भारत में पहली बार नदी के नीचे दौड़ी मेट्रो
भारत में पहली बार किसी मेट्रो ट्रेन ने नदी में बनी सुरंग से सफर तय किया है. यह मेट्रो ट्रेन हुगली नदी के नीचे से होती हुई कोलकाता से हावड़ा पहुंची. देखिए, कैसा रहा पानी के भीतर का सफर.
पहली बार पानी के नीचे चली मेट्रो
यह मेट्रो ट्रेन पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के नीचे से होकर कोलकाता से हावड़ा पहुंची. कोलकाता में जिस अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन का परीक्षण किया गया वह हुगली नदी के पूर्वी तट पर एस्प्लेनेड और पश्चिमी तट पर हावड़ा मैदान को जोड़ती है.
33 मीटर नीचे
नदी के नीचे बनी यह सुरंग जलस्तर से 33 मीटर नीचे है. नदी के नीचे की मिट्टी बहुत नरम है. इसलिए ज्यादा गहराई में जाए बिना सुरंग बनाना संभव नहीं था. सुरंग को उन्नत तकनीक की मदद से बनाया गया है.
भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो
कोलकाता भारत का पहला शहर है जहां नदी के नीचे मेट्रो चलेगी. अब उसका परीक्षण शुरू हो गया है. इस रूट पर सेवाएं इस साल के अंत में या अगले साल शुरू हो जाएंगी.
एक अलग एहसास
हावड़ा से एस्प्लेनेड का मार्ग करीब 4.8 किलोमीटर लंबा है, जिसमें से 520 मीटर हुगली नदी के नीचे सुरंग के जरिए होगा. इस सुरंग की पूरी लंबाई 10.8 किलोमीटर अंडरग्राउंड है.
देखने की कोशिश
जैसे ही मेट्रो ने सुरंग में प्रवेश किया, कुछ जिज्ञासु यात्रियों ने खिड़की से झांक कर देखने की कोशिश की कि सुरंग कैसी दिखती है.
सुरंग बनाने का खर्च
इस मेट्रो की सुरंग को बनाने का खर्च 120 करोड़ रुपये आया है. पिछले एक साल से कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन इस पर काम कर रही थी.
45 सेकंड में तय होगी 520 मीटर की दूरी
जब मेट्रो नियमित रूप से चलने लगेगी तो नदी के नीचे 520 मीटर की सुरंग से यात्रा करने में 45 सेकंड का समय लगेगा. लेकिन पूरी यात्रा के दौरान हुगली के दर्शन का अवसर नहीं मिलेगा. सुरंग से बाहर आने के बाद भी नहीं. क्योंकि, यहां मेट्रो पूरी तरह अंडरग्राउंड चलेगी.
सुरक्षित यात्रा के लिए उपाय
सुरंग में पानी के प्रवाह और रिसाव को रोकने के लिए सुरक्षा के कड़े उपाय किए गए हैं. इसके लिए इन खंडों में फ्लाई ऐश और माइक्रो सिलिका से बने कंक्रीट के मिश्रण का इस्तेमाल हुआ है.
जारी रहेगा परीक्षण
कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का कहना है कि ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर के इस खंड को जनता के लिए खोलने से पहले कोलकाता मेट्रो के अधिकारी बड़े पैमाने पर इस तरह के परीक्षण करना जारी रखेंगे.
सालों साल टिकी रहेंगी
नदी के नीचे मेट्रो के लिए दो सुरंग बनाई गई हैं. यह ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का प्रमुख आकर्षण है. इन सुरंगों को इस तरह से बनाया गया है ताकि यह 120 साल तक सेवाएं दे पाएं. (तस्वीरें-सत्यजीत शॉ)