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कर्नाटक चुनाव: इस बार जेडीएस की क्या भूमिका हो सकती है

चारु कार्तिकेय
१० मई २०२३

इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनावों में जेडीएस के चुनावी अभियान को राष्ट्रीय मीडिया ने ज्यादा जगह नहीं दी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पार्टी मैदान से नदारद है.

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एचडी कुमारस्वामी
एचडी कुमारस्वामीतस्वीर: Hindustan Times/IMAGO

दूर से देखने पर कर्नाटक विधान सभा चुनाव द्विध्रुवीय संघर्ष नजर आ सकते हैं, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के बीच जेडीएस ने तीसरी शक्ति के रूप में लगभग दो दशकों से अपनी जगह बनाई हुई है.

इस बार राष्ट्रीय मीडिया में जेडीएस का चुनावी अभियान कहीं नजर नहीं आया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पार्टी मैदान से नदारद है. पार्टी ने कुल 224 सीटों में से करीब 200 पर अपने उम्मीदवार उतारे.

स्थायी 'किंगमेकर'

पूरे राज्य में पार्टी के अभियान का प्रमुख चेहरा रहे पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने इस बार "मिशन 123" का नारा दिया है. विधानसभा में बहुमत के लिए 113 सीटें चाहिएं, यानी 123 का मतलब हुआ पूर्ण बहुमत.

कुमारस्वामी
कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार के साथ पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामीतस्वीर: MANJUNATH KIRAN/AFP

1999 में जेडीएस के गठन के बाद से पार्टी ने हर चुनाव में कई सीटें जीती हैं लेकिन इतनी बड़ी संख्या वो कभी हासिल नहीं कर पाई. 2018 में पार्टी ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की थी जिसके बाद उसने कांग्रेस से हाथ मिला कर सरकार बनाई थी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे.

2004 से लेकर 2018 तक पार्टी का वोट प्रतिशत 18 से 20 प्रतिशत के बीच ही रहा है, जिसकी बदौलत पार्टी इन वर्षों में 20 से 40 सीटें ही जीत पाई है. बस 2004 में पार्टी को 58 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

इतनी सीटों के साथ पार्टी हमेशा 'किंगमेकर' यानी सरकार बनाने वाली पार्टी के मददगार की भूमिका में ही रही है. बीते सालों में पार्टी बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही साथ हाथ मिला कर सरकार बना चुकी है.

हाथ मिलाने की कला

2006 में पार्टी ने बीजेपी के साथ हाथ मिला कर सरकार बनाई थी और कुमारस्वामी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि, उस सरकार का कार्यकाल सिर्फ 20 महीनों का रहा और अंत में दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया.

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2018 में जेडीएस ने कांग्रेस ने हाथ मिलाया और कुमारस्वामी एक बार फिर मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन उनका यह कार्यकाल भी अधूरा ही रहा और सत्तापक्ष के कई विधायकों की बगावत के बाद उनकी सरकार 14 महीनों में गिर गई.

इस बार चुनाव से पहले जेडीएस ने न बीजेपी से गठबंधन किया है और न कांग्रेस से. बल्कि कुमारस्वामी ने अपने चुनावी अभियान में दोनों पार्टियों की आलोचना की. बीजेपी और कांग्रेस ने भी जेडीएस पर एक दूसरे की 'बी टीम' होने का आरोप लगाया.

कर्नाटक की राजनीति के जानकार और पत्रकार जॉयजीत दास बताते हैं कि जेडीएस को मुख्य रूप से कर्नाटक के वोक्कालिगा समुदाय से समर्थन मिलता है और पार्टी को इस बार भी इस समुदाय के वोट मिलने का विश्वास है.

दास ने यह भी बताया कि इस बार भी पार्टी के 18-20 प्रतिशत वोट प्रतिशत हासिल करने की संभावना है. अगर ऐसा हुआ और किसी को भी बहुमत नहीं मिला तो जेडीएस एक बार फिर 'किंगमेकर' बन सकती है.