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समाज

'आम आदमी' के नाम पर चुनाव जीतने वाला एक अरबपति

१५ सितम्बर २०२१

योनास गार स्तोर के चुनावी अभियान का नारा था, आम आदमी. लेकिन नॉर्वे के नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे स्टोर एक अरबपति हैं जो पहली नजर में कहीं से भी आम आदमी नहीं लगते.

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तस्वीर: Javad Parsa/NTB/AP/picture alliance

सोमवार को आए शुरुआती नतीजों में विपक्षी वामपंथी गठबंधन के चुनाव जीतने की प्रबल संभावना बताई गई थी. इस सरकार का नेतृत्व 61 वर्षीय स्तोर के हाथों में हो सकता है, जिन्हें फिलहाल विभिन्न दलों के साथ गठजोड़ की कोशिशें करनी हैं.

स्तोर का चुनाव अभियान नॉर्वे में असमानता दूर करने के नारे पर आधारित था. उन्होंने देश में अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई का मुद्दा उठाया. वैसे विकसित देशों में नॉर्वे सबसे समान समाजों में से एक है लेकिन अब तक सरकार में रही दक्षिणपंथी पार्टी के शासनकाल में देश में अरबपतियों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है.

विरासत के धनी

अपने अभियान के दौरान स्तोर ने बार-बार कहा, "अब आम लोगों की बारी है.” हालांकि उनका यह नारा उनकी जिंदगी के उलट है. वह डेढ़ करोड़ डॉलर से ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं. पर इसकी सफाई में वह कहते हैं, "मेरी दौलत साधारण नहीं है लेकिन मेरी बहुत सी बातें साधारण हैं.”

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तीन बच्चों के पिता स्तोर  कई मायनों में खानदानी विरासत के मालिक हैं. उनकी दौलत का मुख्य स्रोत स्टोव बनाने वाली उनकी पारिवारिक कंपनी को बेचने से मिला धन है. इस कंपनी को कभी उनके दादा ने दीवालिया होने से बचाया था

राजनीति भी स्तोर को विरासत में मिली है. पूर्व प्रधानमंत्री येन्स स्टोल्टेनबर्ग उनके मित्र ही नहीं मार्गदर्शक भी रहे हैं और उन्हीं के नक्शेकदम पर चलकर स्तोर आज प्रधानमंत्री पद के इतने करीब पहुंच गए हैं. स्टोल्टनबर्ग सरकार में वह 2005 से 2012 के बीच विदेश मंत्री और फिर 2012-13 में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं.

पार्टी में अंतर्विरोध

जब 2014 में स्टोल्टनबर्ग को नाटो का अध्यक्ष नामित किया गया तो लेबर पार्टी के नेता के तौर पर उनकी जगह लेने के लिए स्तोर का नाम स्वाभाविक माना गया. हालांकि आमतौर पर मजदूर-कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करती आई लेबर पार्टी की कमान एक अरबपति के हाथों में सौंपना बहुत से लोगों के गले नहीं उतरा था.

स्तोर की शख्सियत विरोधाभासों और विविधताओं से भरी हुई है. उन्होंने पैरिस में साइंस की पढ़ाई की तो कुछ दिन लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में भी बिताए. हार्वर्ड लॉ स्कूल में वह एक शोधकर्ता रह चुके हैं. उनकी शख्सियत में अरबपतियों की चकाचौंध है, तकनीकवेत्ताओं सी बेपरवाही भी. वह बढ़िया फ्रेंच बोलते हैं जो उन्हें एक अमीरजादे सा पेश करता है. और यही बात लेबर पार्टी के उनके वामपंथी सहयोगियों में से बहुतों को पसंद नहीं.

Norwegen | Jonas Gahr Stoere und  Jens Stoltenberg
तस्वीर: Lise Aserud/dpa/picture alliance

एक संपादक ने एक बार स्तोर के बारे में कहा था कि वह "उलटी तरफ से सामाजिक सीढ़ी चढ़े हैं”. जहाज तोड़ने वाले पिता और लाइब्रेरियन मां की संतान स्तोर पहली मई को मजदूर दिवस के मौके पर नॉर्वे का झंडा फहराने लगे हैं क्योंकि ऐसा न करने के लिए उनकी आलोचना हुई थी.

सबको खुश रखने की कला

राजनीतिक विश्लेषक योहानेस ब्रेग ने चुनाव से पहले उनके बारे में कहा था, "वह एक ऐसे नेता हैं जिनका कई बार लोग मजाक उड़ाते हैं, एक ऐसा बुद्धिजीवी तो लेबर पार्टी में बाहर का आदमी लगता है लेकिन अभियान में उन्होंने बढ़िया काम किया.”

स्तोर की भाषणकला के लगभग सभी कायल हैं. हालांकि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि इस खूबी का इस्तेमाल स्तोर भ्रमित करने के लिए करते हैं. उनके मार्गदर्शक स्टोल्टनबर्ग ने उन्हें पार्टी नेतृत्व सौंपते हुए कहा था, "जोनास एक असाधारण व्यक्ति हैं. वह खूब जानते हैं. और बहुत मेहनत कर सकते हैं. इस सबको वह अपने आसपास के लोगों को खुश रखने के गुण के साथ मिलाकर इस्तेमाल करते हैं.”

रिपोर्टः वीके/सीके (एएफपी)

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