आकाश से लद्दाख
भारत-चीन सीमा पर कई दशक बाद हुई हिंसा के चलते पूरी दुनिया की नजर अब लद्दाख पर है. आइए जानते हैं कि इसके दुर्गम पहाड़ों पर जमीन को लेकर कितना संघर्ष है.
बर्फ ही बर्फ
दिल्ली से लेह की उड़ान के 15 मिनट के भीतर ही हिमालय पर्वत श्रृंखला दिखनी शुरू हो जाती है.अपने अनछुए पहाड़ी सौंदर्य, खास संस्कृति और भौगोलिक स्थिति के कारण रणनीतिक महत्व वाले लद्दाख को 31 अक्टूबर 2019 को भारत के एक केंद्र शासित क्षेत्र का दर्जा मिला.
शिवालिक और पीरपंजाल
सबसे पहले दिखाई देते हैं शिवालिक और पीरपंजाल पर्वत. इस तस्वीर में आप जहां तक देख सकते हैं, यह सब भारतीय हिमालय का हिस्सा है.
हिमालय का दृश्य
यहां विमान दुनिया के कुछ सबसे ऊंचे पहाड़ों के ऊपर से उड़ता है. जहां तक दिखता है एक के बाद एक कई ज्ञात और अज्ञात चोटियां दिखती हैं.
जितना दुर्गम, उतना ही संवेदनशील
हिमालय के इस सुदूर क्षेत्र को लेकर पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष रहा है. इस घाटी के तमाम हिस्सों में भारत, चीन और पाकिस्तान की सीमाएं हैं.
युद्ध वहीं है, जहां लोग नहीं हैं
यहां दिख रहे काराकोरम रेंज में स्थित है सियाचिन ग्लेशियर. यहीं से नुब्रा नदी निकलती है जो आगे चलकर सिंधु नदी से मिलती है. चीन और पाकिस्तान दोनों तरफ से कश्मीर में सियाचिन के रास्ते घुसा जा सकता है.
नीली झील
करीब 15,000 फीट पर खारे पानी की झील, जिसे लद्दाखी में मुरारी कहते हैं. इसके आगे पैंगोंग सो झील दिखती है, जो 1962 के भारत-चीन युद्ध की धुरी बनी थी.
लद्दाख-तिब्बत का पठार
लद्दाख-तिब्बत के ठंडे रेगिस्तान में प्रवेश करते हुए ऐसा नजारा दिखता है. चारों ओर स्लेटी रंग है. कहीं-कहीं थोड़ा हरा भी दिख जाता है. इन्हीं हिस्सों में लोग रहते हैं.
केवल सेना है
इस निर्जन इलाके में कोई पेड़ नहीं हैं, बहुत कम ऑक्सीजन है. लेकिन इलाके की अहमियत इतनी है कि यहां जिस देश की जितनी अधिक सेना होगी, युद्ध की स्थिति में उसे उतना ही फायदा होगा.
लद्दाख का अर्थ है शांति
विमान लेह के आकाश में प्रवेश कर चुका है. तनाव के समय में यहां के आकाश में लड़ाकू विमान घंटों उड़ान भर रहे हैं. लेकिन यह लेह की आम तस्वीर नहीं है. लेह का अर्थ है शांति और सभी धर्मों का सह-अस्तित्व.