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पर्वतीय राज्यों के लिए आफत बना मानसून

२४ अगस्त २०२३

हिमाचल प्रदेश में भारी बरसात से तबाही जारी है. कुल्लू में गुरुवार को कई घर भूस्खलन की चपेट में आए. हिमाचल और उत्तराखंड में फिलहाल बारिश से राहत के आसार नहीं दिख रहे हैं.

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भूस्खलन की चपेट में आई शिमला कालका रेल लाइन
भूस्खलन की चपेट में आई शिमला कालका रेल लाइनतस्वीर: Pradeep Kumar/AP Photo/picture alliance

उत्तर भारत के पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में फिर भारी बारिश की आशंका जताई गई है. मौसम विभाग ने राज्य में रेड अलर्ट जारी किया है. पर्यटकों के बीच लोकप्रिय शहर, कुल्लू में 24 अगस्त को भूस्खलन के चलते भारी नुकसान हुआ. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों को मुताबिक, जमीन खिसने से आठ इमारतें ध्वस्त हो गईं. प्रशासन ने एहतियात के तौर पर इन इमारतों को खतरनाक बताते हुए पहले ही खाली करा लिया था.

उत्तर भारत में भयंकर बारिश ने कर रखा है बेहाल

हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्कू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "प्रशासन ने जोखिम को पहचान लिया था और दो दिन पहले ही सफलतापूर्वक इमारत को खाली करा लिया था."

हिमाचल के आपदा प्रंबधन अधिकारी प्रवीण भारद्वाज के मुताबिक, "आठ भवन पूरी तरह तबाह हुए हैं, जबकि दो इमारतों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है."

बदलते मौसम से कराहते पर्वतीय इलाके

हिमाचल प्रदेश में बीते दो महीनों से बारिश ने भारी तबाही मचाई हुई है. मौसम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जून की शुरुआत से अब तक हिमाचल प्रदेश में औसत से 45 फीसदी और उत्तराखंड में 18 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है. हिमाचल में अब तक बारिश के कारण हुए हादसों में 88 लोग मारे जा चुके हैं. उत्तरखंड में जून से अब तक 74 लोगों की मौत हुई है.

हिमाचल में भूस्खलन की 50 से ज्यादा घटनाएं
हिमाचल में भूस्खलन की 50 से ज्यादा घटनाएंतस्वीर: AFP

हिमाचल प्रदेश में इस महीने भी भूस्लखन से 50 साल से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. हिमाचल से सटे पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में भी आए दिन रेड अलर्ट जारी किया जा रहा है. बीते डेढ़ महीने में दोनों राज्यों में सड़कें बंद होने के 1,500 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. बदलते मौसम की वजह से दोनों राज्यों में आए दिन स्कूल, कॉलेज भी बंद करने पड़ रहे हैं.

पर्वतीय इलाकों में भारी बारिश और तेजी से पिघलते ग्लेशियरों के कारण भारत, नेपाल और पाकिस्तान बीते 10 साल से भीषण बाढ़ झेल रहे हैं.

ओएसजे/एसएम (एएफपी, रॉयटर्स)