग रोज अस्पतालों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं में अस्पताल जीवन की सुरक्षा के मूलभत अधिकार के आधार पर ऑक्सीजन की मांग कर रहे हैं. सुनवाई में सरकारी अधिकारी हाजिर हो रहे हैं. और वकील बताते हैं कि इस अदालत ने कई जानें बचाई हैं. वकील शाएल त्रेहन बताते हैं कि रविवार को सीताराम भरतिया अस्पताल में भर्ती 24 कोविड मरीजों के लिए सिर्फ आधे घंटे की ऑक्सीजन बची थी और नई सप्लाई की कहीं कोई गुंजाइश नहीं दिख रही थी. ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने अदालत से गुहार लगाई. जजों ने दिल्ली सरकार को फौरन ऑक्सीजन सप्लाई करने का आदेश दिया. त्रेहन बताते हैं, "सुनवाई के कुछ ही घंटों के भीतर ऑक्सीजन का टैंक अस्पताल पहुंच गया."

दिल्ली में त्राहि त्राहि

दो करोड़ की आबादी वाले दिल्ली शहर में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई है. लोग निजी स्तर पर ऑक्सीजन सिलिडंर जुटाने के लिए इधर उधर भटक रहे हैं. कार पार्कों, अस्पतालों के बाहर और यहां तक कि सड़क के किनारे भी लोग एक दूसरे को ऑक्सीजन देते देखे जा सकते हैं. दिल्ली में करीब 20 हजार कोविड केस रोजाना दर्ज हो रहे हैं और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था लगभग ठप्प हो चुकी है. दिल्ली सरकार का कहना है कि उसे रोजाना 976 टन ऑक्सीजन की जरूरत है लेकिन मिल रही है 490 टन. केंद्र सरकार ने यह सीमा तय की है.

ऑक्सीजन की सप्लाई का प्रबंधन देख रहे केंद्रीय अधिकारियों ने कोर्ट से कहा है कि वे अपना हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार पर मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया. दिल्ली हाई कोर्ट के जज विपिन सांघी और रेखा पल्ली ने अदालत में केंद्र और दिल्ली सरकार के वकीलों की बहस सुनी जिसमें ऑक्सीजन कोटा, परिवहन की समस्या और टैंकरों की कमी जैसे तर्क दिए गए.

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दिल्ली के अलावा कई राज्यों में ऑक्सीजन का संकट है.तस्वीर: Manjunath Kiran/AFP/Getty Images

जज को गुस्सा आता है

सप्ताहांत पर जब दिल्ली सरकार के वकील ने फिर से ऑक्सीजन की सप्लाई समय पर न होने की बात कही तो जज रेखा पल्ली को गुस्सा आ गया. उन्होंने वकील को लगभग झाड़ लगाते हुए कहा, "पानी अब सिर से गुजर चुका है. अब हद हो चुकी है." अप्रैल में जस्टिस सांघी ने वकीलों से कहा था कि भीख मांगो, उधार लो या चुराकर लाओ, दिल्ली के लिए ऑक्सीजन उपलब्ख करवाओ. उन्होंने कहा, "सरकार नहीं कह सकती है हम नहीं कर सकते या हम इतना ही दे सकते हैं इसलिए लोग मर रहे हैं तो उन्हें मरने दो."

अब अदालत ही सहारा

केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों की संकट के लिए तैयारी न करने की वजह से आलोचना हो रही है. अप्रैल से अब तक कई अस्पताल मदद के लिए अदालत की शरण में जा चुके हैं. एक अस्पताल की ऑक्सीजन सप्लाई के वास्ते अदालत गईं एक वकील प्रभा सहाय कौर कहती हैं, "यह अद्भुत तो है ही, लेकिन यह सुनवाई तो मछली के लिए पानी मांगने जैसी है."

पिछले हफ्ते एक सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत से ही सप्लायर को फोन किया, उससे स्पीकर पर बात की और पूछा कि अब तक ऑक्सीजन सिलिंडर अस्पताल में क्यों नहीं पहुंचे हैं. जजों ने यह पूरी बातचीत सुनी.

रविवार को एक सुनवाई के दौरान एक अस्पताल ने कहा कि उनके यहां कभी भी मरीजों की मौत का सिलसिला शुरू हो सकता है क्योंकि सिर्फ एक घंटे की ऑक्सीजन बची है. एक व्यक्ति ने कहा, "140 मरीज और सिर्फ एक घंटे की ऑक्सीजन. हम भारी संकट में हैं." जज ने फौरन सरकार को कार्रवाई करने को कहा.

वीके/एए (रॉयटर्स)

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