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भारत में रोजगार के आंकड़ों पर सवाल

चारु कार्तिकेय
१५ जून २०२२

भारत सरकार के एक रोजगार सर्वे ने दावा किया है कि 2020 में बेरोजगारी में गिरावट आई थी. सवाल उठ रहे हैं कि कोविड-19 महामारी के पहले साल में जहां लाखों नौकरियां चली गईं ऐसे में आंकड़े बोरजगारी में गिरावट कैसे दिखा रहे हैं.

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Indien | Gastarbeiter in Neu-Delhi
तस्वीर: Mohsin Javed/Pacific Press/picture alliance

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में 2019-20 के मुकाबले महामारी के पहले साल यानी 2020-21 में बेरोजगारी में गिरावट आई थी.

2019-20 में बेरोजगारी दर 4.8 थी जबकि 2020-21 में यह गिर कर 4.2 पर आ गई थी. इस सर्वे में जुलाई 2020 से जून 2021 के बीच की अवधि की बात की गई है. इसका मतलब है इस अवधि में जितने लोग रोजगार ढूंढ रहे थे, उनमें से सिर्फ 4.2 प्रतिशत को रोजगार नहीं मिला.

(पढ़ें: कोविड की दूसरी लहर के बाद बढ़ी बेरोजगारी दर, माना सरकार ने)

शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 6.7 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 3.3 प्रतिशत पाई गई. इसके अलावा दो और मानकों में भी आंकड़े रोजगार को लेकर अच्छी तस्वीर दिखा रहे हैं. लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (एलएफपीआर) चार सालों में सबसे ऊंचे स्तर 39.3 प्रतिशत पर पाई गई और वर्कर पॉप्युलेशन रेश्यो (डब्ल्यूपीआर) 36.3 प्रतिशत पर.

चौंकाने वाले आंकड़े

एलएफपीआर का मतलब उन लोगों की संख्या जो या तो किसी रोजगार में लगे हुए हैं या रोजगार के लिए उपलब्ध हैं. माना जाता है कि इसके ऊंचा होने का मतलब होता है कि लोग रोजगार की उपलब्धता को लेकर निराशाजनक नहीं हैं. डब्ल्यूपीआर का मतलब होता है कुल आबादी में उन लोगों का प्रतिशत जिन्हें रोजगार हासिल है.

बेरोजगारी
अभी तक जितनी भी समीक्षा हुई है उसमें यही सामने आया है कि महामारी के पहले साल में लाखों लोगों का रोजगार छिन गयातस्वीर: Pradeep Gaur/Zumapress/picture alliance

कुल मिलाकर सर्वे के सभी आंकड़े महामारी के पहले साल में रोजगार के मोर्चे पर बेहतर स्थिति की ओर इशारा कर रहे हैं, जो कि अभी तक सामने आए सभी आंकड़ों के बिलकुल विपरीत है. अभी तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जितनी भी समीक्षा हुई है उसमें यही सामने आया है कि महामारी के पहले साल में लाखों लोगों का रोजगार छिन गया.

(पढ़ें: भारत में विकराल हो रहा है बेरोजगारी का संकट)

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक तो भारत में बेरोजगारी दर आठ प्रतिशत पर पहुंच गई थी. तुलना के लिए वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों में भारत में बेरोजगारी दर 2019 में 5.3 प्रतिशत पर और 2021 में छह प्रतिशत पर दर्ज है.

1.45 करोड़ लोगों की नौकरी गई

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के डेटाबेस पर आधारित सेंटर फॉर इकनॉमिक डाटा एंड एनालिसिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भारत की बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.11 प्रतिशत हो गई थी. सेंटर के अनुसार 2019 में बेरोजगारी दर 5.27 प्रतिशत थी.

(पढ़ें: बेरोजगारी के अभूतपूर्व संकट से निपटने की चुनौती)

खुद भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2020 में महामारी की पहली लहर में 1.45 करोड़ लोगों की नौकरी गई, दूसरी लहर में 52 लाख लोगों की और तीसरी लहर में 18 लाख लोगों की नौकरी गई.

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